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बाढ़ कोर्ट में फायरिंग : गोलीबारी होती रही, एक-दूसरे को घसीटते रहे बंधे 12 बंदी बंदी
सुनियोजित साजिश के तहत घटना को दिया गया अंजाम, अपराधी कर चुके थे रेकी पटना : बाढ़ कोर्ट में हुई घटना में पूरी तरह से पुलिसकर्मियों की लापरवाही सामने आयी है. एक ही रस्सी में 12 बंदियों को पेशी के लिए ले जाया गया और उनकी सुरक्षा में मात्र छह पुलिसकर्मी लगाये गये. अपराधियों ने […]
सुनियोजित साजिश के तहत घटना को दिया गया अंजाम, अपराधी कर चुके थे रेकी
पटना : बाढ़ कोर्ट में हुई घटना में पूरी तरह से पुलिसकर्मियों की लापरवाही सामने आयी है. एक ही रस्सी में 12 बंदियों को पेशी के लिए ले जाया गया और उनकी सुरक्षा में मात्र छह पुलिसकर्मी लगाये गये. अपराधियों ने फायरिंग की तो एक ही रस्सी में बंधे होने के कारण कोई भी बंदी एक जगह से नहीं हट पाया. क्योंकि, वे एक-दूसरे को घसीटते रहे. अपराधी गुड्डू सिंह को गोली मारने के इरादे से आये थे और दो अन्य बंदियों को भी गोली लग गयी. जबकि, उनकी सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी फायरिंग होते ही कोर्ट हाजत में घुस कर छुप गये. जिन्हें हाजत में बंद कैदियों ने मारपीट कर बाहर निकाला.
नाइन एमएम पिस्टल से किया गया हमला
अपराधियों ने इस घटना में नाइन एमएम की पिस्टल का उपयोग किया है. पुलिस को मौके से तीन खोखे व गुड्डू सिंह के चप्पल मिले हैं. बरामद खोखा से यह जानकारी मिली है कि नाइन एमएम पिस्टल से घटना को अंजाम दिया गया है. साथ ही जांच में यह बात भी सामने आयी है कि सुनियोजित साजिश के तहत इस घटना को अंजाम दिया गया है और इसके पूर्व भी अपराधी रेकी कर चुके हैं. खास बात यह है कि कोर्ट में सुरक्षा को लेकर सैप जवान, जिला बल तथा पुलिस पदाधिकारी तैनात है, इसके बावजूद बंदी को अपराधी अपना निशाना बना कर भाग निकले.
हत्या से ग्रामीणों का फूटा गुस्सा, एनएच जाम
मोकामा. कुख्यात गुड्डू सिंह की हत्या के बाद जलालपुर के ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा. उन्होंने गांव के पास एनएच 80 पर उतर कर जाम लगा दिया. शाम छह बजे से लेकर आठ बजे तक एनएच पर जाम की स्थिति बनी रही. ग्रामीण हत्या में शामिल अपराधियों की गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे. ग्रामीणों के हंगामे की सूचना मिलते ही पंचमहला ओपी, मरांची, हथिदह आदि कई थाने की पुलिस जाम स्थल पर पहुंची.
वहीं उग्र लोगों को समझा बुझा कर मामला भाांत करने का प्रयास किया, लेकिन लोग मानने को तैयार नहीं हुए. जाम की वजह से वाहन सवार लोगों के बीच अफरातफरी का माहौल बना रहा. बाद में बीडीओ नीरज कुमार व अन्य प्रबुद्ध लोगों ने हस्तक्षेप कर मामले को शांत कराया. तब जाकर एनएच पर यातायात सामान्य हुआ.
एक के बाद एक हत्या कर गुड्डू चढ़ता गया अपराध की सीढ़ी
मोकामा : बिहार व झारखंड में कुख्यात गुड्डू सिंह का नेटवर्क फैला था. उसके गिरोह में इलाके के कई चर्चित अपराधी शामिल थे. हत्या, अपहरण व लूट जैसी दर्जनों संगीन वारदात कर गुड्डू अपराध की दुनिया का बादशाह बन चुका था. मोकामा के जलालपुर निवासी गुड्डू सिंह अपने गांव में ही मुकेश कुमार की हत्या कर अपराध की दुनिया में कदम रखा.
बाद में नागो राम, फकीरा तांती आदि कई लोगों की हत्या में उसकी संलिप्तता रही थी. वहीं शिक्षक मणिकांत सिंह हत्याकांड के बाद वह काफी चर्चा में आया. मणिकांत सिंह की ट्रेन में हत्या हुई थी. इस घटना के बाद गुड्डू चार–पांच साल तक जेल में रहा. फिर जेल से छूटते ही ट्रेन ब्रेकवान लूटकांड में बंटवारे के विवाद में अपने सहयोगी वीरू सिंह (डुमरा निवासी) की हत्या कर दी.
