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पटना-दीघा रेलखंड : हर माह में छह लाख से अधिक का घाटा
पटना : हाईकोर्ट ने दीघा-पटना रेलखंड पर प्रत्येक माह छह लाख से अधिक का घाटा होने और आमदनी मात्र सात हजार रुपये प्रति माह पर सवाल उठाया है. कोर्ट ने कहा कि घाटा सह कर रेल मंत्रालय क्यों इस रेलखंड पर ट्रेन चला रहा है. क्यों नहीं यहां छह लेन सड़क निर्माण कराने की योजना […]
पटना : हाईकोर्ट ने दीघा-पटना रेलखंड पर प्रत्येक माह छह लाख से अधिक का घाटा होने और आमदनी मात्र सात हजार रुपये प्रति माह पर सवाल उठाया है. कोर्ट ने कहा कि घाटा सह कर रेल मंत्रालय क्यों इस रेलखंड पर ट्रेन चला रहा है. क्यों नहीं यहां छह लेन सड़क निर्माण कराने की योजना बन रही है. इससे आमजन ज्यादा लाभांवित हो सकें.
इस संबंध में पूर्व मध्य रेलवे के जीएम को 11 अक्तूबर की सुनवाई में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया गया. जस्टिस डाॅ रवि रंजन एवं जस्टिस एस कुमार की खंडपीठ ने इस मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए शुक्रवार को सुनवाई के दौरान ये बातें कहीं. गौरतलब है कि पिछली सुनवाई में ही अदालत ने घाटा सह कर पटना-दीघा रेलखंड पर डीएमयू ट्रेन चलाये जाने व सड़क निर्माण के लिए भूमि राज्य सरकार को नहीं सौंपे जाने पर सवाल खड़ा करते हुए जवाब-तलब किया था.
गांधी सेतु : केंद्र सरकार से जवाब-तलब
हाईकोर्ट ने उत्तर बिहार को दक्षिण बिहार से जोड़नेवाले गांधी सेतु पुल की दयनीय स्थिति पर केंद्र सरकार से दो सप्ताह के अंदर स्थिति स्पष्ट करते हुए जवाब देने का निर्देश दिया है. चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन व जस्टिस डाॅ अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने दिनेश कुमार खुरपीवाला की ओर से दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया.
पटना. हाईकोर्ट ने सीवान के बहुचर्चित व्यवसायी हत्याकांड में पूर्व एमएलसी मनोज कुमार सिंह को बड़ी राहत प्रदान करते हुए अग्रिम जमानत मंजूर कर ली. न्यायाधीश अरविंद श्रीवास्तव की एकलपीठ ने पूर्व एमएलसी मनोज कुमार सिंह की ओर से दायर अग्रिम जमानत याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिया. गौरतलब है कि 15 नवंबर, 2015 को पचरूखी थाना क्षेत्र निवासी व्यवसायी हरिशंकर सिंह का अपहरण कर हत्या कर दी गयी थी.
पटना : हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी सात निश्चय योजना के दो निश्चय में अदालत द्वारा दिये गये आदेश के तहत राज्य सरकार द्वारा संशोधन किये जाने के मामले में सरकार से 12 अक्तूबर तक स्थिति स्पष्ट करते हुए जवाब देने का निर्देश दिया है. चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन एवं जस्टिस डाॅ अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने बिहार राज्य मुखिया संघ की ओर से दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया.
याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि यह मामला नल जल, पक्की नाली और गली योजना से जुड़ी हुई है. इसमें पंचायती राज कानून के तहत मुखिया को दिये गये अधिकार में राज्य सरकार द्वारा संशोधन कर दिया गया है, जो संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ है.
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