पटना: सचिवालय स्थित एक विभाग में बड़ा बाबू प्रमोद कुमार राजधानी में अपना आशियाना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने बड़ी मुश्किल से जून, 2012 में पूंजी जमा कर बाइपास में डेढ़ कट्ठा का एक प्लॉट खरीदा. इस प्लॉट पर घर बनाने के लिए उन्होंने जुलाई, 2012 में नगर निगम में आवेदन दिया, तो पता चला कि प्लानिंग रिपोर्ट पर रोक लगी है.
उसके बाद से प्रमोद उस वक्त का इंतजार कर रहे हैं, जब प्लानिंग पर लगी रोक हटे और वे अपने सपनों का आशियाना तैयार कर सकें. आनंदपुरी मोहल्ले में रहनेवाले संजय कौशिक अपने प्लॉट को विकसित कर उस पर अपार्टमेंट बनाना चाहते हैं. इसके लिए उन्होंने बिल्डर से संपर्क किया. संजय अपार्टमेंट निर्माण को लेकर सभी अहर्ताएं पूरी करते हैं, फिर भी बिल्डर ने तत्काल प्लॉट विकसित नहीं कर पाने की असमर्थता जतायी. बिल्डर का कहना था कि फिलहाल नये नक्शे पर रोक लगी है और जब तक नया नक्शा पास नहीं होगा, निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सकेगा. बाइपास के प्रमोद कुमार और आनंदपुरी के संजय कौशिक की कहानी भले ही अलग-अलग हो, मगर उनकी परेशानी लगभग एक ही है.
करीब दो साल से पटना शहरी क्षेत्र में नये नक्शे पर रोक लगी है. नगर विकास एवं आवास विभाग ने 13 दिसंबर, 2012 को नये नक्शे पास करने पर पूरी तरह से रोक लगा दी. हालांकि, नगर निगम से मार्च, 2012 से ही प्लानिंग रिपोर्ट नहीं दी जा रही. नया नक्शा पास नहीं होने से जहां करोड़ों के कई बड़े प्रोजेक्ट बंद पड़े हैं, वहीं छोटी पूंजी लगा कर मकान बनाने का ख्वाब रखनेवाले लोगों का अरमान भी पूरा नहीं हो पा रहा.
अवैध निर्माण का हवाला : नये नक्शे पर रोक लगाये जाने के पीछे अधिकारियों ने बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण की जांच का हवाला दिया था. शहर में बगैर प्लानिंग बन रहे भवनों को लेकर हाइकोर्ट ने कड़ा रुख जताते हुए कड़ी फटकार लगायी थी, जिसके बाद निगम ने जांच पूरी होने तक प्लानिंग रिपोर्ट देने पर ही रोक लगा दी. प्लानिंग रिपोर्ट के आधार पर ही किसी भी भवन का नक्शा तैयार होता है. निगम का कहना था कि नया नक्शा पास किये जाने पर पुराने नक्शों की जांच में मुश्किल होती.
छह टीमें कर रहीं जांच : प्लानिंग रिपोर्ट के आधार पर नहीं बने भवनों की जांच नगर निगम की छह टीमें कर रही है. इन टीमों ने कई ऐसे अपार्टमेंट व भवनों की पहचान की, जो नक्शे का उल्लंघन कर बनाये गये हैं. इनमें 350 भवनों पर फिलहाल निगरानी केस भी चल रहा है, जबकि 250 से 300 भवन अब भी जांच के दायरे में हैं.
निगम के समक्ष परेशानी
नगर निगम के अधिकारियों की मानें, तो निगम में संसाधन की काफी कमी है. अभियंता से लेकर स्टाफ की कमी है. वर्तमान में भवन की जांच के लिए बाहर से अभियंता बुला कर काम कराया जा रहा है. ऐसी स्थिति में निगम को नक्शा पारित करने में काफी मुश्किल होगी. प्लानिंग इंजीनियर राजेंद्र मिश्र ने कहा कि प्लानिंग रिपोर्ट पर नगर आयुक्त के साथ 12 मई को होनेवाली बैठक में कोई अंतिम निर्णय लिया जायेगा. आदेश पारित होने के बाद प्लानिंग रिपोर्ट लेने के लिए आवेदन देना होगा. फिलहाल आवेदन लेने संबंधी कोई प्रक्रिया नहीं शुरू की गयी है.