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दवा से ठीक न होने वाली मिर्गी का अब ऑपरेशन से भी हो सकेगा इलाज

अब राजधानी के दो अस्पतालों में होगा मिर्गी का ऑपरेशन पटना : दवा से कंट्रोल नहीं होने वाली मिर्गी (एपिलेप्सी) का इलाज अब सर्जरी से भी संभव हो गया है. एपिलेप्सी सर्जरी की सुविधा अभी देश के चंद महानगरों के अस्पतालों में ही होती है. अब इस तरह की सुविधा पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान […]

अब राजधानी के दो अस्पतालों में होगा मिर्गी का ऑपरेशन

पटना : दवा से कंट्रोल नहीं होने वाली मिर्गी (एपिलेप्सी) का इलाज अब सर्जरी से भी संभव हो गया है. एपिलेप्सी सर्जरी की सुविधा अभी देश के चंद महानगरों के अस्पतालों में ही होती है. अब इस तरह की सुविधा पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आईजीआईएमएस) और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भी शुरू होगी. इसके लिए अस्पताल प्रशासन तैयारी शुरू करने जा रहा है. सूत्रों की मानें, तो तीन माह में यह सुविधा मरीजों को मिलने लगेगी. फिलहाल इस तरह की सुविधा दिल्ली एम्स में दी जा रही है. वहीं आईजीआईएमएस में यह सुविधा अगर शुरू हो जायेगी, तो प्रदेश का पहला सरकारी अस्पताल हो जायेगा, जहां मिर्गीका ऑपरेशन होगा.
आईजीआईएमएस के अलावा पटना एम्स में होने वाले सभी ऑपरेशनों में मिर्गी के ऑपरेशन को शामिल कर लिया गया है.
क्यों होती है मिर्गी
फिजियोथेरेपिस्ट डॉ जेपीएस बादल ने बताया कि मिर्गी सिर पर चोट लगने, नवजात के दिमाग में ऑक्सीजन का प्रवाह कम होने, ब्रेन ट्यूमर, दिमागी बुखार और इंसेफेलाइटिस के कारण हो सकता है. डॉ बादल ने कहा कि ब्रेन स्ट्रोक होने के बाद, न्यूरोलॉजिकल डिजीज जैसे अल्जाइमर से, ड्रग एडिक्शन और एंटी डिप्रेशन दवा के अधिक सेवन आदि से भी मिर्गीहोती है.
ये करते हैं ऑपरेशन
मिर्गी के ऑपरेशन में न्यूरो फिजिशियन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. न्यूरो फिजिशियन लक्षणों व ईईजी जांच से पता लगाते हैं कि ब्रेन के किस हिस्से में विकृति है. उसी हिस्से पर छोटा चीरा लगा कर विकृति को हटा दिया जाता है. ऑपरेशन के दौरान न्यूरो सर्जन, न्यूरोलॉजिस्ट, न्यूरो फिजिशियन, रेडियोलॉजिस्ट, साइकोलॉजिस्ट सहित एनेस्थीसिया की टीम की जरूरत होती है. इनमें से एक के भी नहीं होने से ऑपरेशन संभव नहीं हो पाता है.
क्या हैं मिर्गी के लक्षण
बार-बार चक्कर आना
आंख की पुतलियों में घुमाव होना
अचानक हाथ, पैर और चेहरे की मांसपेशियों में खिंचाव होना
जीभ काटने की कोशिश करना, अक्सर उलझन में होना, बार-बार नींद टूट जाना
बेहोश होना या आंशिक मूर्छित होना

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