पटना सिटी: श्री गुरु गोविंद सिंह अस्पताल में कहने को तो स्वीकृत बेडों की संख्या 394 है, जबकि वर्तमान में 127 बेड ही सही स्थिति में हैं. अस्पताल में अधीक्षक के अलावा दो दर्जन चिकित्सक कार्यरत हैं.
इनमें पांच स्त्री रोग विशेषज्ञ शामिल हैं. मरीजों की देखभाल के लिए 38 पारा मेडिकल स्टाफ व कर्मचारी की लंबी भी है. इसके बाद भी स्थिति यह है कि गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों को चिकित्सा सुविधा अस्पताल में उपलब्ध न करा कर उन्हें रेफर कर दिया जाता है. शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों से यहां मरीज उपचार के लिए पहुंचते हैं. इतना ही नहीं, इंडोर में भरती मरीजों को सुविधाएं नहीं मिलतीं.
नियमित नहीं होता एक्सरे : अस्पताल में अल्ट्रासाउंड मशीन बंद है. आउट सोर्सिग से चलनेवाली एक्स-रे मशीन भी नियमित रूप से नहीं खुलती है, जबकि नियमानुकूल यह सेवा 24 घंटे उपलब्ध होनी चाहिए. हाल यह है कि अस्पताल की इमरजेंसी में उपचार कराने के लिए आनेवाले मरीजों को एक्स-रे का लाभ नहीं मिल पाता है. पैथोलॉजी में संसाधनों की कमी बनी है, तब रूटीन जांच ही करायी जाती है. दवा का अभाव है. हालांकि, अस्पताल प्रशासन ने 65 तरह की दवाओं की सूची भेजी थी. इनमें 36 तरह की दवाएं ही आपूर्ति हुई है. सबसे दयनीय स्थिति अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड की है. यहां तो रूई से लेकर दवाओं तक की आपूर्ति नहीं हुई है. अस्पताल का स्ट्रेचर व व्हील चेयर भी खराब है, इस कारण मरीजों को लाने में काफी परेशानी होती है. जिला स्तरीय अस्पताल की इन्हीं कमियों के कारण मरीज भरती होना नहीं चाहते, जो मरीज अस्पताल आते हैं, डॉक्टर उन्हें रेफर करने की तैयारी में जुट जाते हैं.
चुनाव बाद होगा सुधार : मॉडल व आधुनिक अस्पताल बनाने की कवायद में जुटे रोगी कल्याण समिति के अध्यक्ष सह अनुमंडल पदाधिकारी त्याग राजन एसएम कहते हैं कि अस्पताल की व्यवस्था में सुधार हो, इसके लिए वह लगातार कार्य कर रहे हैं. दवाओं की कमी पर रोगी कल्याण समिति के फंड से दवाओं की खरीदारी का आदेश अधीक्षक को दिया गया है, ताकि मरीजों को परेशानी नहीं हो. चुनाव बाद फिर कार्य में तेजी लाया जायेगा.