पटना: दिनांक 31 मार्च, 2014 को प्रभात खबर में ‘आधा दर्जन आइएएस अधिकारियों की पेंशन जब्त’ खबर प्रकाशित हुई थी. इस खबर में कुछेक आइएएस अफसरों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही और पेंशन जब्त होने की बात कही गयी थी. इस सूची में झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव अशोक कुमार सिंह (एके सिंह) , सी के बसु, राधेश्याम बिहारी सिंह, सुबोध ठाकुर और महेश्वर पात्र के भी नाम
प्रकाशित हुए, जबकि इनके खिलाफ बिहार में न कोई विभागीय जांच अंतिम चरण में है, न ही पेंशन जब्ती के लिए केंद्र से कोई अनुमति ही मांगी गयी है. इसके अलावा इस खबर में श्री
सिंह को बिहार राज्य साख विनियोग निगम लिमिटेड (बिसिको ) व बिहार राज्य वित्तीय निगम (बीएसएफसी ) का एमडी बताया गया है, जबकि श्री सिंह बिसिको के एमडी कभी नहीं रहे. वह बिहार राज्य वित्तीय निगम के एमडी रहे, जहां उनपर दो एनजीओ को लाभ पहुंचाने यानी अपने अधिकार के दुरु पयोग का आरोप है. उन पर वित्तीय अनियमितता क ा क ोई आरोप नहीं है.
गौरतलब है, बिहार सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति के तहत तीन सौ अफसरों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है. इस नीति के तहत आइएएस एसएस वर्मा की पेंशन जब्ती के लिए केंद्र को लिखा गया है. इसके अलावा बिहार सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने बिहार,झारखंड और केंद्र के संबंधित विभागों को 24 जनवरी, 2014 को पत्र (पत्र संख्या-13 /विविध-01 -04 /2014 सा.29 ) लिखकर 64 अधिकारियों के खिलाफ निगरानी मामलों में लंबित अभियोजन को जल्द मंजूरी देने का अनुरोध किया है. इस पत्र के साथ संलग्न सूची में उपरोक्त सभी नाम शामिल हैं. अलबत्ता, विभागीय जांच और पेंशन जब्ती के तथ्यों को सही ढंग से रखने में हमसे चूक हुई, इसका हमें गहरा खेद है.