जैपनीज इंसेफ्लाइटिस से बचाव की तैयारी में जुटा स्वास्थ्य विभाग
पटना : सूअरों से सूअरों में होनेवाली स्वाइन फीवर की बीमारी से राज्य सरकार निबटने की तैयारी कर रही है. यही नहीं, स्वास्थ्य विभाग अब जैपनीज इंसैफ्लाइटिस या एक्यूट इंसैफ्लाइटिस सिंड्रोम बीमारी की जांच में जुटेगा. क्योंकि, यह बीमारी सूअर से मानव में फैलती है. स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले में पशुपालन विभाग से सहयोग लेने का निर्णय लिया है.
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार बिहार में जैपनीज इंसैफ्लाइटिस या एक्यूट इंसैफ्लाइटिस सिंड्रोम (एइएस) का खतरा बरकरार है. इससे निबटने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने पशुपालन विभाग को राज्य भर में सूअरों के ब्लड सेंपल की जांच कराने का निर्देश दिया है, जिससे पता चल सके कि सूअरों में यह कारण है अथवा नहीं? भोपाल की हाइ सिक्यूरिटी डायग्नोस्टिक लेबोरेट्री में ही जांच का निर्देश जारी करते हुए कहा गया है कि सभी जिलों में सूअरों से ब्लड सैंपल लेकर जांच की कार्रवाई की जाये. मिली जानकारी के अनुसार पशुपालन विभाग ने वैसे जिलों में जांच केंद्रित करने का निर्देश दिया है, जहां पूर्व में ये बीमारियां लोगों में हुई थीं. ऐसे जिलों में गया, मुजफ्फरपुर सहित आधा दर्जन जिले शामिल हैं.
कैसे फैलता है एइएस
जैपनीज इंसैफ्लाइटिस या एक्यूट इंसैफ्लाइटिस सिंड्रोम के वायरस पक्षियों के माध्यम से पालतू सूअरों में आ जाता है. जब क्यूलेक्स (मादा मच्छर ) सूअरों को काटता है, तो वह सूअर से इंसैफ्लाइटिस के वायरस ग्रहण करता है. इस वायरस से सूअर को कोई परेशानी नहीं होती है, पर यही मच्छर जब मानव को काटता है, तो वह इस खतरनाक बीमारी की चपेट में आ जाता है. सूअर में यदि यह वायरस मिलता है, तो सूअर में ही इसे खत्म कर बीमारी को फैलने से रोकने का प्रयास किया जाता है.