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शहर में लगी हैं 3500 अवैध होर्डिंग, 33 करोड़ बकाया
कार्रवाई के नाम पर निगम हाथ पर हाथ रखे बैठा है, हो रहा करोड़ों का नुकसान पटना : निगम के राजस्व का एक बड़ा स्रोत विज्ञापन के होर्डिंगों से आता है. निगम प्रशासन प्रतिवर्ष नये विज्ञापन शुल्क के साथ-साथ नवीनीकरण शुल्क टैक्स के रूप में वसूल करता है. इससे निगम को करोड़ों का राजस्व मिलता […]
कार्रवाई के नाम पर निगम हाथ पर हाथ रखे बैठा है, हो रहा करोड़ों का नुकसान
पटना : निगम के राजस्व का एक बड़ा स्रोत विज्ञापन के होर्डिंगों से आता है. निगम प्रशासन प्रतिवर्ष नये विज्ञापन शुल्क के साथ-साथ नवीनीकरण शुल्क टैक्स के रूप में वसूल करता है. इससे निगम को करोड़ों का राजस्व मिलता है. लेकिन, निगम ने 2015 के बाद से विज्ञापन होर्डिंग का नवीनीकरण नहीं किया है.
इसके बावजूद निगम क्षेत्र में दस हजार से अधिक विज्ञापन होर्डिंग प्राइवेट व सरकारी भूखंड पर खड़े हैं. विज्ञापन एजेंसियां निगम कर्मियों की मिलीभगत से नये-नये विज्ञापन होर्डिंग लगा रही हैं. 2015 में निगम प्रशासन ने कार्रवाई शुरू करते हुए 3500 अवैध होर्डिंगों को चिह्नित किया. लेकिन कार्रवाई नहीं हुई. नूतन राजधानी अंचल क्षेत्र से 131 अवैध होर्डिंग व बांकीपुर अंचल क्षेत्र से सिर्फ छह अवैध होर्डिंग हटाये गये.
विज्ञापन एजेंसियों पर सिर्फ बढ़ रहा है बकाया
वर्ष 2011-12 में तत्कालीन नगर आयुक्त ने कैंप लगा कर अवैध विज्ञापन होर्डिंग पर कार्रवाई शुरू की, तो दो दिनों में तीन दर्जन से अधिक बड़े-बड़े विज्ञापन होर्डिंग काट दिये गये. इससे विज्ञापन एजेंसियों के संचालकों में हड़कंप मच गया और एजेंसियां अपनी-अपनी बकाया राशि भुगतान करने लगीं और एक दिन में 2.7 करोड़ की वसूली की गयी. जबकि, वर्ष 2011 में दस करोड़ बकाया था. अब यह बकाया वर्ष 2015 तक बढ़ कर 33 करोड़ हो गया है और वर्ष 2016 से अब तक बकाया की गणना भी नहीं की गयी है.
कार्रवाई से कन्नी काटते हैं
निगम अधिकारी
निगम क्षेत्र में नयी विज्ञापन नीति लागू है, लेकिन विज्ञापन नीति में किये प्रावधान के अनुरूप एक भी होर्डिंग नहीं लगी है. राजधानी की सड़कों के किनारे या फिर प्राइवेट मकानों की छत, दीवार और खाली भूखंडों पर बेतरतीब तरीके से होर्डिंग लगे हैं. हाईकोर्ट में चल रहे तीन-तीन होर्डिंगों के मामले का हवाला देते हुए अवैध विज्ञापन होर्डिंग पर कार्रवाई से कन्नी काट लेते है.
शीघ्र होगी कार्रवाई
निगम द्वारा चिह्नित 3500 अवैध होर्डिंग हैं, जिन पर निगम प्रशासन कार्रवाई नहीं कर रहा है.
नगर आयुक्त को निर्देश दिया गया है कि राजस्व बढ़ाने को लेकर
अवैध विज्ञापनों
पर कार्रवाई करें. कार्य योजना तैयार कर शीघ्र कार्रवाई की जायेगी.
सीता साहू, मेयर, पटना नगर निगम
दौड़ लगा रही मॉल बनाने की योजना केवल फाइलों में
पटना : दो साल पहले खाली भूखंडों पर मार्केट और मॉल बनाने की योजना ख्याली साबित हो रही है. योजना के प्रस्तावों पर दो-तीन बार स्थायी समिति व निगम बोर्ड की बैठक में प्रस्तुत किया गया. बैठकों में अपने संसाधनों से मार्केट और मॉल बनाने का निर्णय लिया. ताकि, निगम राजस्व की बढ़ोतरी हो सके और उसे आत्मनिर्भर बनाया जा सके. हैरत की बात यह है कि यह योजना अब तक फाइलों में ही दौड़ लगा रही है. हालांकि, सोमवार को आयोजित स्थायी समिति की बैठक की एजेंडा में फिर शामिल किया गया है. अब पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड पर मार्केट व मॉल बनाने से संबंधित प्रस्ताव लाया जा रहा है. स्थिति यह है कि निगम प्रशासन और निगम बोर्ड सिर्फ योजना पर चर्चा कर भूल जा रही है, धरातल पर उतारने की रुचि नहीं दिखा रही है.
छह कट्ठे से अधिक भूखंड वर्षों से हैं खाली
नगर निगम के बांकीपुर अंचल क्षेत्र में स्थित आर्य कुमार रोड, जो व्यावसायिक क्षेत्र है. इसके बावजूद सड़क किनारे ही छह कट्ठे से अधिक भूखंड खाली है और वर्षों से खाली है. वहीं, खेतान मार्केट के सामने भी सात कट्टे से अधिक भूखंड खाली है. सिर्फ इन दोनों भूखंड पर मार्केट या मॉल बन जाने के बाद निगम राजस्व में करोड़ों रुपये राजस्व की बढ़ोतरी हो जायेगी. इतना ही नहीं, बोरिंग रोड स्थित पानी टंकी के समीप और अशोक राजपथ पर गुदड़ीपर निगम की खाली भूखंड है. इन खाली भूखंड का कोई उपयोग नहीं हो रहा है.
खाली भूखंडों पर स्थानीय का है कब्जा
निगम की खाली भूखंड आर्य कुमार रोड की हो या फिर खेतान मार्केट के समीप और बोरिंग रोड पानी टंकी. इन भूखंडों पर स्थानीय लोगों ने धीरे-धीरे कब्जा भी किया है. आलम यह है कि पानी टंकी के समीप स्थित भूखंड पर एक बिल्डर ने कब्जा किया है, जिसका मामला कोर्ट में चल रहा है. वहीं, निगम प्रशासन अतिक्रमण हटाना शुरू करता है, तो अतिक्रमणकारी हट जाते हैं. अभियान सुस्त होते ही दोबारा कब्जा हो जाता है.
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