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बिहार : पीजीआरएस अतिक्रमण और जमीन विवाद के मामलों से सरकारी कार्यालय हो रहे हैं परेशान
पटना : 5 जून, 2016 को जन शिकायत निवारण प्रणाली (पीजीआरएस) लागू होने के बाद पिछले 20 महीने में जन शिकायत निवारण काउंटरों पर 2.77 लाख शिकायती आवेदन जमा हुए हैं. इनमें 2.50 लाख आवेदनों का निबटारा कर लिया गया. निबटारा हुए कुल आवेदनों के 57.7 फीसदी यानि 1.44 लाख स्वीकृत कर उन पर सुनवाई […]
पटना : 5 जून, 2016 को जन शिकायत निवारण प्रणाली (पीजीआरएस) लागू होने के बाद पिछले 20 महीने में जन शिकायत निवारण काउंटरों पर 2.77 लाख शिकायती आवेदन जमा हुए हैं. इनमें 2.50 लाख आवेदनों का निबटारा कर लिया गया. निबटारा हुए कुल आवेदनों के 57.7 फीसदी यानि 1.44 लाख स्वीकृत कर उन पर सुनवाई की गयी, जबकि करीब 31 फीसदी यानि 76.60 हजार आवेदकों को वैकल्पिक सुझाव दिये गये. 11.6 फीसदी यानि करीब 29 हजार आवेदन अस्वीकृत कर दिये गये.
राजस्व व गृह विभाग की शिकायतें अधिक: लोक शिकायत निवारण प्रणाली के माध्यम से पहुंची शिकायतों में सबसे अधिक राजस्व से जुड़ी हैं. इसके बाद दूसरे नंबर पर गृह, तीसरे पर ग्रामीण विकास, चौथे पर ऊर्जा और पांचवें पर खाद्य उपभोक्ता एवं संरक्षण विभाग की शिकायतें हैं.
मुद्दों के आधार पर देखा जाये तो अतिक्रमण का मामला सबसे अधिक पहुंच रहा है. उसके बाद जमीन विवाद से शांति भंग की संभावना, ग्रामीण (इंदिरा) आवास से संबंधित मामले, जनवितरण प्रणाली से जुड़े खाद्यान्न व किरासन तेल और विद्युत विपत्र से जुड़े मामले काउंटरों तक आये हैं.
174 पदाधिकारियों पर लगाया 4.80 लाख जुर्माना
कई पदाधिकारी आदेश पारित होने के बाद भी आवेदक की शिकायत पूरी नहीं कर रहे. ऐसे 174 पदाधिकारियों पर 4.80 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है.
जुर्माना की राशि जमा करने के साथ ही काम नहीं करने पर ऐसे पदाधिकारी-कर्मियों पर बर्खास्तगी की कार्रवाई भी हो सकती है. 43 पदाधिकारी-कर्मियों के मामले में अनुशासनिक कार्रवाई तक की गयी है.
सर्वाधिक आवेदन
पटना, गया, सीतामढ़ी , दरभंगा , मधुबनी , n सबसे कम आवेदन प्राप्त करने वाले पांच जिले : लखीसराय, शेखपुरा, शिवहर, अरवल, किशनगंज n पांच सबसे बड़े मुद्दे : अतिक्रमण, जमीन विवाद, ग्रामीण (इंदिरा) आवास, जन वितरण व विद्युत विपत्र n पहली अपील तक पहुंचे मामले : 25740, निष्पादन – 23258 n दूसरी अपील तक पहुंचे मामले : 7280, निष्पादन – 6162
60 कार्य दिवसों में निबटारे का प्रावधान
प्रणाली के माध्यम से जमा होने वाले आवेदन पर 60 कार्य दिवसों में निबटारा कर लेना है. इसमें आवेदन दाखिल होने पर लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी संबंधित पदाधिकारी को आवेदक के साथ किसी निश्चित तिथि पर तलब करता है. आमने-सामने मामले की सुनवाई कर कार्रवाई की जाती है. आवेदक के संतुष्ट नहीं होने पर अपील का प्रावधान है.
अनुमंडल स्तर के मामलों में अपर समाहर्ता प्रथम अपीलीय जबकि डीएम अपीलीय पदाधिकारी होते हैं. प्रमंडलीय आयुक्त को पुनरीक्षण का अधिकार होता है. जिला स्तर के मामलों में प्रमंडलीय आयुक्त प्रथम व संबंधित विभागीय सचिव द्वितीय अपीलीय पदाधिकारी होते हैं.
इसी तरह, विभाग स्तर के मामले में संयुक्त सचिव प्रथम व प्रधान सचिव द्वितीय अपीलीय पदाधिकारी होते हैं. जिला व विभागीय मामले में विभागीय जांच आयुक्त पुनरीक्षण पदाधिकारी होते हैं. 31% आवेदन वैकल्पिक सुझाव देकर जबकि 11.6% आवेदन अस्वीकृत कर निबटाये गये
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