और ना ही उससे संबंधित साक्ष्य जमा कराया गया था. चूंकि आवेदन वकील के माध्यम से भेजा गया था, इसलिए उस पर हस्ताक्षर नहीं किया गया. हस्ताक्षर न होने का आधार बनाते हुए चुनाव आयोग ने उस आवेदन को देखा ही नहीं. शरद गुट ने इस बार हस्ताक्षरयुक्त आवेदन चुनाव आयोग को सौंपा है तथा साक्ष्य के लिए चार हफ्ते का समय मांगा है.
जदयू से निष्कासित पूर्व महासचिव अरुण कुमार श्रीवास्तव ने मीडिया से बातचीत में कहा कि हमलोगों ने पहले भी चुनाव आयोग से यही कहा था कि जदयू को बनाने में हमलोगों का हाथ है, हमलोगों ने मेहनत कर बनाया है. इसलिए इस पर हमलोगों का असली दावा है. पार्टी ने जो सर्वसम्मति से निर्णय लिया था, उसी के तहत वह पार्टी और विपक्ष को मजबूत करने में जुटे हैं. उन्होंने कहा कि 17 सितंबर को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भावी रणनीति का खुलासा किया जायेगा.