फिर हेमजा निवासी सौरव कुमार, पिता–पुत्र दोहरे हत्याकांड समेत कई वारदतों से वह दोबारा पुलिस के टारगेट पर था. पिछले साल बेगूसराय के सिमरिया में एक नर्स के बच्चे का अपहरण के बाद वह पुलिस के हत्थे चढ़ गया था. सूत्रों की माने तो गुड्डू बाढ़ जेल से ही गिरोह का संचालन कर रहा था. उसे राजनीति से जुड़े लोगों का संरक्षण भी प्राप्त था. उसने अपने गुर्गों की मदद से झारखंड में सुपारी किलिंग की तीन–चार वारदातें भी कीं.
चर्चा है कि हाल ही में राजनीतिक पाला बदलने का खामियाजा गुड्डू को जान गंवा कर भुगतना पड़ा. पंचमहला में हुए पिता–पुत्र दोहरे हत्याकांड में कोर्ट में गवाही चल रही थी. हाल ही में उसके गुर्गे ने गोलीबारी कर गवाहों को धमकाया था. उसने जेल से बाहर आने के लिये नया राजनीतिक संपर्क साधा था. कयास लग रहा है कि गुड्डू का पाला बदलना उसके सहयोगियों को ही नागवार गुजरा.
पटना : कोर्ट की ऐसी सुरक्षा कि कोई भी कुछ कर जाये
पटना : बाढ़ कोर्ट के अंदर पुलिस व वकीलों से खचाखच भरे जगह में गुड्डु सिंह को गोली मारने व दो को घायल करने की घटना के बाद एक बार फिर से कोर्ट की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो गये हैं. यह पहली घटना नहीं है, जब कोर्ट के अंदर आसानी से अपराधी गोली और बम चला कर निकल चुके हैं और पुलिस हिरासत से कैदी भाग चुके हैं. इसके पूर्व भी कई बार घटनाएं हो चुकी हैं और कोर्ट की सुरक्षा को लेकर आवश्यक व्यवस्था भी किये गये. अतिरिक्त पुलिस बल, मेटल डिटेक्टर आदि लगाया गया. लेकिन यह केवल नाम का है. पटना के सिविल कोर्ट में भी सुरक्षा की लचर व्यवस्था है.
कोर्ट सुरक्षा को लेकर हुईं कई बैठकें, लेकिन नहीं हुआ कोई काम : बाढ़ कोर्ट में सुरक्षा को लेकर कई बार अधिकारियों ने बैठक की. लेकिन, ठोस नतीजा सामने नहीं आ सका. न तो सीसीटीवी कैमरे ही लगाये गये और न ही बंदियों की सुरक्षा व्यवस्था ही दुरुस्त हुई. बाढ़ कोर्ट में 2007 में सरेआम पेशी के लिये जा रहे बंदी संजु सिंह को अपराधियों ने गोलियों से छलनी कर दिया था. इस हमले में पुलिसकर्मी गणेश यादव की मौत हो गयी थी. अब तक कई बंदियों पर हमले हो चुके हैं. लेकिन, सुरक्षा तंत्र में सुधार नहीं हो पाया.
एसओपी का पालन नहीं
कोर्ट परिसर में हत्या या बड़ी वारदात को अंजाम देने का यह कोई पहला मामला नहीं है. पिछले वर्ष अप्रैल में आरा कोर्ट परिसर में बम विस्फोट धमाका किया गया था, जिसे एक महिला ने अंजाम दिया था.
इसमें दो अपराधी फरार हो गये थे. इसके बाद छपरा कोर्ट परिसर में एक कैदी को गोली मार दी गयी थी. इससे पहले वर्ष 2015 में आरा कोर्ट परिसर में ही बम विस्फोट की घटना हुई थी. पिछले दो वर्षों में राज्य के विभिन्न कोर्ट परिसरों में करीब 3-4 वारदातें हो चुकी हैं. पिछले वर्ष ही छपरा कोर्ट की वारदात के बाद पुलिस महकमा ने सुरक्षा के लिए एक विस्तृत एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर) जारी किया था.
सीसीटीवी : मिले थे 72.38 करोड़
गृह विभाग ने पिछली घटनाओं के आधार पर सभी जिलों में डीएम की अध्यक्षता में एक सुरक्षा कमेटी का गठन किया था, जिसके आधार पर सभी कोर्ट परिसर की सुरक्षा के लिए एसओपी तैयार की गयी थी. इसके मद्देनजर गृह विभाग ने इसी वर्ष मार्च में 61 जिला और अनुमंडल स्तरीय कोर्ट में सीसीटीवी लगाने के लिए 72.38 करोड़ रुपये जारी किये थे. परंतु प्राप्त सूचना के अनुसार, अभी तक सभी कोर्ट परिसर में सीसीटीवी लगाने का काम पूरा नहीं हुआ है. इसके अलावा भी एसओपी के अनुसार सुरक्षा मानकों का पालन पूरी तरह से किसी जिला, अनुमंडल समेत अन्य किसी स्तर के कोर्ट में नहीं किया जाता है.
