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स्पीडी ट्रायल के साथ एनकाउंटर का भी सहारा ले पुलिस

आशियाना दीघा रोड स्थित खादिम शो-रूम के मालिक जीतेंद्र कुमार गांधी की हत्या से राजधानी के दुकानदारों में आक्रोश तो बढ़ा ही है. साथ ही कई दुकानदारों में भय भी बढ़ गया है. आक्रोश और भय की इस मिलीजुली परिस्थिति पर रविवार को प्रभात खबर दफ्तर में परिचर्चा का आयोजन हुआ. इसमें राजधानी के विभिन्न […]

आशियाना दीघा रोड स्थित खादिम शो-रूम के मालिक जीतेंद्र कुमार गांधी की हत्या से राजधानी के दुकानदारों में आक्रोश तो बढ़ा ही है. साथ ही कई दुकानदारों में भय भी बढ़ गया है. आक्रोश और भय की इस मिलीजुली परिस्थिति पर रविवार को प्रभात खबर दफ्तर में परिचर्चा का आयोजन हुआ. इसमें राजधानी के विभिन्न व्यावसायिक संघों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. चर्चा के दौरान व्यापारियों ने जीतेंद्र की हत्या से व्यवसायी वर्ग में उपजे आक्रोश को व्यक्त करते हुए पुलिस को सुरक्षा व्यवस्था में सुधार की बात कही. परिचर्चा के दौरान सभी व्यवसायियों ने पुलिस प्रशासन से अपराधियों के प्रति रुख सख्त बनाने की मांग की. पकड़े गये अपराधियों का स्पीडी ट्रायल कराने और लूटे गये माल की बरामदगी के लिए विशेष अभियान चलाने और जरूरत पड़ने पर इसके लिए अपराधी की संपत्ति अटैच करने का भी सुझाव सामने आया.
एक महीने से तैयार हो रहा था लूट का प्लॉट
पटना : खादिम शोरुम के मालिक जितेंद्र कुमार गांधी के साथ लूट करने की सजिश एक महीने से रची जा रही थी. पंकज गैंग लगातार रेकी करवा रहा था. उसका गैंग जितेंद्र के घर जाने और शोरुम पर आने की टाइमिंग को वॉच कर रहा था. लेकिन मंगलवार की रात (21 नवंबर 2017) अचानक से लूट की घटना को अंजाम देने की तैयारी इसलिए की गयी क्योंकि जितेंद्र और उनका बेटा अभियु राज हाथ में झोला लेकर शो रुम से निकले थे. रेकी में जुटे अपराधियों को लगा कि झोले में पैसा है. इसलिए आनन-फानन में देसी कट्टे के बल पर यह लोग लूट करने पहुंचे थे. लेकिन जितेंद्र को गोली मारने के बाद जब झोला लूटने की बारी आयी तो अपराधियों को खुद की जान बचानी मुश्किल हो गयी. अभियु राज ने हिम्मत दिखायी और पिता के कमर से पिस्टल निकाल कर फायर कर दिया. इससे अपराधी भाग खड़े हुए.
पंकज गैंग को दबोचने के लिए कई जगहों पर छापेमारी : पुलिस पंकज गैंग को दबोचने में जुटी है. इसको लेकर रविवार को एएसपी रमांकात के नेतृत्व में समनपुरा, शास्त्रीनगर, दानापुर, फुलवारी, रुपसपुर इलाके में छापेमारी की गयी. पुलिस ने दो संदिग्धों को उठा भी लिया है. उनसे पूछताछ चल रही है. लेकिन हत्या को अंजाम देने वाले अपराधी अभी तक पुलिस के हत्थे नहीं चढ़े हैं.
2017: सितंबर रहा क्राइम मंथ
इस साल का सितंबर महीना पटना जिले के लिए काफी खतरनाक रहा. इस महीने में अलग-अलग कारणों से कुल नौ हत्याएं हुई हैं. इसमें कुछ हत्या रंजिश के कारण हुई है तो कुछ लूट की नियत से. इसमें बिहटा सिनेमा हॉल मालिक की हत्या भी शामिल है. जिसको लेकर काफी धरना-प्रदर्शन हुआ था.
कब-कब वारदात
06 सितंबर- बाढ़ में युवक की हत्या.
08 सितंबर-बाढ़ कोर्ट में गुड्डू सिंह की हत्या.
10 सितंबर-शास्त्रीनगर में आशा देवी की घर में हत्य़ा.
15 सितंबर-बिहटा में सिनेमा हॉल मालिक निर्भय सिंह की हत्या.
15 सितंबर-मालसलामी में निगम पार्षद उम्मीदवार सुरेन्द्र यादव की हत्या.
23 सितंबर-मसौढ़ी में युवक तरबुजन की हत्या.
25 सितंबर-पटना से सटे दानापुर में दो फौजियों की हत्या.
26 सितंबर-पटनासिटी में बाइपास में अलख निरंजन की हत्या.
अपराधी के साथ लूटा गया माल भी हो बरामद
गिरते लॉ एंड ऑर्डर से व्यवसायी हताश
गिरते लॉ एंड ऑर्डर से दवा व्यवसायी बहुत हताश हैं. हमारी दुकानें हॉस्पिटल के आसपास चौबीस घंटे खुली रहती हैं. ऐसे में खराब लॉ एंड ऑर्डर से हमें सबसे अधिक नुकसान है. व्यापारियों को शांति चाहिए चाहे वह अपराधी के स्तर पर हो या अधिकारी के स्तर पर. मारवाड़ी या पंजाबी की बात तो छोड़ ही दें, जो यहां के स्थानीय हैं वो भी भय से अपना व्यवसाय यहां की बजाय बाहर फैला रहे हैं.
– प्रसन्न कुमार सिंह, अध्यक्ष,
बिहार केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन

