इतिहासकार गुहा के सवाल का आरसीपी ने दिया जवाब
पटना : जदयू द्वारा 21 दिनों के पार्टी नेताओं के सघन प्रशिक्षण कार्यक्रम के बाद फिर जदयू के राष्ट्रीय महासचिव आरसीपी सिंह ने कहा कि इतिहासकार रामचंद्र गुहा को आकर देखना चाहिए कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नेता भी हैं और उनकी मजबूत पार्टी भी है.
पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने बताया कि जदयू द्वारा कार्यकर्ताओं का चलाया गया 21 दिनों प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत 38 जिलों के जिला स्तरीय कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया गया. जदयू का सांगठनिक जिला 51 है जिसके कार्यकर्ताओं को पटना बुलाकर प्रशिक्षण दिया गया. यह पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए शुकराना समारोह से कम नहीं है. जदयू महासचिव ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि पार्टी द्वारा पहली दिसंबर से 22 दिसंबर तक पार्टी द्वारा अपने 51 सांगठनिक जिले और 27 प्रकोष्ठों के कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों को प्रशिक्षण दिया
गया. 23,208 सक्रिय कार्यकर्ताओं ने भाग लिया.
राज्य में पार्टी के डेढ़ लाख सक्रिय कार्यकर्ता
इसमें बताया गया कि पार्टी की विचारधारा क्या है? पार्टी का सिद्धांत, सरकार के कार्यक्रमों के साथ कार्यकर्ताओं को वर्तमान समय में आ रही तकनीकी बदलावों की जानकारी दी गयी. उन्होंने बताया कि राज्य में पार्टी के डेढ़ लाख सक्रिय कार्यकर्ता हैं. इन सभी को जनवरी-फरवरी 2018 में एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया जायेगा. उन्होंने बताया कि इसके पहले 26-27 दिसंबर को पार्टी द्वारा सभी 556 प्रखंडों पर प्रखंड स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन किया जायेगा.
पार्टी द्वारा लगातार कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. इसी कड़ी में 15-18 नवंबर तक सभी जिलों में जिला स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया गया जिसमें एक लाख 10 हजार लोगों ने भाग लिया. जदयू ने 21 दिनों तक लगातार प्रशिक्षण चलाया. बाहर में चर्चा होती है कि जनता दल यू में नेता तो नीतीश बाबू हैं पार्टी है ही नहीं. इस बात को स्पष्ट कर देने चाहता हैं कि उनका संगठन बहुत आगे आ चुका है. कोई यह कहे कि जदयू में नेता है पार्टी है ही नहीं तो उनलोगों के लिए यह जवाब है. रामचंद्र गुहा ने यूं ही कह दिया था. अब उनको आकर देखना चाहिए कि नीतीश जी नेता भी और उनकी मजबूत पार्टी भी है.
आरसीपी ने तत्कालीन पीएम कार्यालय पर उठाया सवाल
जदयू महासचिव आरसीपी सिंह ने बताया कि कोयला घोटाला और टू जी घोटाला को लेकर कांग्रेस पार्टी द्वारा नाहक हाय तैबा मचाया जा रहा है. कोल मामले में तो कोयला सचिव हरीश गुप्ता को तो सजा हो गयी. गुप्ता यूपी कैडर के थे. कोई नहीं कह सकता कि हरीश गुप्ता ने कभी किसी प्रकार का कंडक्ट में गड़बड़ी की हो. उनको तो सजा हो गयी पर उस समय फाइल पर दस्तखत तत्कालीन कोल मंत्री था. उस समय कोल मंत्री तत्तकालीन प्रधानमंत्री डा मनमोहन सिंह थे वह कैसे बच गये.
इसको देखा जाना चाहिए. पीएमओ के हेड तत्कालीन पीएम कैसे बच गये. टू जी स्पेक्ट्र में लोग एक से एक बयान दे रहे हैं. पर जजमेंट को देख लें तो जजमेंट में कठघरे में कोई खड़ा है तो वह तत्कालीन पीएमओ कार्यालय जिसके मुखिया डाॅ मनमोहन सिंह थे. पीएमओ कार्यालय के दोनों सचिव पीके नायर व पलोक चटर्जी थे. पूरे जजमेंट के आलोक में कार्रवाई होनी चाहिए.