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भारत की सात पुरानी यूनिवर्सिटी में दर्ज है पीयू का नाम

अनुराग प्रधान @ पटना पटना यूनिवर्सिटी 2016 में ही 100 वर्ष पूरा कर लिया था. लेकिन उस वक्त कुलपति प्रो वाइसी सिम्हाद्रि दिल्ली में कार्यक्रम के लिये मुख्य अतिथि की तलाश करते रह गये और 2016 में पीयू शताब्दी वर्ष नहीं मना पया. यही वजह है कि 2017 में शताब्दी वर्ष मना रहा है. आज […]

अनुराग प्रधान @ पटना
पटना यूनिवर्सिटी 2016 में ही 100 वर्ष पूरा कर लिया था. लेकिन उस वक्त कुलपति प्रो वाइसी सिम्हाद्रि दिल्ली में कार्यक्रम के लिये मुख्य अतिथि की तलाश करते रह गये और 2016 में पीयू शताब्दी वर्ष नहीं मना पया. यही वजह है कि 2017 में शताब्दी वर्ष मना रहा है. आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शताब्दी वर्ष कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगे. इसके बाद दिसंबर तक भिन्न कार्यक्रमों का आयोजन सभी कॉलेजों में आयोजित किया जायेगा. शताब्दी वर्ष कार्यक्रम का समापन जनवरी में होगा.

उम्मीद है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद समारोह का समापन करेंगे. इसके लिये उन्हें आमंत्रित भी कर दिया गया है. राष्ट्रपति से कुलपति प्रो रास बिहारी सिंह की मुलाकात भी हो चुकी है. पटना यूनिवर्सिटी की चर्चा भी तेजी से होने लगी है. सभी पीयू के स्वर्णिम इतिहास की चर्चा कर रहे हैं, लेकिन वर्तमान पर भी लोग चर्चा कर रहे हैं कि यहां के स्टूडेंट्स चुनौतियों से कैसे निबटेगें.

वापस लानी होगी गरिमा
प्रो अमरेंद्र मिश्रा कहते हैं कि पीयू की जो गौरवशाली परंपरा थी, वो 70-80 के दशक में ‘आपात काल’ के बाद से बिखरने लगी. वर्तमान समय में पीयू शिक्षकों की कमी से गुजर रहा है. 2000 से पहले ही लंबी-लंबी हड़ताल यहां शुरू हो गयी थी, परीक्षाओं में नकल बढ़ गयी थी. कैंपस में तोड़-फोड़ के साथ अराजक गतिविधियां हावी हो गयी थी. जिससे पीयू की शिक्षा व्यवस्था के साथ यहां के पठन-पाठन का माहौल बदल गया है. राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल भी यहां काफी प्रभावित हुई. और पीयू अपनी गरिमा को नहीं बचा पायी. अब पीयू को अपनी पुरानी गरिमा की ओर लौटना होगा और एक बेहतर यूनिवर्सिटी में अपना नाम दर्ज करना होगा.
1917 में हुई थी पटना यूनिवर्सिटी की स्थापना
बिहार का पटना यूनिवर्सिटी, भारत की सात पुरानी यूनिवर्सिटी में से एक है. पर यहां की वर्तमान स्थिति कई कारणों से ठीक नहीं है. उच्च शिक्षा को लेकर लगातार पीयू की स्थिति खराब होती गयी. वर्ष 1917 में जब इसकी स्थापना हुई थी, तब यह नेपाल, बिहार और उड़ीसा इन तीनों क्षेत्रों का अकेला यूनिवर्सिटी था. दिलचस्प बात है कि उस समय इस क्षेत्र की मैट्रिक की परीक्षाओं का संचालन भी पीयू ही करता था.

वर्ष 1952 में पीयू का एक अलग स्वरूप उभर कर सामने आया. पटना शहर के पुराने 10 कालेजों और पोस्ट – ग्रेजुएट (स्नातकोत्तर) विभागों को एक साथ एक परिसर में लाया गया. अंग्रजों के शासनकाल में बनी शानदार इमारतों वाला यह शैक्षणिक कैंपस गंगा नदी के तट पर स्थित है. पटना सायंस कॉलेज, पटना कॉलेज, बीएन कॉलेज, लॉ कॉलेज, वाणिज्य महाविद्यालय, मगध महिला कॉलेज, ट्रेनिंग कॉलेज, कला एवं शिल्प महाविद्यालय, इंजीनियरिंग कॉलेज, पटना मेडिकल कॉलेज, पटना वीमेंस कॉलेज और आर्ट्स के साथ साइंस के विभिन्न विषयों के स्नतकोत्तर विभागों वाले ‘दरभंगा हाउस’ सभी पटना यूनिवर्सिटी के अधीन थे. इसके बाद समय के अनुसार पटना मेडिकल कॉलेज और इंजीनियरिंग कॉलेज पीयू ने वापस ले लिया गया.

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