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आर्सेनिक का समाधान ढूंढ़ने के लिए बनेगा शोध केंद्र

पटना : बिहार में आर्सेनिक प्रभावित 13 जिलों के लोगों को इससे छुटकारा दिलाने के लिए फिलहाल पटना के पास मनेर या भोजपुर में एक शोध केंद्र बनाया जायेगा. इसमें मौजूद विशेषज्ञों की टीम पानी की गुणवत्ता की जांच करेगी. साथ ही उस क्षेत्र के भूजल में अगले 25 साल के दौरान आर्सेनिक की मात्रा […]

पटना : बिहार में आर्सेनिक प्रभावित 13 जिलों के लोगों को इससे छुटकारा दिलाने के लिए फिलहाल पटना के पास मनेर या भोजपुर में एक शोध केंद्र बनाया जायेगा. इसमें मौजूद विशेषज्ञों की टीम पानी की गुणवत्ता की जांच करेगी. साथ ही उस क्षेत्र के भूजल में अगले 25 साल के दौरान आर्सेनिक की मात्रा और व्यवहार का अध्ययन करेगी. निष्कर्षों के आधार पर लोगों को आर्सेनिक मुक्त पानी उपलब्ध करवाने के लिए स्थायी तकनीक तय किया जायेगा. अार्सेनिक की शोध से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पटना के पास खुलने वाले नये शोध केंद्र में सेंसर की मदद से भूजलस्तर का पता लगाया जायेगा. वहां बोरिंग कर जमीन के नीचे आर्सेनिक प्रभावित भूजल की दूरी की जानकारी ली जायेगी.
उस क्षेत्र में कितनी गहरायी पर आर्सेनिक मुक्त पानी मिलेगा इसकी जानकारी आम लोगों को उपलब्ध करवायी जायेगी. उदाहरण के तौर पर किसी गांव या शहर में जमीन के नीचे 80 फीट की दूरी पर आर्सेनिक प्रदूषित पानी है, लेकिन 60 या 100 फीट पर बढ़िया पानी है तो वहां के लोगों से कहा जायेगा कि पानी निकालने के लिए वे 60 या 100 फीट पर बोरिंग करें.
इस तरह आर्सेनिक से छुटकारा दिलाने में लोगों की मदद हो सकेगी. यदि किसी इलाके में भूजल पूरी तरह आर्सेनिक प्रभावित होगा तो वहां पानी साफ करने वाले उपकरण लगाये जायेंगे.
प्रभावित इलाकों में मिलेगा शुद्ध पेयजल
गंगा के तटीय क्षेत्र में आर्सेनिक प्रभावित इलाके हैं. ऐसे में वहां के लोगों को पीने का पानी उपलब्ध करवाने के लिए गंगा के पानी को शोधित कर उपलब्ध करवाने की योजना पर विचार हो रहा है.
कैंसर का खतरा
आर्सेनिक युक्त पानी के लगातार सेवन से लोगों में शारीरिक कमजोरी, थकान, टीबी, श्वास संबंधी रोग, पेट दर्द, खून की कमी, बदहजमी, वजन में गिरावट, आंखों में जलन, त्वचा संबंधी रोग और कैंसर होने का खतरा है.
बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के अध्यक्ष डॉ एके घोष ने बताया कि इस समस्या पर अध्ययन और समाधान के लिए भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग और ब्रिटेन की एनईआरसी की देखरेख में आठ संस्थान बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में काम करेंगे. इसमें से बिहार में महावीर कैंसर संस्थान, पश्चिम बंगाल में आईआईटी खड़गपुर, उत्तर प्रदेश में आईआईटी रुड़की और उत्तराखंड में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी पर काम करेगी.इनका साथ ब्रिटेन की मैनचेस्टर, सालफोर्ड और बर्मिंघम यूनिवर्सिटी सहित ब्रिटिश जियोलॉजिकल सोसाइटी देंगी.

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