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धरती की कोख से भू-जल का अंधाधुंध दोहन

जल स्तर. निगम व बिहार राज्य जल पर्षद प्रति घंटे खींच लेता है करोड़ों लीटर पानी पिछले छह सालों में निगम के छह सौ फुट से अधिक गहराई के बोर सूख चुके पटना : शहर की धरती की कोख से बेलगाम और अंधाधुंध भू-जल का दोहन किया जा रहा है. पेयजल के लिए गहरे बोर […]

जल स्तर. निगम व बिहार राज्य जल पर्षद प्रति घंटे खींच लेता है करोड़ों लीटर पानी

पिछले छह सालों में निगम के छह सौ फुट से अधिक गहराई के बोर सूख चुके
पटना : शहर की धरती की कोख से बेलगाम और अंधाधुंध भू-जल का दोहन किया जा रहा है. पेयजल के लिए गहरे बोर और दूसरे संसाधनों का बेतहाशा इस्तेमाल किया जा रहा है. धरती की सतह छलनी सी हो गयी है. हैरत की बात यह है कि खुद निगम अपने संसाधनों से हर घंटे करीब 66 लाख गैलन से अधिक पानी का दोहन कर रहा है. जबकि, पिछले छह सालों में निगम के छह सौ फुट से अधिक गहराई के बोरिंग सूख चुके हैं. इससे साफ जाहिर है कि शहर की धरती न केवल छलनी हो रही है, बल्कि उसका जलस्तर अब धीरे-धीरे रसातल में उतरता जा रहा है. लोगों को इसके कारण काफी परेशानी होती है. आये दिन लोग पानी की कमी को ले हंगामा भी करते हैं.
निजी और घरेलू उपयोग के लिए लगे
सबमर्सिबल का कोई आंकड़ा नहीं
गैलन पानी हर घंटा खींच रहे हैं
शहर में नगर निगम की 117 बड़ी बोरिंग चल रही है. इसमें 28 बोरिंग बिहार राज्य जल पर्षद से ली गयी है. जबकि, अन्य दस के लगभग बोरिंग अभी बीआरजेपी के ही पास है. निगम की जो बोरिंग चल रही है, इसमें 100 एचपी, 75 एचपी और 60 एचपी के मोटर लगे हैं. निगम के जल पर्षद के अभियंता बताते हैं कि 100 एचपी का एक मोटर अपने पूरे रफ्तार में चले, तो प्रति घंटा 60 हजार गैलन पानी उगलती है.
इसके अलावा 75 व 60 एचपी के मोटर का औसत 50 हजार गैलन प्रति लीटर है. शहर में 117 बोरिंग में से 30 बोरिंग सौ एचपी की क्षमतावाली है. यानी 30 सौ एचपी वाले मोटर एक घंटा में 18 लाख गैलन प्रति घंटा निकाल लेता है. इसके अलावा शेष सभी बोरिंग से एक घंटा में 48 लाख 50 हजार गैलन प्रति घंटा पानी निकाला जा रहा है. यानी शहर में लगी सभी सरकारी बोरिंग एक घंटा में 66 लाख 50 हजार गैलन प्रति घंटा भू-गर्भ जल पानी निकाल लिया जाता है.
निजी बोरिंगों से भी होता है अंधाधुंध दोहन
सरकारी के अलावा प्राइवेट बोरिंगों से भी पानी का दोहन काफी बढ़ा है. राजधानी के बड़े सबमर्सिबल व मोटर बेचनेवाले थोक दुकानदारों के अनुसार अकेले पटना जिले में प्रति वर्ष 50 हजार के लगभग सबमर्सिबल बेचा जाता है. इसके अलावा एक से डेढ़ लाख मोटर पूरे जिले में बेचे जाते हैं. इस आंकड़ा से सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि निजी बोरिंग कितना पानी का दोहन कर रहे हैं. नगर निगम से लेकर बिहार राज्य जल पर्षद की बड़ी क्षमता वाले मोटर पानी को शोषित कर रहे हैं. इसके अलावा शहर के आधे से अधिक घरों में लगे सबमर्सिबल व मोटरों से भी पानी को निकालने की कोई सीमा नहीं है. बावजूद इनके दोहन को रोकने के लिए किसी का ध्यान नहीं है.
सात वर्षों में 28 बोरिंग फेल, 75 फुट नीचे पानी
नीचे गिरते भू-गर्भ जल का असर लगातार सरकारी बोरिंगों पर पड़ रहा है. बीते सात वर्ष में अब तक नगर निगम की 28 बड़ी बोरिंग फेल हो चुकी है. इसके अलावा दो दर्जन के लगभग बोरिंग ऐसी हैं, जिन्होंने अपनी क्षमता से कम पानी देना शुरू कर दिया है. निगम क्षेत्र में गर्दनीबाग रोड नंबर 10, शेखपुरा राइडिंग रोड, समनपुरा, मंगल तालाब, तिवारी बेचर, बहादुरपुर सेक्टर सात, कंकड़बाग टीवी टावर, भंवर पोखर, डंका इमली पटना सिटी, राजवंशी नगर, पोस्टल पार्क हैं.
जल पर्षद के अभियंता बताते हैं कि जाड़े के मौसम में 50 फुट पर पानी निकल आता है. बरसात में ये कभी-कभी 30 फुट पर आ जाते हैं. वहीं, गर्मी के दिनों में भू-जल 75 फुट से अधिक नीचे के स्तर पर चला जाता है. इससे गर्मी के दिनों में कई बोरिंग पानी देना छोड़ देते हैं. इससे लोगों को काफी परेशानी होता है.

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