एसओपी में इन बातों का करना है पालन
सभी कोर्ट परिसर में डीएफएमडी (डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर) लगाना है. इससे होकर सभी लोगों का गुजरना अनिवार्य होगा.
कार, मोटरसाइकिल और साइकिल की पार्किंग परिसर से बाहर करनी है.
वाहनों की पार्किंग कोर्ट से एक निश्चित दूरी पर ही बनानी है. पर्याप्त संख्या में पुलिस बल की तैनाती.
कोर्ट परिसर के अंदर, बाहर और सभी प्रमुख स्थलों पर सीसीटीवी कैमरा लगाना है.
इसके अलावा कोर्ट के मुख्य द्वार के अंदर प्रवेश के लिए हैंड मेटल डिटेक्टर से चेकिंग के बाद ही अंदर जाने की अनुमति मिलेगी.
परिसर में अतिक्रमण या बेमतलब के लोगों का प्रवेश बंद करना चाहिए, खासकर जब सुनवाई चल रही हो.
कैदी वाहन आने के बाद परिसर की सुरक्षा को खासतौर से बढ़ा देनी है. वाहन या कैदी से परिसर में किसी को मिलने की अनुमति नहीं होगी.
व्यवहारिक दिक्कतों के कारण मानक का पालन नहीं हो पाता है.
रस्सी छोड़ पुलिसकर्मी वहां से भाग गये
जख्मी विकेश ने बताया कि वे लोग हाजरी देने के बाद एक ही रस्से में बंधे होने के कारण एक साथ ही गेट से नीचे उतर रहे थे. इसी बीच चार-पांच युवक सामने आ गये और उन लोगों ने फायरिंग शुरू कर दी. एक ही रस्से में बंधे होने के कारण वे लोग भी वहां से हट नहीं पाये.अपराधियाें ने गुड्डू सिंह को गोली मारी और उनकी ताबड़तोड़ फायरिंग से बरकुन महतो व गुड्डू सिंह को भी गोली लग गयी.
लेकिन, गोली जैसे ही अपराधियों ने चलायी, वैसे ही उन लोगों की रस्सी को छोड़ कर सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी वहां से भाग गये. विकेश के अनुसार छह पुलिसकर्मियों को सुरक्षा में लगाया गया था. वे लोग हाजत में घुस गये और जब हाजत में बंदियो द्वारा उन लोगों को अस्पताल पहुंचाने की जिद्द की जाने लगी और मारपीट की गयी, तो वे लोग बाहर निकले और फिर सभी बंदियों को अलग-अलग किया. इसके बाद सभी को अस्पताल ले जाया गया. करीब आधा घंटा तक गुड्डू सिंह खून से लथपथ स्थिति में तड़पता रहा.
तब भी नहीं ली सबक
सितंबर 2007 में पटना सिविल कोर्ट में पेशी के लिए लाये गये कुख्यात हरिवंश गोप पर ताबड़तोड़ बम व गोलियों की बौछार कर हत्या कर दी गयी थी.
जनवरी 2015 में आरा कोर्ट में बम विस्फोट की घटना हुई थी और इसमें एक महिला और एक कांस्टेबल की मौत हो गयी थी और 15 लोग घायल हो गये थे. इस दौरान कुख्यात अपराधी लंबू शर्मा व अखिलेश उपाध्याय फरार हो गया था.
इसी साल बेतिया कोर्ट में कुख्यात अपराधी बबलू दूबे की गोली मार कर हत्या कर दी थी. बबलू दूबे पश्चिम चंपारण के कुख्यात अपराधियों में से एक था और इस पर दो दर्जन से अधिक आपराधिक मामले दर्ज थे. इस घटना ने भी बेतिया कोर्ट के साथ ही बिहार के अन्य कोर्ट की सुरक्षा पर सवाल हुए थे. लेकिन स्थिति जस की तस है.
अप्रैल 2016 में अपराधियों ने मुजफ्फरपुर काेर्ट में सूरज की गोली मार कर हत्या कर दी थी. इस घटना को भी अंजाम देकर अपराधी निकल भागने में सफल रहे थे. यह मामला भी मुजफ्फरपुर कोर्ट का पहला मामला था, जो अंजाम दिया गया और वहां की सुरक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान छोड़ गया था.
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