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स्वास्थ्य निदेशक प्रमुख व सिविल सर्जन तलब

पटना: बिहार मानवाधिकार आयोग ने स्वास्थ्य विभाग के निदेशक प्रमुख और पटना के सिविल सजर्न सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी को 29 मई को आयोग के समक्ष सशरीर उपस्थित होने का फरमान जारी किया है. दरअसल, मामला एक महिला की बंध्याकरण के दौरान डॉक्टर द्वारा उसके गर्भाशय में कपड़े की पट्टी छोड़ने तथा ऑपरेशन के दौरान […]

पटना: बिहार मानवाधिकार आयोग ने स्वास्थ्य विभाग के निदेशक प्रमुख और पटना के सिविल सजर्न सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी को 29 मई को आयोग के समक्ष सशरीर उपस्थित होने का फरमान जारी किया है.

दरअसल, मामला एक महिला की बंध्याकरण के दौरान डॉक्टर द्वारा उसके गर्भाशय में कपड़े की पट्टी छोड़ने तथा ऑपरेशन के दौरान छोटी आंत को यौन मार्ग से जोड़ देने का है. यह ऑपरेशन बख्तियारपुर स्थित सीढ़ी घाट गली में साक्षी नर्सिग होम के डॉ रंजीत कुमार ने अक्तूबर, 2010 में किया था. महिला के पति ने मानवाधिकार आयोग से न्याय की गुहार लगायी थी.

एक अन्य मामले में भी चाजर्शीट : बिहार मानवाधिकार आयोग के सदस्य नीलमणि ने बताया कि डॉ रंजीत कुमार के खिलाफ बख्तियारपुर थाने में दर्ज है. उसमें इलाज में लापरवाही के कारण एक व्यक्ति की जान जाने का आरोप है. उस मामले में भी पुलिस ने उसके खिलाफ चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दिया है.

नीलमणि ने कहा कि यह मामला केवल दोषी डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई का नहीं है, बल्कि समाज में ऐसे डॉक्टरों को इलाज करने की इजाजत देनेवाले संगठनों व सरकारी संस्थाओं की जिम्मेवारियों का भी है. उन्होंने कहा कि आयोग ने निदेशक प्रमुख से यह भी पूछा था कि क्यों नहीं इस डॉक्टर का लाइसेंस बिहार काउंसिल ऑफ मेडिकल एजुकेशन व मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से रद्द करने की अनुशंसा की जाये.

पेश नहीं की एक्शन टेकेन रिपोर्ट
आयोग ने स्वास्थ्य विभाग के दोनों पदाधिकारियों से ‘एक्शन टेकेन रिपोर्ट’ पेश करने को कहा था, लेकिन उन्होंने पिछले एक महीने में कोई रिपोर्ट पेश नहीं की है. इस मामले में आयोग ने पटना के एसएसपी को भी संबंधित डॉक्टर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने को कहा था. पुलिस ने संबंधित डॉक्टर और उनके चार अन्य सहयोगियों के खिलाफ विगत 24 अप्रैल, 2011 को ही कोर्ट में चाजर्शीट कर दी थी.

मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक साक्षी नर्सिग होम के डॉ रंजीत कुमार ने विगत 13 अक्तूबर, 2010 को एक 58 वर्षीया महिला के बंध्याकरण का ऑपरेशन किया था. इस दौरान महिला के गर्भाशय में घाव बांधने वाली पट्टी छूट गयी थी. यही नहीं, उसकी छोटी आंत को यौन मार्ग से टांका लगा कर जोड़ दिया गया. इसकी वजह से भोजन पचने के बजाय 10-15 मिनट में ही पेट में पचने के बजाय उसके यौन मार्ग से बाहर आने लगता था. जब उक्त महिला की हालत काफी बिगड़ने लगी, तो डॉ रंजीत कुमार ने उसे खुदा बख्श लाइब्रेरी के समीप सजर्न डॉ निर्मल कुमार के पास रेफर कर दिया था. मामले की गंभीरता को देखते हुए डॉ निर्मल ने महिला को पीएमसीएच की इमरजेंसी में भेज दिया, जहां किसी तरह उसकी जान बचायी जा सकी.

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