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वोकेशनल कोर्सों का मामला: स्कूलों में लैब नहीं, कैसे होगी प्रैक्टिकल परीक्षा

पटना: बिहार विद्यालय परीक्षा समिति बोर्ड ने परीक्षा में कदाचार खत्म करने की दिशा में प्रैक्टिकल परीक्षा में होम सेंटर की सुविधा समाप्त कर दी है, लेकिन इंटर स्तरीय वोकेशनल कोर्स करा रहे 91 में से 77 विद्यालयों में लैब की सुविधा तक नहीं है. ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि […]

पटना: बिहार विद्यालय परीक्षा समिति बोर्ड ने परीक्षा में कदाचार खत्म करने की दिशा में प्रैक्टिकल परीक्षा में होम सेंटर की सुविधा समाप्त कर दी है, लेकिन इंटर स्तरीय वोकेशनल कोर्स करा रहे 91 में से 77 विद्यालयों में लैब की सुविधा तक नहीं है. ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस बार बोर्ड परीक्षा से पूर्व होने वाले प्रैक्टिकल परीक्षाओं की क्या स्थिति होगी. गौरतलब है कि इंटरमीडिएट परीक्षा छह फरवरी 2018 से होने वाली है. इससे पहले 11 जनवरी से प्रैक्टिकल परीक्षा ली जानी है.
बिना लैब पढ़ाई को मजबूर विद्यार्थी
राज्य सरकार एक तरफ व्यावसायिक कोर्सों के जरिये छात्र-छात्राओं को स्वावलंबी बनाने का प्रयास कर रही है. वहीं, दूसरी ओर उन कोर्सों के लिए जरूरी प्रैक्टिकल लैब आदि की अनदेखी कर रही है. प्रदेश में संचालित 91 वोकेशनल विद्यालयों में से पटना जिला के 14 विद्यालयों को छोड़ शेष 77 विद्यालयों में लैब की सुविधा नहीं है. इससे छात्र-छात्राएं बिना प्रैक्टिकल लैब के ही पढ़ाई करने को मजबूर हैं. जबकि लैब के लिए विभाग द्वारा दी गयी करीब तीन करोड़ रुपये की राशि अब भी सिविल डिपोजिट में जमा पड़ा है, पर लैब के लिए उपकरण की खरीद नहीं की जा सकी है. प्रैक्टिकल परीक्षा के लिए करीब दो माह का ही समय है. ऐसे में कोई हल निकल जायेगा, ये कहना भी बेमानी होगी.
24 वर्षों से संचालित है वोकेशनल कोर्स
शिक्षा विभाग की ओर से वर्ष 1993 से बिहार भर के 91 विद्यालयों में वोकेशनल कोर्सेज की शुरुआत की गयी थी. वोकेशनल कोर्स के रूप में कुल 24 ट्रेडों में पढ़ाई करायी जा रही है. इनमें पटना जिला में कुल 14 विद्यालयों में वोकेशनल कोर्सों की पढ़ाई हो रही है. यहां लैब अौर शिक्षक दोनों है, लेकिन शेष जिलों के 77 विद्यालयों में संचालित कोर्स की तैयारी बच्चे बिना लैब के ही कर रहे हैं.
एक हजार नंबर की परीक्षा
परीक्षा एक हजार नंबरों का होता है. इसमें सात सौ अंक की थ्योरी और तीन सौ अंक की प्रैक्टिकल परीक्षा ली जाती है. इनमें तीन मेन पेपर थ्योरी के और तीन पेपर प्रैक्टिकल के होते है. हिंदी, अंग्रेजी और फाउंडेशन के अलावा एक वोकेशनल के मेन पेपर से रिलेटेड पेपर होता है जो कि सौ-सौ अंक के होते है. यानी हिंदी, अंगरेजी, फाउंडेशन और रिलेटेड पेपर मिलाकर कुल चार सौ अंक की थ्योरी परीक्षा ली जाती है. तीन सौ अंक के प्रैक्टिकल परीक्षा वाले वोकेशनल कोर्सों में बिना लैब के बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं.
नहीं मिल रही सुविधा
वोकेशनल कोर्सों में करीब 150 अनुदेशक और 125 प्रयोगशाला शिक्षक हैं. पटना जिले में इनकी संख्या 70 है. लेकिन, विद्यालयों में इंफ्रास्ट्रक्चर की सुविधाओं के अभाव में छात्र-छात्राआें की संख्या प्रतिवर्ष घटती जा रही है. प्रत्येक ट्रेड में 25 बच्चों का सीट निर्धारित है. उन सीटों पर मुश्किल से 15 से 17 बच्चे ही नामांकन ले रहे हैं. इस वर्ष पूरे बिहार में 1647 बच्चे नामांकित हैं. वहीं, बीते वर्ष इनकी संख्या 1759 थी.
छात्रों को होगी परेशानी
व्यावसायिक कोर्सों के प्रति सरकार की अरूचि से प्रति वर्ष छात्र-छात्राओं की संख्या लगातार घट रही है. इस बार प्रैक्टिकल परीक्षा में छात्र-छात्राअों को लैब की कमी से परेशानी होगी.
– वरूण कुमार सिंह, प्रधान महासचिव बिहार प्रदेश प्लस टू व्यावसायिक शिक्षा
राज्य के वोकेशनल कोर्सों में बिना लैब के बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं. ऐसे में अब प्रैक्टिकल परीक्षा पर होम सेंटर की सुविधा समाप्त करने से सबसे अधिक परेशानी वोकेशनल कोर्सों के छात्र-छात्राओं को होगी. जिन छात्रों के परीक्षा केंद्र में लैब नहीं होगा, उन्हें अधिक परेशानी होगी.
– डॉ अशोक कुमार, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी

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