सूचना शिकायतकर्ता को भी दी जायेगी. पंजीकृत प्रोजेक्ट के संदर्भ में फ्लैट या व्यावसायिक प्रॉपर्टी खरीदारों को ऑफलाइन शिकायत की सुविधा उपलब्ध है. रियल स्टेट नियामक प्राधिकार (रियल स्टेट रेगुलेटरी ऑथोरिटी) इसके लिए शिकायत से संबंधित सभी दस्तावेज रेरा कार्यालय में जमा करना होगा. रेगुलेटरी ऑथोरिटी देर से प्रोजेक्ट रजिस्ट्रेशन करानेवाले बिल्डरों पर जुर्माना भी लगा सकती है. यह राशि प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत का एक से 10 फीसदी तक हो सकती है. वहीं, वेबसाइट बंद होने से बिल्डर विभाग में शिकायत भी नहीं कर पा रहे हैं.
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रेरा की सुस्ती : नवंबर तक अंतिम मौका, 20 दिनों से वेबसाइट भी ठप, अब तक मात्र दो बिल्डरों ने ही कराया रजिस्ट्रेशन
पटना : राज्य सरकार ने प्रदेश में बिल्डरों के लिए रियल इस्टेट रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट एक्ट (रेरा) में अपार्टमेंट का रजिस्ट्रेशन कराने को लेकर 30 नवंबर तक अंतिम मौका दिया है. मगर अभी तक सूबे में मात्र दो निर्माणों का रजिस्ट्रेशन किया जा सका है. अगस्त में वेबसाइट की शुरुआत होने के बाद से ही […]
पटना : राज्य सरकार ने प्रदेश में बिल्डरों के लिए रियल इस्टेट रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट एक्ट (रेरा) में अपार्टमेंट का रजिस्ट्रेशन कराने को लेकर 30 नवंबर तक अंतिम मौका दिया है. मगर अभी तक सूबे में मात्र दो निर्माणों का रजिस्ट्रेशन किया जा सका है. अगस्त में वेबसाइट की शुरुआत होने के बाद से ही सर्वर स्लो है और पिछले 20 दिनों से वेबसाइट पूरी तरीके से ठप पड़ी हुई है. बिल्डरों की सुस्ती के बीच सरकार की लापरवाही से रेरा के उद्देश्य पूरे नहीं हो पा रहे हैं. आये दिन शास्त्री नगर स्थित रेरा के कार्यालय से लोग लौट रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ नगर विकास व आवास विभाग की ओर से भी इस मामले में सुस्ती बरती जा रही है.
गौरतलब है कि मई से लागू अधिनियम के तहत अब न्यूनतम 500 वर्गमीटर भूमि या आठ फ्लैट बनाने से लेकर बड़ी परियोजनाओं का प्राधिकार में पंजीकरण आवश्यक है. वहीं, राजधानी में 3000 से अधिक निर्माणाधीन प्रोजेक्ट हैं. रेरा के लागू होते ही बिल्डरों की मनमानी के खिलाफ उपभोक्ताओं को एक मजबूत हथियार मिल गया है. अब रियल इस्टेट प्रोजेक्ट जिनका रेरा के तहत पंजीकरण हुआ है, उसके बारे में ग्राहक रेरा के पोर्टल पर किसी भी प्रकार की शिकायत दर्ज करा सकेंगे. शिकायत सीधे चेयरमैन को रेफर की जायेगी.
समय से पूरा करना होगा प्रोजेक्ट : अभी तक ग्राहकों की शिकायत थी कि उन्हें बिल्डर ने तय समय में फ्लैट की डिलिवरी नहीं दी. रेरा लागू होने के बाद बिल्डर को तय समय में फ्लैट की डिलिवरी करनी होगी. ऐसा नहीं करने पर ऑथोरिटी को जवाब देना होगा. अब एक्ट के तहत वेबसाइट के जरिये ग्राहकों को पूरी जानकारी उपलब्ध होगी और ग्राहकों के पास अधिक-से-अधिक ऑप्शन मौजूद होंगे. नये कानून में डेवलपर को परियोजना में जो भी राशि प्राप्त होती है, उसका 70% राशि एक अलग बैंक खाते में जमा करना है. परियोजना के अभियंता, वास्तुविद व चार्टर्ड एकाउंटेट के प्रमाणपत्र के आधार पर उसी अनुपात में राशि की निकासी करनी है, जिस अनुपात में परियोजना का काम पूरा हुआ होगा.
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