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मोतियाबिंद का बढ़ रहा प्रकोप, सात माह में पांच हजार के पार पहुंचा आंकड़ा
पटना : अंधेपन का कारण बननेवाली बीमारी मोतियाबिंद का प्रकोप इन दिनों तेजी से बढ़ रहा है. इनमें बुजुर्गों के अलावा बच्चे भी शामिल हैं. बीते छह माह में पांच हजार से अधिक मरीजों का ऑपरेशन राजधानी के दो अस्पतालों में किया जा चुका है. यह ऑपरेशन पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) और इंदिरा गांधी […]
पटना : अंधेपन का कारण बननेवाली बीमारी मोतियाबिंद का प्रकोप इन दिनों तेजी से बढ़ रहा है. इनमें बुजुर्गों के अलावा बच्चे भी शामिल हैं. बीते छह माह में पांच हजार से अधिक मरीजों का ऑपरेशन राजधानी के दो अस्पतालों में किया जा चुका है. यह ऑपरेशन पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) और इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में किया गया है. महज सात माह में पांच हजार ऑपरेशन के आंकड़े आने केबाद डॉक्टरों ने इस बीमारी पर चिंता जाहिर की है.
ऑपरेशन
आईजीआईएमएस व पीएमसीएच के नेत्र रोग विभाग में जून से दिसंबर तक जारी मरीजों के आंकड़ों में सबसे अधिक मोतियाबिंद के मरीज शामिल हुए. इन दोनों ही अस्पतालों को मिला कर पिछले सात माह में करीब पांच हजार मोतियाबिंद के मरीज पहुंचे, जिनका ऑपरेशन किया गया. इनमें से 10% ऐसे मरीज थे, जो बच्चे थे व उनकी आयु 10-15 साल के बीच थी. बाकी मरीज बुजुर्ग थे, जिनकी आयु 50 साल से अधिक बतायी गयी.
इलाज नहीं होने से हो रहे अंधेपन के शिकार
नेत्र व रेटिना रोग विशेषज्ञ डॉ सत्यप्रकाश तिवारी ने कहा कि छोटे बच्चों में रेटिनोपैथी ऑफ प्रीमेच्योरिटी का खतरा रहता है. समय पर इलाज नहीं होने पर बच्चा स्थायी अंधेपन का शिकार हो जाता है. डॉ तिवारी बताते हैं कि प्रसव के दौरान मां को खासरा, रुबेला और मम्स जैसी बीमारियां होने पर गर्भस्थ शिशु को मोतियाबिंद होने का खतरा रहता है, क्योंकि इन बीमारियों के कारण आंखों के लेंस के विकास पर असर पड़ता है.
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