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बिहार : खुले में शौच के लिए गंगा तट की महिलाओं को अब भी रहता है अंधेरा होने का इंतजार

नहीं हैं शौचालय, अंधेरे में शौच के लिए निकलती हैं बाहर पटना : शौचालय निर्माण कराने को लेकर बिहार के हर पंचायत में काम शुरू किया गया है, लेकिन यह अजीब बात है कि राजधानी के कई इलाकों में वर्षों से रहने वाले परिवार की महिलाओं को अब भी अंधेरा होने का इंतजार करना पड़ता […]

नहीं हैं शौचालय, अंधेरे में शौच के लिए निकलती हैं बाहर
पटना : शौचालय निर्माण कराने को लेकर बिहार के हर पंचायत में काम शुरू किया गया है, लेकिन यह अजीब बात है कि राजधानी के कई इलाकों में वर्षों से रहने वाले परिवार की महिलाओं को अब भी अंधेरा होने का इंतजार करना पड़ता है.
अंधेरा गहराते ही वे शौच के लिए बाहर निकलती हैं. राजापुर से लेकर दीघा व दानापुर तक गंगा किनारे बसे स्लम क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की बात करें, तो 80 प्रतिशत महिला-पुरुष अब भी शौच खुले में ही जाते हैं.
बोरिंग रोड सेे राजापुर पुल तक यूरिनल नहीं: बोरिंग रोड से राजापुर पुल तक लोगों के लिए यूरिनल की कोई व्यवस्था नहीं है. राजधानी के सबसे पॉश इलाके में शुमार होने के बावजूद यहां लोग सड़कों के किनारे नित्य क्रिया करते हैं. राजापुर पुल के पास एक यूरिनल बना हुआ है, जहां खड़ा रहना भी मुश्किल है.
…इधर, मंत्री का दावा
गंगा किनारे 12 जिलों के 472 गांव ओडीएफ
पटना : बिहार में गंगा किनारे बसे सभी गांवों में हर लोगों के घरों मेें शौचालय निर्माण का लक्ष्य हासिल कर लिया गया है. गंगा तट पर बसे इन गांवों के ग्रामीण अब खुले में शौच के लिए नदी तट पर नहीं जायेंगे. साथ ही इन गांवों के शौचालयों की नालियां और सिवरेज भी अब गंगा में नहीं गिरेगी. गंगा की पर्यावरण रक्षा की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है.
मंत्री श्रवण कुमार ने बताया कि नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत इन गांवों को खुले में शौच से मुक्त किया गया है. गंगा किनारे 12 जिलों के 307 ग्राम पंचायतों के 472 गांव हैं जिनको खुले में शौच से मुक्त किया जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. ग्रामीण विकास विभाग ने इस लक्ष्य को हासिल कर लिया है.
उन्होंने बताया कि जिन गांवों को खुले में शौच से मुक्त बनाया गया है उसमें बेगूसराय जिले के 33 गांव, भागलपुर जिले के 78 गांव, भोजपुर जिले के 34 गांव, बक्सर जिले के 50 गांव, कटिहार जिले के 51 गांव, खगड़िया जिले के 23 गांव, लखीसराय जिले के 14 गांव, मुंगेर जिले के 40 गांव, पटना जिले के 51 गांव, समस्तीपुर जिले के 15 गांव, सारण जिले के 61 गांव और वैशाली जिले के 22 गांव शामिल हैं.
शौचालय नहीं होने से लाचार हैं लोग
जगह और पैसे की कमी के कारण शौचालय का निर्माण मुश्किल है. शिकायत भी की है, लेकिन नतीजा नहीं निकला. महिलाएं अंधेरा होने के बाद गंगा किनारे शौच के लिए जाती हैं.
घर में लड़कियां बड़ी हो गयी हैं. अब परेशानी बढ़ गयी है. शौचालय नहीं है. सार्वजनिक शौचालय इतनी दूर बना दिया है कि जाना मुश्किल है. नित्य क्रिया के लिए बाहर ही जाना पड़ता है.
संपतचक प्रखंड का चिपुरा पंचायत ओडीएफ घोषित
पटना. जिलाधिकारी संजय कुमार अग्रवाल ने सोमवार को संपतचक प्रखंड के चिपुरा पंचायत को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया. इस मौके पर लोगों को स्वच्छता ही सेवा की शपथ भी दिलायी गयी. उन्होंने कहा कि शौचालय एक पड़ाव है जबकि इसका मूल उद्देश्य व्यवहार में परिवर्तन लाना है. इससे पंचायत का स्वरूप निर्मल हो जायेगा.
31 दिसंबर तक दिया गया ओडीएफ का टारगेट
पटना. राज्य के 87 नगर पंचायतों को 31 दिसंबर तक खुले में शौच से मुक्ति (ओडीएफ) का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. सोमवार को नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव चैतन्य प्रसाद की अध्यक्षता में विभागीय समीक्षा की गयी. नगर पंचायतों की समीक्षा में पाया गया कि अधिसंख्य नगर पंचायतों में व्यक्तिगत शौचालयों के निर्माण की दिशा में संतोषजनक प्रगति हुई है.
समीक्षा बैठक में प्रधान सचिव ने कार्यपालक पदाधिकारियों को बताया कि वह अपने नगर निकाय में एनसीसी का एनएसएस सहयोग लेकर जागरूकता अभियान चलाएं.

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