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प्रो कंठ हमेशा कहते थे, शिक्षा के बाजारीकरण को केवल शिक्षक ही रोक सकता है

पटना : बिहार में शिक्षा के क्षेत्र में प्रो विनय कंठ की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. प्रो विनय कंठ देश और समाज के गंभीर मसलों पर हस्तक्षेप करते थे. मानवाधिकार के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभा रहे थे. पीपुल्स यूनियन ऑफ सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) के वे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी थे. वह अपने जीवन में हमेशा […]

पटना : बिहार में शिक्षा के क्षेत्र में प्रो विनय कंठ की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. प्रो विनय कंठ देश और समाज के गंभीर मसलों पर हस्तक्षेप करते थे. मानवाधिकार के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभा रहे थे. पीपुल्स यूनियन ऑफ सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) के वे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी थे.
वह अपने जीवन में हमेशा यह प्रयास करते रहे कि समाज को साथ लेकर शिक्षा में कैसे सुधार किया जा सकता है. शिक्षा के लिए अलख जगाना ही उनका मकसद था. 2004 में जब राष्ट्रीय स्तर पर स्कूली पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए प्रो यशपाल कमेटी की तर्ज पर 2006 में बिहार में बिहार कैरिकुलम फ्रेमवर्क कमेटी (बीसीएफ) बनायी गयी, जिसके अध्यक्ष प्रो विनय कंठ बने थे.
राज्य में कक्षा एक से 12वीं तक के पाठ्यक्रम तैयार कराने में प्रो विनय कंठ ने महत्वपूर्ण योगदान दिया. राष्ट्रीय स्तर गणित से जुड़े इनोवेशन और रिसर्च में भी इनकी भूमिका है. वह सार्वजनिक मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखने वाले संवेदनशील मानवाधिकार कार्यकर्ता थे. हर मुद्दे पर खुल कर अपनी बात रखते थे.
वह नये शिक्षकों को भी कहते कि समाज में शिक्षक की भूमिका महत्वपूर्ण है. शिक्षक ही शिक्षा प्रणाली को बदलने में कामयाब हो सकते हैं. वह हमेशा कहते थे कि शिक्षा के बाजारीकरण को केवल शिक्षक ही रोक सकते हैं. इस कारण उन्होंने एक कोचिंग की स्थापना की थी. उनके पढ़ाये कई लोग यूपीएससी और बीपीएससी में सफलता प्राप्त कर नये शिखर पर पहुंचे हैं. वह युवाओं को भी हमेशा प्रोत्साहित करते रहते थे. पीयूसीएल के अधिकांश आलेख प्रो कंठ द्वारा ही लिखे गये हैं.
प्रो कंठ ने ईस्ट एंड बेस्ट कोचिंग का गठन किया था. कई छात्रों ने यूपीएससी और बीपीएससी में इसकी मदद से सफलता प्राप्त की. राज्यपाल के आदेश के बाद से कोचिंग बंद हो गया.
इसके बाद इन्होंने बिहटा में ईस्ट एंड बेस्ट स्कूल का गठन किया. जिसमें कई गांवों के बच्चों को गोद लिया गया और उन्होंने शिक्षा दी. 2001 से वह कुछ-कुछ गांवों को गोद लेकर वहां के बच्चों की संपूर्ण शिक्षा की जिम्मेदारी निभा रहे हैं. प्रो कंठ को शिक्षा से काफी लगाव था.
उन्होंने भारतीय पुलिस सेवा में भी सफलता पायी थी. इसके पहले उन्होंने चार वर्षों तक इंडियन रेलवे ट्रैफिक सर्विस में काम किया. बाद में इस पद को त्याग कर पटना यूनिवर्सिटी में गणित के प्रोफेसर का कार्य करने लगे. 17 जुलाई, 1951 को जन्म लेने वाले प्रो कंठ पीयू में 1978 को ज्वाइन किया था. जुलाई, 2016 में बीएन कॉलेज से रिटायर्ड हुये थे. उसके बाद प्रो विनय कंठ को नवंबर 2016 में मौलाना अबुल कलाम आजाद शिक्षा पुरस्कार दिया गया. इसमें 2 लाख नगद राशि के साथ प्रशस्ति पत्र दिया गया था.
प्रस्तुति : प्रो डेजी नारायण,
पीजी, इतिहास विभाग, पीयू

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