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नये कर्मियों का गंभीर रोगों में रुक गया इलाज
पटना : दानापुर कैंट के सुगना गांव की रहनेवाली रूबी कुमारी पारस अस्पताल में नयी कर्मचारी हैं. कर्मचारी राज्य बीमा निगम से जुड़ने के बाद उन्हें पता चला कि वह ओवेरियन कैंसर से जूझ रही हैं. उन्होंने फुलवारीशरीफ के ईएसआईसी में इलाज कराया, तो बताया गया कि उन्हें रेफर करना पड़ेगा. किसी बड़े और अच्छे […]
पटना : दानापुर कैंट के सुगना गांव की रहनेवाली रूबी कुमारी पारस अस्पताल में नयी कर्मचारी हैं. कर्मचारी राज्य बीमा निगम से जुड़ने के बाद उन्हें पता चला कि वह ओवेरियन कैंसर से जूझ रही हैं. उन्होंने फुलवारीशरीफ के ईएसआईसी में इलाज कराया, तो बताया गया कि उन्हें रेफर करना पड़ेगा. किसी बड़े और अच्छे अस्पताल में ही इसका इलाज किया जा सकता है. लेकिन, कोई भी टाइअप अस्पताल उनकी भर्ती लेने को तैयार नहीं है, क्योंकि गंभीर बीमारियों में ईएसआईसी में अंशदान की सीमा को बढ़ा कर दो साल कर दिया गया है. यह पहले केवल 78 दिन का ही था. अब वह कभी डायरेक्टर तो कभी डाॅक्टर से गुजारिश कर रही है.
ईएसआईसी के ही उच्च पदस्थ सूत्र कहते हैं कि केंद्रीय शाखा द्वारा लागू किया गया यह नियम पूरी तरह अव्यावहारिक है. इस पर बगैर किसी अध्ययन के यह फैसला ले लिया गया कि गंभीर बीमारियों में निगम को नुकसान हो रहा है. जबकि स्थिति यह है कि निगम लगातार लाभ में है और दिन प्रतिदिन लाभ की यह सीमा बढ़ ही रही है. इसके बावजूद क्यों यह फैसला लिया गया, यह समझ से परे है. लगातार आ रही शिकायतों के मद्देनजर बिहार शाखा ने केंद्रीय शाखा यह अपील की है कि इस नियम को पूर्ववत किया जाये ताकि आम लोगों की परेशानी खत्म हो.
हमने डीजी से मांग की है कि नियम को बदला जाये : निदेशक
कर्मचारी राज्य बीमा निगम के बिहार निदेशक अरविंद कुमार ने बताया कि हमने केंद्रीय शाखा के डायरेक्टर जनरल से मांग की है कि इस नियम को तुरंत बदला जाये क्योंकि हमारे यहां सीमेंट, केमिकल, लाइम, स्टोन इंडस्ट्री में कर्मचारियों को कैंसर होने की संभावना होती है. ऐसे में क्या वह दो साल तक इंतजार करेगा?
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