इसका सबसे बड़ा कारण है खाद्य सुरक्षा विभाग की लापरवाही. विभाग की ओर से इन जगहों पर छापेमारी नहीं होने के चलते गंदगी और मिलावटी खाना ग्राहकों को परोसा जा रहा है. नतीजा लोग बीमारी की चपेट में आ रहे हैं. प्रभात खबर टीम ने शहर के प्रमुख जगहों पर बिकनेवाली खाद्य सामग्री की क्वालिटी की पड़ताल की, तो फूड सेफ्टी विभाग की लापरवाही सामने आयी.
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लापरवाही: होटलों और ठेले-खोमचे पर बिक रही बीमारी
पटना: यदि आप मौर्या लोक, बोरिंग रोड, गांधी मैदान, पटना जंक्शन न्यू मार्केट, राजेंद्र नगर टर्मिनल आदि जगहों पर होटलों व सड़कों पर लगे ठेलों पर से खाना खाने जा रहे हैं, तो एक बार सोच लें. कहीं ऐसा न हो कि इसे खाने के बाद आप बीमार हो जाएं. राजधानी के बड़े होटल हों […]
पटना: यदि आप मौर्या लोक, बोरिंग रोड, गांधी मैदान, पटना जंक्शन न्यू मार्केट, राजेंद्र नगर टर्मिनल आदि जगहों पर होटलों व सड़कों पर लगे ठेलों पर से खाना खाने जा रहे हैं, तो एक बार सोच लें. कहीं ऐसा न हो कि इसे खाने के बाद आप बीमार हो जाएं. राजधानी के बड़े होटल हों या फिर ठेले-खोमचे सभी जगहों पर नियम ताक पर रख कर खाना बनाने का काम किया जा रहा है.
पीएमसीएच में रोजाना आते हैं फूड प्वाइजनिंग के 10 मरीज: पीएमसीएच व आईजीआईएमएस में फूड प्वाइजनिंग के मरीज रोजाना आ रहे हैं. अकेले पीएमसीएच के ओपीडी में 10 से 12 ऐसे मरीज आते हैं. खास कर उलटी, दस्त और पेट दर्द की समस्या देखने को मिलती है. पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ लखींद्र प्रसाद की मानें, तो महीने में करीब 300 से अधिक मरीज फूड प्वाइजनिंग की चपेट में आ जाते हैं. इनका इलाज पीएमसीएच में होता है.
दोपहर 12.25 बजे
राजाबाजार
दोपहर 12:25 पर हम आईजीआईएमएस अस्पताल से सटे राजाबाजार पहुंचे. मेन रोड 10 से 12 की संख्या में होटल संचालित हो रहे हैं. सभी होटलों में 10 से 12 ग्राहक बैठे हैं. गेट से सटे एक होटल की कुर्सी पर मोहित कुमार (38 वर्ष) ने खाने का ऑर्डर दिया, जैसे ही उनकी टेबल पर खाना आया, मोहित खाना देख नाराज हो गये और रात की रखी रोटी अपने हाथ से
उठा कर दिखाने लगे. उनकी नाराजगी के बाद सामने बैठे दिलीप भी अपनी थाली को लेकर सवाल उठाने लगे. हालांकि हंगामे के बाद गर्म रोटी परोसी गयी. यह स्थिति यहां सभी होटलों की है.
दोपहर 1.10 बजे
न्यू मार्केट, पटना जंक्शन
पटना जंक्शन से सटे न्यू मार्केट व हनुमान मंदिर के पास दर्जनों की संख्या में होटल संचालित हो रहे हैं. यहां देख ऐसा लग रहा है कि खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम पिछले कई दशक से देखने तक नहीं आयी है. दुकानदार गंदगी के बीच खाना बना रहे हैं. खाद्य सुरक्षा विभाग की साफ लापरवाही दिखी. यहां वेज कम नॉन वेज अधिक बनाये जा रहे हैं. लोगों ने बताया कि यहां दो दिन का खाना गर्म कर खिलाया जाता है. यहां खास कर यात्री अधिक आते हैं.
दोपहर 1 .40 बजे
मौर्या लोक कॉम्प्लेक्स
मौर्यालोक में कई खाने-पीने की दुकानें लगी हैं. सभी दुकानों के किचेन में गंदगी का अंबार लगा हुआ है. जूठा खाना सड़क पर ही फेंका जा रहा है. सूत्रों की मानें, तो यहां खाद्य सुरक्षा विभाग के कई अधिकारी आते हैं, लेकिन न तो दुकानों में छापेमारी की जाती है और न ही खाने की क्वालिटी पर अधिकारियों की नजर जाती है.
दोपहर 2.05 बजे
कारगिल चौक गांधी मैदान
गांधी मैदान स्थित कारगिल चौक के किनारे दर्जनों भोजन की दुकानें लगी हैं. यहां दुकानदार खुलेआम लोगों को अरहर दाल के नाम पर मिलावटी दाल परोस रहे हैं. मोटे चावल और खराब क्वालिटी की सब्जी थाली में परोसने का काम चल रहा था. बस स्टैंड होने की वजह से यहां लोगों की संख्या अधिक होती है, जो इन पास के होटलों में जाकर खाना खाते हैं.
क्या होती हैं बीमारियां
बासी फल और सब्जियां या कोई भी खाना खाने से लूज मोशन की शिकायत हो जाती है.
मिलावटी खाना खाने से गैस्ट्रिक प्रॉब्लम होने लगती है, फूड प्वॉइजनिंग तक हो जाती है.
बंद है विभाग की छापेमारी
खाने की क्वालिटी और मिलावट पर नकेल कसने का जिम्मा खाद्य सुरक्षा विभाग का है. लेकिन छापेमारी के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति होती है.
खराब क्वालिटी व लंबे समय तक रखे खाने को खाने से लूज मोशन की शिकायत हो जाती है. फूड प्वाइजनिंग हो जाती है. डायजेस्टिव सिस्टम पर सीधा प्रभाव डालता है.
डॉ मनोज कुमार, गार्डिनर अस्पताल के अधीक्षक
समय-समय पर छापेमारी होती रहती है, पकड़े जाने पर कार्रवाई भी की जाती है. लेकिन अभी फूड इंस्पेक्टर अधिकारियों की कमी होने के चलते थोड़ी परेशानी आती है.
मुकेश कश्यप, खाद्य सुरक्षा अधिकारी
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