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बिहार : मां ने बेटे को बचाने के लिए दान कर दी अपनी किडनी
आईजीआईएमएस में सफल रहा 36वां किडनी ट्रांसप्लांट पटना : मां आखिर मां है. उसकी जगह कोई नहीं ले सकता. वह अपने जिगर के टुकड़े की जान बचाने के लिए हर संभव जतन भी करती है. ऐसा ही नजारा इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में देखने को मिला. संस्थान में 36वां किडनी ट्रांसप्लांट सफल रहा. इस बार […]
आईजीआईएमएस में सफल रहा 36वां किडनी ट्रांसप्लांट
पटना : मां आखिर मां है. उसकी जगह कोई नहीं ले सकता. वह अपने जिगर के टुकड़े की जान बचाने के लिए हर संभव जतन भी करती है. ऐसा ही नजारा इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में देखने को मिला. संस्थान में 36वां किडनी ट्रांसप्लांट सफल रहा. इस बार मां ने बेटे को किडनी देकर फिर से नयी जिंदगी दी. खास बात यह है कि डॉक्टरों ने अपने दम पर पांच घंटे में प्रत्यारोपण किया. डॉक्टरों का कहना है कि मां व बेटे दोनों की तबीयत बेहतर है और सुधार आ रहा है. वैशाली निवासी राम कुमार साह (31 वर्ष) करीब डेढ़ साल से किडनी की गंभीर बीमारी की चपेट में है.
कई अस्पतालों में इलाज कराया, लेकिन तबीयत में सुधार नहीं हुआ. लगातार गुर्दे खराब होते चले गये. डायलिसिस से भी मरीज को राहत नहीं मिल रही थी. जांच के बाद डॉक्टरों ने प्रत्यारोपण की जरूरत बतायी, इस पर राम कुमार साह की मां प्रमीला देवी (50 वर्ष) ने अपनी किडनी डोनेट की.
नहीं थी पहले से कोई बीमारी, डॉक्टर भी हैरान
31 साल के राम कुमार साह के किडनी ट्रांसप्लांट से
पहले अस्पताल के डॉक्टर
भी हैरान हो गये, दरअसल ट्रांसप्लांट से पहले डॉक्टरों ने मरीज की जांच करायी. लेकिन पहले से उसको कोई भी बीमारी नहीं थी. यहां तक कि युवक को न तो ब्लड प्रेशर था, न शूगर और न अन्य कोई परेशानी थी. इसको देखते हुए डॉक्टर भी हैरान हो गये. आईजीआईएमएस के चिकित्सा अधिकारी डॉ मनीष मंडल ने बताया कि शरीर में अचानक एंटीबॉडी बन जाने से युवक को किडनी की बीमारी एकाएक हो गयी है. पांचवें स्टेज में यह बीमारी पकड़ में आयी. उसके लिए किडनी ट्रांसप्लांट के सिवा दूसरा रास्ता नहीं बचा था. नतीजा अंत में ट्रांसप्लांट करना पड़ा.
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