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टर्मिनल में तो जगह ही नहीं, कहां बैठेंगे 51 फ्लाइट के यात्री

पटना : पटना एयरपोर्ट पर 25 मार्च से फ्लाइट की संख्या 27 से बढ़ कर 51 हो जायेगी. पटना एयरपोर्ट के छोटी आधारभूत संरचना को देखते हुए विमानों की संख्या वृद्धि की घोषणा के साथ ही यह प्रश्न भी उठने लगा है कि 27 फ्लाइट का लोड तो संभल नहीं पा रहा है. ऐसे में […]

पटना : पटना एयरपोर्ट पर 25 मार्च से फ्लाइट की संख्या 27 से बढ़ कर 51 हो जायेगी. पटना एयरपोर्ट के छोटी आधारभूत संरचना को देखते हुए विमानों की संख्या वृद्धि की घोषणा के साथ ही यह प्रश्न भी उठने लगा है कि 27 फ्लाइट का लोड तो संभल नहीं पा रहा है. ऐसे में 51 फ्लाइट का लोड वर्तमान टर्मिनल भवन और आधारभूत संरचना कैसे संभलेगी.

टर्मिनल भवन छोटा, बैठने की जगह नहीं : टर्मिनल भवन का आकार बहुत छोटा है. इसकी सालाना क्षमता केवल पांच लाख यात्रियों की है जबकि पटना से हवाई यात्रा करने वालों की संख्या पिछले वित्तीय वर्ष में 21 लाख थी जिसे 31 मार्च 2018 तक 30 लाख से अधिक हो जाने की संभावना है. विमानों के लेट होने की स्थिति में चेक इन एरिया में 800 ये 1000 तक यात्रियों का जमावड़ा हो जाता है जबकि इसकी क्षमता केवल 200 यात्रियोंं की है. इससे भी बुरी स्थिति सेक्यूरिटी होल्ड एरिया की देखने को मिलती है.
उसकी क्षमता एक समय में 400 यात्रियों की है जबकि कई फ्लाइट के एक साथ देर होने की स्थिति में वहां डेढ़-दो हजार तक यात्रियों की भीड़ हो जाती है. इसके कारण कई बार यात्रियों को बैठने की जगह भी नहीं मिलती है. पिछले एक महीने के दौरान चार-पांच बार ऐसा भीषण जमावड़ा टर्मिनल भवन के भीतर हो गया है कि पैसेंजर को सूटकेस-स्ट्रॉली या जमीन पर चादर बिछा कर बैठना पड़ा है. एक बार भीतर प्रवेश कर जाने के बाद विमानों के घंटों देर होने के बाद भी ये तब तक बाहर नहीं निकल पाते, जब तक विमानों में उन्हें बिठा नहीं दिया जाता या फ्लाइट के रद्द करने की घोषणा नहीं की जाती है.
कतार में खड़े रहना पड़ता है घंटों : घने कोहरे के कारण कई विमानों के एक साथ डायवर्ट या विलंबित होने की वजह से पिछले महीने जब टर्मिनल भवन के भीतर यात्रियों की भीड़ बढ़ गयी तो इसे कम करने के लिए एयरपोर्ट ऑथोरिटी ने विमानों के आगमन समय से दो घंटे पहले ही यात्रियों को टर्मिनल भवन में इंट्री देने का निर्णय किया. लेकिन इस निर्णय का परिणाम हुआ कि इंट्री के लिए यात्रियों की लंबी लंबी लाइन लगने लगी. इंट्री गेट पर 700 लोगों के बैठने लायक दो टेंट लगाये गये, लेकिन यह भी अपर्याप्त है.
एप्रोच फनल में कई बाधाएं
पटना एयरपोर्ट पर विमानों के एप्रोच फनल में भी कई बाधाएं हैं जो पायलट को परेशान करती हैं. पूर्व की तरफ से उतरने पर सचिवालय टावर विमानों के लैंडिंग मार्ग में बाधक बनता है. चिड़ियाखाना के पेड़ पौधे भी परेशान करते हैं. पश्चिम की तरफ से उतरने पर रेलवे लाइन बाधक बनता है और विमानों को लैंड गेयर खोलने में परेशानी होती है.
नया टर्मिनल भवन बनने में लगेंगे 36 महीने
टर्मिनल भवन में यात्रियों की परेशानी और उनकी बढ़ती संख्या को देखते हुए 800 करोड़ की लागत से 45 लाख क्षमता वाला नया टर्मिनल भवन बन रहा है. इसके बन जाने से यात्रियों की असुविधा बहुत हद तक दूर हो जायेगी. लेकिन इनका निर्माण मई 2018 से शुरू होगा और बनने में 36 महीने लगेंगे. विमानों की संख्या 25 मार्च से ही दोगुनी हो जायेगी. ऐसे में अगले 36 महीने तक स्थिति को संभालना और यात्रियों को असुविधा से बचाना बहुत मुश्किल होगा.
टॉयलेट व यूरीनल की कमी
पटना एयरपोर्ट के वर्तमान टर्मिनल भवन में टायलेट और यूरीनल की कमी है. पूरे ग्राउंड फ्लोर पर एक टॉयलेट है जिसमें आम तौर पर कतार लगी रहती है.
बोर्डिंग काउंटर भी कम
पटना एयरपोर्ट पर बोर्डिंग काउंटर भी कम है. केवल 13 बोर्डिंग काउंटर से 27 फ्लाइट के यात्रियों की बोर्डिंग में भी समस्या आ रही है. 51 फ्लाइट के यात्रियों के लिए इनकी संख्या भी बढ़ा कर कम से कम दोगुनी करनी होगी.
रनवे बहुत छोटा
पटना एयरपोर्ट का रनवे की लंबाई मात्र 6800 फीट है. इसमें भी जू की तरफ से लैंड होने पर 6400 फीट और पश्चिम या पूर्व की तरफ से लैंड करने पर केवल 5500 फीट है. इसके कारण विमानों को लैंड करने पर ब्रेक के सहारे रोकना पड़ता है, जिससे यात्रियों को झटका लगता है और घबराहट भी होती है.

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