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बिहार : स्टेट हाईवे के किनारे बनेगा ट्रॉमा सेंटर और बहाल की जायेंगी नागरिक सुविधाएं

प्रमोद झा पटना : राज्य के चार हजार किलोमीटर राजकीय पथों पर नागरिक सुविधाओं का अभाव है. इन सड़कों पर न तो सुरक्षा के कोई उपाय और न ही तबीयत बिगड़ने पर इलाज के लिए कोई डाॅक्टर हैं और न ही ट्राॅमा सेंटर बनाया गया है. ये सड़कें राजधानी से सटे इलाके से गुजरती हों […]

प्रमोद झा
पटना : राज्य के चार हजार किलोमीटर राजकीय पथों पर नागरिक सुविधाओं का अभाव है. इन सड़कों पर न तो सुरक्षा के कोई उपाय और न ही तबीयत बिगड़ने पर इलाज के लिए कोई डाॅक्टर हैं और न ही ट्राॅमा सेंटर बनाया गया है. ये सड़कें राजधानी से सटे इलाके से गुजरती हों या फिर दूर दराज की हैं.
राज्य में 4900 किलोमीटर नेशनल हाईवे, चार हजार किलोमीटर स्टेट हाईवे व 11 हजार किलोमीटर जिला सड़कें हैं. फोर लेन पर
नागरिक सुविधाएं, एंबुलेंस, पेट्रोलिंग आदि की सुविधाएं दिखती हैं. बाकी स्टेट हाईवे व जिला सड़कें पर ऐसी
कोई व्यवस्था नहीं है. हाल ही में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पथ निर्माण विभाग की समीक्षा बैठक में सड़क किनारे नागरिक सुविधाएं विकसित करने संबंधी निर्देश दिये थे. इसके बाद विभाग की ओर से सड़क किनारे पेयजल, टॉयलेट आदि के इंतजाम को लेकर पहल शुरू कर दी गयी है.
लैंड पुिलंग के बाद काम शुरू
स्टेट हाईवे के किनारे नागरिक सुविधाएं विकसित करने के साथ सुरक्षा पर विभाग ध्यान दे रहा है. विभाग द्वारा नयी लैंड पुलिंग योजना शुरू करने पर विचार हो रहा है. इसमें ली गयी जमीन पर सड़क निर्माण के अलावा अन्य नागरिक सुविधाएं विकसित होंगी.
नंदकिशोर यादव, पथ निर्माण मंत्री
सड़क सुरक्षा परिषद में सुविधाओं पर जोर
सड़कों पर दुर्घटनाओं को कम करने व दुर्घनाग्रस्त लोगों को सुविधा पहुंचाने के लिए गठित सड़क सुरक्षा परिषद में कई निर्णय लिये गये हैं. स्वास्थ्य विभाग को सड़क किनारे ट्रॉमा सेंटर, पथ निर्माण विभाग को ब्लैक स्पॉट को दुरुस्त करने, गृह विभाग को पुलिस पेट्रोलिंग आदि की व्यवस्था शुरू करना है.
सुविधाएं नहीं होने से लोग परेशान
स्टेट हाईवे व जिला सड़क किनारे नागरिक सुविधाएं नहीं होने से लोगों को खासकर महिलाओं को अधिक समस्याएं झेलनी पड़ती हैं. अगर किसी तरह की आवश्यकता पड़ती है, तो सुनसान जगह की तलाश कर वाहन रोकने की नौबत आती है.
इससे कभी-कभी लूटपाट होने का भय बना रहता है. या फिर किसी तरह की अनहोनी से इंकार नहीं किया जा सकता. अगर यात्रा के दौरान नागरिक सुवधाओं की आवश्यकता पड़ती है तो लाइन होटल या किसी प्राइवेट होटल का सहारा लेना पड़ता है.
वैसे वह भी महफूज नहीं है. इतना ही नहीं सड़क दुर्घटनाएं होने पर ऐसी कोई व्यापक व्यवस्था नहीं है कि दुर्घटना के बाद तुरंत इलाज हेतु किसी ट्रॉमा सेंटर पहुंचा जा सके.
इससे दुर्घटना के बाद तुरंत समुचित इलाज के अभाव में लोगों की मौत हो जाती है. स्टेट हाइवे सड़कों पर एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं रहने से दुर्घटनाग्रस्त लोगों को किसी नजदीक के अस्पताल पहुंचाना भी मुश्किल होता है.
सरकार विकसित करेगी नागरिक सुविधाएं
अब स्टेट हाईवे किनारे नागरिक सुविधाएं विकसित करने पर सरकार सोच रही है. विभाग ने कार्य योजना बना कर काम करने का निर्णय लिया है. विभाग अपनी जमीन पर यह व्यवस्था करेगा. ताकि गुजरनेवाले लोगों को इन चीजों के लिए परेशानही नहीं हो. विभागीय सूत्र ने बताया कि सड़क किनारे की जमीन पर लोग जहां-तहां अतिक्रमण कर लेते हैं. इसलिए सड़क की जमीन पर पेयजल, टॉयलेट, होटल, ट्रॉमा सेंटर आदि बनाये जायेंगे. स्टेट हाईवे पर पुलिस पेट्रोलिंग की भी सुविधा होगी.
फोर लेन पर एंबुलेंस, क्रेन, पेट्रोलिंग की सुविधा
राज्य में फोर लेन पर जहां टॉल टैक्स वसूले जाते हैं, उन सड़कोंपर एंबुलेंस, क्रेन, पेट्राेलिंग की व्यवस्था है. फोर लेन सड़कों पर कटने वाले टॉल रसीद पर इन सुविधाओं के फोन नंबर उपलब्धहोते हैं. इसके अलावा सड़क किनारे साइन बोर्ड पर भी जगह-जगह डिस्प्ले किये जाते हैं.

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