पटना सिटी: गुजरी बाजार स्थित क्षेत्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान संस्थान में एनीमिया, दमा व धड़कन बीमारी पीडि़तों को यूनानी चिकित्सा प्रणाली से भरती कर उपचार किया जायेगा. इसके लिए केंद्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान परिषद नयी दिल्ली से प्रोजेक्ट की मंजूरी मिली है.जिसके बाद अब रोगियों को देखने का काम आरंभ किया गया है. मरीज के चिह्नित होने के बाद उपचार आरंभ हो जायेगा. अस्पताल में 25 बेड की सुविधा है, जिसमें यूनानी चिकित्सा प्रणाली से मरीजों को भरती कर उपचार किया जाता है.
केंद्र के इस प्रोजेक्ट को इथिक कमेटी ने मंजूरी दे दिया है. संस्थान के प्रभारी निदेशक डॉ इश्तेयाक आलम ने बताया कि इसके अलावा यूनानी पद्दति से गठिया, लिकोरिया, भूख की कमी, खाज दिनाई, दांत में दर्द, पित्ती समेत अन्य बीमारियों पर उपचार की व्यवस्था है. प्रभारी निदेशक ने बताया कि संस्थान में असाध्य बीमारियों पर अनुसंधान कर उपचार होता है.
लैब को किया गया अपग्रेड : संस्थान के पैथोलॉजी लैब को अपग्रेड करने के बाद अब जांच का काम भी का काम किया गया है. इसके तहत संस्थान में नये मशीन लगाये गये है. जिसमें हेमोटो एनालाइजर व ऑटो एनालाइजर मशीन लगाया गया है. ताकि मरीजों के रक्त की जांच हो सके. इसी प्रकार एलआईजेट मशीन से थाइरॉइड की जांच करायी जायेगी. मरीजों की धड़कन को जांचने के लिए इसीजी मशीन लगाया गया है. बताया जाता है कि मशीन को लगाने काम बीते दो माह पूर्व माह हुआ था, लेकिन केमिकल नहीं होने की स्थिति में अभी मशीन का उपयोग नहीं हो पा रहा था, अब कुछ मशीनों का उपयोग जांच के लिए केमिकल आने के बाद किया जा रहा है. बताया जाता है कि लगभग दस लाख रुपये की लागत से मशीन की खरीदारी की गयी है. प्रभारी निदेशक की मानें तो मशीन लग जाने से अब थाइरॉइड पीडि़त मरीज का भी उपचार होगा.
दवाओं की है कमी : जानकारों की मानें तो संस्थान में दवाओं की कमी भी है. हालांकि प्रभारी निदेशक डॉ इश्तेयाक आलम का कहना है कि संस्थान में दवाओं की कमी नहीं है, जो उपलब्ध है, वो मरीजों को दिया जाता है.
कुछ दवाएं बाहर से मरीजों को लाना पड़ता है. इधर संस्थान के कर्मियों व स्थानीय लोगों ने अस्पताल में कार्य प्रणाली सुधारने के लिए एक ज्ञापन पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव को सौंपा है. जिसमें कुव्यवस्था, अनियमितता व कमियों को दर्शाते हुए अस्पताल की व्यवस्था सुधार के लिए केंद्र से गुहार लगाने को कहा गया है.