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बिहार : खतरे में शिशुओं की जान, एक ही बेड पर तीन बच्चों का हो रहा इलाज
संक्रमित शिशु से दूसरों को हो सकता है खतरा आनंद तिवारी पटना : अपनी गोद में नवजात को लिए पीएमसीएच के एनआईसीयू में एक व्यक्ति पहुंचा. उसकी गोद में नवजात है और साथ में बुजुर्ग महिला. वह जोर-जोर से रोये जा रही है. डॉक्टर को देखते ही बोला बचा लीजिए मेरे जिगर के टुकड़े को. […]
संक्रमित शिशु से दूसरों को हो सकता है खतरा
आनंद तिवारी
पटना : अपनी गोद में नवजात को लिए पीएमसीएच के एनआईसीयू में एक व्यक्ति पहुंचा. उसकी गोद में नवजात है और साथ में बुजुर्ग महिला. वह जोर-जोर से रोये जा रही है. डॉक्टर को देखते ही बोला बचा लीजिए मेरे जिगर के टुकड़े को.
वार्ड के पास एक चेंबर में बैठे तीन डॉक्टर व नर्सों की टीम में एक डॉक्टर पलट कर बोले एनआईसीयू वार्ड के ट्रे में रखो. फिर बाद में बोले लेकिन भर्ती के लिए बेड नहीं है. उसी चेंबर में दूसरे डॉक्टर बोले इस कागज पर लिखें कि एनआईसीयू में वेंटिलेटर और बेड खाली नहीं हैं. बावजूद हम अपनी मर्जी से भर्ती करा रहे हैं. अगर बच्चे को कुछ होता है, तो इसकी जिम्मेदारी डॉक्टर की नहीं होगी. यह सुन बच्चे के पिता ने भर्ती करने के लिए फॉर्म भर दिया.
– रात में जूनियर
डॉक्टर के भरोसे है वार्ड : पीएमसीएच के एनआईसीयू वार्ड में अधिकांश गंभीर बच्चों को भर्ती किया जाता है. हालांकि यहां 24 घंटे सीनियर रेजीडेंट डॉक्टर व असिस्टेंट डॉक्टरों की ड्यूटी लगायी जाती है. लेकिन मरीज के परिजनों की मानें, तो रात को सीनियर डॉक्टर के बदले जूनियर डॉक्टर के जिम्मे ही वार्ड हो जाता है. रात के समय बच्चों की स्थिति और अधिक गंभीर हो जाती है.
– इलाज अंदर दवा बहार: भर्ती होने वाले बच्चों का इलाज खर्च भी काफी पड़ता है. कहने को यहां नि:शुल्क इलाज की सुविधा है. लेकिन मरीजों को डॉक्टर बाहर से ही दवा आदि सभी मेडिकल सामग्री खरीदने को बोलते हैं. गया जिले से आयी शांति देवी ने कहा कि इनका बच्चा 18 दिन से नीकू में भर्ती है. इलाज से परिजन संतुष्ट हैं, इनके बच्चे में भी तेजी से सुधार आ रहा है.
शांति ने कहा कि इलाज में खर्च बहुत देना पड़ता है. पिछले 18 दिनों में अब तक 12 हजार से अधिक रुपये खर्च हो गये हैं. वहीं आरा जिले से आये मनीष कुमार ने बताया कि पिछले पांच दिन में चार हजार रुपये खर्च हो चुके हैं. बाहर के प्राइवेट अस्पतालों में खर्च अधिक है.
– एक बेड पर दो से तीन बच्चे भर्ती : पीएमसीएच के एनआईसीयू में मरीजों की भीड़ को देखते हुए यहां एक बेड पर दो से तीन बच्चों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है. यहां सिर्फ 24 बेड हैं, लेकिन वर्तमान में 56 बच्चों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है. किस बच्चे को कौन-सा संक्रमण है इस पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
बच्चों की संख्या के अनुपात में यहां वेंटिलेटर की कमी हो जाती है. मरीज को बचाना प्राथमिकता है इसलिए पहले हम किसी तरह बच्चे को भर्ती करते हैं. हालांकि जल्द ही 48 बेडों की व्यवस्था हो रही है.
-डॉ एके जायसवाल, विभागाध्यक्ष, शिशु रोग विभाग, पीएमसीएच
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