आरटीपीएस l प्रखंड की वेबसाइट पर आवेदन संख्या डालते ही प्रमाणपत्र होगा उपलब्ध
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वेबसाइट से लें म्यूटेशन व एलपीसी प्रमाणपत्र
आरटीपीएस l प्रखंड की वेबसाइट पर आवेदन संख्या डालते ही प्रमाणपत्र होगा उपलब्ध पटना : म्यूटेशन (दाखिल-खारिज) व एलपीसी (भू-स्वामित्व प्रमाणपत्र) प्रमाणपत्र के लिए आरटीपीएस काउंटरों पर आवेदन करने वालों के लिए खुशखबरी है. आवेदन प्रक्रिया के बाद उनका प्रमाणपत्र संबंधित प्रखंड या अनुमंडल की आधिकारिक वेबसाइट पर भी अपलोड कर दिया जायेगा, जहां से […]
पटना : म्यूटेशन (दाखिल-खारिज) व एलपीसी (भू-स्वामित्व प्रमाणपत्र) प्रमाणपत्र के लिए आरटीपीएस काउंटरों पर आवेदन करने वालों के लिए खुशखबरी है. आवेदन प्रक्रिया के बाद उनका प्रमाणपत्र संबंधित प्रखंड या अनुमंडल की आधिकारिक वेबसाइट पर भी अपलोड कर दिया जायेगा, जहां से वे उसे डाउनलोड
कर सकेंगे. म्यूटेशन व एलपीसी
प्रमाणपत्रों की डिलेवरी में होने वाली असुविधा को ध्यान में रखते हुए सामान्य प्रशासन विभाग ने यह व्यवस्था कर रखी है.
म्यूटेशन के लिए 18 दिन
एलपीसी के लिए 10 दिन निर्धारित
आरटीपीएस अधिनियम के मुताबिक म्यूटेशन के लिए दायर होने वाले आवेदन का प्रमाणपत्र 18 दिनों में, जबकि एलपीसी के लिए दायर होने वाले आवेदन का प्रमाणपत्र 10 दिनों में उपलब्ध करा दिया जाना है. निर्धारित समय में प्रमाणपत्र नहीं मिलने पर वरीय पदाधिकारियों के पास अपील का प्रावधान है. म्यूटेशन के मामले में आपत्ति होने की स्थिति में यह समय सीमा बढ़ा कर 60 दिनों तक निर्धारित कर दी गयी है. काउंटर से डिलेवरी के बाद प्रमाणपत्र की सॉफ्ट कॉपी वेबसाइट पर अपलोड करनी है.
l ई ब्लॉक बिहार की वेबसाइट पर होगा उपलब्ध : सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी प्रखंड व अनुमंडलों के लिए अलग-अलग वेबसाइट का निर्माण कराया है. eblocks.bih.nic.in पर लॉगइन करते ही यह वेबसाइट खुल जायेगी. इसके बाद आवेदक अपने प्रखंड या अनुमंडल का चयन कर उसमें दिये गये एलपीसी व दाखिल-खारिज के लिंक पर क्लिक करेंगे. ऐसा करने पर उनसे एप्लीकेशन आईडी पूछा जायेगा. एप्लीकेशन आईडी डालते ही उनका प्रमाणपत्र डाउनलोड के लिए उपलब्ध होगा. विभाग के मुताबिक यह व्यवस्था पहले से है लेकिन आवेदक जानकारी के अभाव में इसका लाभ नहीं उठा पाते हैं.
डीबीटी के बाद सुधर रहा पेंशन आवेदन
अधिकारियों के मुताबिक सामाजिक सुरक्षा पेंशन के मामले में स्थिति अब थोड़ी सुधर रही है. दरअसल, पेंशन योजना को डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) योजना से जोड़े जाने के बाद फर्जी नाम पर चल रहे कई लाभुक खुद ब खुद खत्म हो गये हैं. नये आवेदकों द्वारा आवेदन करने के समय संपूर्ण कागजात नहीं जमा करा पाने की वजह से भी उनके आवेदन बड़ी संख्या में रद्द हो जा रहे हैं.
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