व्यवसायी लड़ेंगे, तभी स्थिति सुधरेगी
पांचों अंगुली खुली रहती है तो अंगुली में दम नहीं रहता है, लेकिन यही जब मुट्ठी बन जाता है तो प्रभाव डालती है. कई वर्ष पहले अशोक राजपथ में बंगलोर सिल्क हाउस के मालिक की हत्या हुई थी. तब हमलोगों ने एक दिन के लिए पूरे राज्य में बंद रखा तो तत्कालीन राबड़ी देवी की सरकार तुरंत एक्शन में आ गयी. एकबार फिर उसी तरह से एकजुट होना पड़ेगा. तभी स्थिति सुधरेगी.
– अमित मुखर्जी, महासचिव,
बिहार चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंड्रस्ट्रीज
बहुत कमजोर है हमारी एसोसिएशन
मर्डर की कई वजहें होती हैं. उसके लिए पूरी तरह पुलिस प्रशासन को दोष देना उचित नहीं है. लालू राज में बोरिंग रोड के किनारे ही मेरी दुकान थी, लेकिन मैं बना रहा. हमलोगों का एसोसिएशन बहुत कमजोर है. यदि सारे एसोसिएशन आपस में मिल जायें तो किसी की हिम्मत नहीं है कि कुछ कर दे. हालांकि यह भी सही है कि रास्ते में एसोसिएशन सुरक्षा नहीं दे सकती.
– सुधीर गुप्ता, अध्यक्ष, रोटरी क्लब, पटना
ऊर्जावान अफसरों को बड़ी जिम्मेदारी दी जाये
जीतेंद्र गांधी की हत्या का सभी को दुख है. सड़क पर हुई उनकी हत्या ने साबित किया कि पुलिस प्रशासन कमजोर हो चुका है. ट्रांसफर पोस्टिंग नये सिरे से कर ऊर्जावान अफसरों को बड़ी जिम्मेदारी दी जाये. बाइक को रुकवा कर जगह-जगह पहले की तरह चेकिंग होनी चाहिए. जेल भेजे गये अपराधियों को स्पीडी ट्रायल के माध्यम से सजा दिलवाई जानी चाहिए. पहले जिस तरह बिहार में एसटीएफ का गठन किया गया था, उसी तरह फिर से उसे मजबूत करने की जरूरत है.
– सुजीत कुमार, अध्यक्ष, आॅल इंडिया मोबाइल रिटेलर एसोसिएशन, बिहार
संगठन में शक्ति होती है संगठित प्रतिरोध की जरूरत
मैं व्यवसायी के साथ-साथ आरएसएस का स्वयंसेवक भी हूं. वहां कहा जाता है कि संगठन में शक्ति है. जब तक संगठित प्रतिरोध नहीं होगा, स्थिति नहीं सुधरेगी. सिर्फ पुलिस पर निर्भर रहने से कुछ नहीं होगा. यहां स्थिति है किसी को गोली भी कोई मार देता है तो देखने और मदद करने वाला कोई नहीं है. जब तक स्थानीय थाना की जिम्मेदारी सख्ती से तय नहीं होगी तब तक सुधार नहीं होगा. यूपी में योगी के राज में पिछले दिनों में 1400 एनकाउंटर हो चुके हैं जिससे वहां कानून व्यवस्था की स्थिति में तेजी से सुधार आया है. यहां भी जरूरत पड़ने पर एनकाउंटर का सहारा लिया जाये तो स्थिति तेजी से बदल सकती है.
– अशोक त्रिवेदी, वैशाली खादी भंडार, मौर्य लोक
पुलिस का एक्शन दिखना चाहिए
बहुत पुरानी बात है. जस्टिस लेट जस्टिस डिनाइड. एनडीए वन की सरकार में इसी जोड़ी ने बद से बदतर स्थिति को बहुत जल्दी खत्म किया और सुशासन की सरकार स्थापित की, जिसकी पूरे देश में तारीफ हुई. इसकी वजह थी कि पुलिस का एक्शन दिख रहा था. फास्ट ट्रैक कोर्ट के माध्यम से अपराधी को सजा मिल रही थी, किसी न किसी तरह से अपराधियों पर अंकुश लगाया जा रहा था या एनकाउंटर किया जा रहा था. एनडीए दो में भी एनडीए 1 की तरह ही एक्शन की जरूरत है. व्यवसायी सुरक्षित व्यवसाय नहीं कर पायेंगे तो फिर कैसे राज्य का विकास होगा.
– विनोद कुमार, अध्यक्ष,
पाटलिपुत्र सर्राफा संघ
सख्ती से नियंत्रण की जरूरत, अधिकारी हों गंभीर
जीतेंद्र कुमार गांधी की हत्या का हम लोगों को काफी दुख है. जो अपराध हो रहे हैं, उसको रोकना बहुत जरूरी है. पुलिस के वरीय अधिकारी जिस दिन इसको सख्ती पूर्वक नियंत्रित करने की सोच लेंगे, उसी दिन इस पर बहुत हद तक नियंत्रण हो जायेगा. मोटरसाइकिल पर बैठे लफंगई कर रहे युवकों पर प्रारंभिक रूप से ही लगाम लगनी चाहिए. मनु महाराज कड़क अधिकारी हैं. इसके बावजूद अपराधियों में पुलिस का भय नहीं दिखाई देता है. व्यापारी घर से सुबह निकलता है तो शाम में सकुशल घर पहुंचना चाहता है. इसके लिए पुलिस को अपनी सख्ती बढ़ानी होगी और व्यापारियों को भी आपसी एकता बढ़ानी होगी.
– आरएस जीत, सीनियर मेंबर, इले. ट्रेड एसो, पटना

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