गौरतलब है कि राजधानी के किदवईपुरी स्थित सहकारी गृह निर्माण समिति के भूखंड पर बिल्डर तिरूपति होम्स ने बिल्डिंग बायलॉज का उल्लंघन कर और फर्जी नक्शा के आधार पर व्यावसायिक भवन होटल नेश इन का निर्माण शुरू किया. इसके खिलाफ निगम प्रशासन ने निगरानीवाद केस दर्ज किया गया. इसमें मामले में 25 जुलाई को हाईकोर्ट ने बिल्डर के सिविल रिव्यू को खारिज कर दिया था. इसके बाद निगम प्रशासन को अवैध हिस्सा तत्काल तोड़ने की कार्रवाई करनी थी, लेकिन 15 दिनों का नोटिस देकर छोड़ दिया गया. सिविल रिव्यू खारिज होने के 44वें दिन अवैध हिस्सा तोड़ने का आदेश दिया गया. इस अवधि में बिल्डर ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर किया, जिसमें वह स्टे लेकर आ गया.
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होटल नेश इन: 44 दिनों तक सुप्रीम कोर्ट के स्टे का इंतजार करता रहा निगम ?
पटना : होटल नेश इन के अवैध हिस्से को तोड़ने पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल रोक लगा दी है. बिल्डिंग ट्रिब्यूनल और हाईकोर्ट में दायर सीडब्ल्यूजेसी व सिविल रिव्यू के फैसले के अनुसार इसे 44वें दिन यानी गुरुवार तक तोड़ देना था. गौरतलब है कि राजधानी के किदवईपुरी स्थित सहकारी गृह निर्माण समिति के भूखंड […]
पटना : होटल नेश इन के अवैध हिस्से को तोड़ने पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल रोक लगा दी है. बिल्डिंग ट्रिब्यूनल और हाईकोर्ट में दायर सीडब्ल्यूजेसी व सिविल रिव्यू के फैसले के अनुसार इसे 44वें दिन यानी गुरुवार तक तोड़ देना था.
गौरतलब है कि राजधानी के किदवईपुरी स्थित सहकारी गृह निर्माण समिति के भूखंड पर बिल्डर तिरूपति होम्स ने बिल्डिंग बायलॉज का उल्लंघन कर और फर्जी नक्शा के आधार पर व्यावसायिक भवन होटल नेश इन का निर्माण शुरू किया. इसके खिलाफ निगम प्रशासन ने निगरानीवाद केस दर्ज किया गया. इसमें मामले में 25 जुलाई को हाईकोर्ट ने बिल्डर के सिविल रिव्यू को खारिज कर दिया था. इसके बाद निगम प्रशासन को अवैध हिस्सा तत्काल तोड़ने की कार्रवाई करनी थी, लेकिन 15 दिनों का नोटिस देकर छोड़ दिया गया. सिविल रिव्यू खारिज होने के 44वें दिन अवैध हिस्सा तोड़ने का आदेश दिया गया. इस अवधि में बिल्डर ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर किया, जिसमें वह स्टे लेकर आ गया.
15 दिनों में अवैध हिस्सा तोड़ने का दिया था नोटिस : हाईकोर्ट ने सीडब्ल्यूजेसी में फैसला दिया. इसके बाद बिल्डर ने हाईकोर्ट में सिविल रिव्यू दाखिल किया. 25 जुलाई को हाईकोर्ट ने बिल्डर के सिविल रिव्यू को भी खारिज कर दिया. इसके बाद नगर आयुक्त ने तीन अगस्त को नोटिस दिया, जिसमें बिल्डर से कहा गया कि 15 दिनों में अवैध हिस्सा तोड़ दें. लेकिन, बिल्डर ने अवैध हिस्सा नहीं तोड़ा. इस नोटिस अवधि में कार्यपालक अभियंता अविनाश सिंह, विजय कुमार लाल व उप निदेशक सत्येंद्र कुमार सिंह की टीम ने अवैध हिस्सा चिह्नित किया. नगर आयुक्त द्वारा दिये गये नोटिस की अवधि 18 अगस्त को ही खत्म हो गयी, लेकिन निगम प्रशासन अवैध हिस्सा तोड़ने के बदले सुप्रीम कोर्ट के स्टे के इंतजार में बैठा रहा.
केस व कब-कब कहां से आया फैसला
3 अक्तूबर, 2013 : होटल नेश इन पर निगरानीवाद केस दर्ज
10 जुलाई, 2010 : नगर आयुक्त कोर्ट का फैसला
16 फरवरी, 2015 : बिल्डिंग ट्रिब्यूनल में दायर अपील खारिज
5 जुलाई, 2016 : हाईकोर्ट में दायर सीडब्ल्यूजेसी में नगर आयुक्त कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा गया
25 जुलाई, 2017 : हाईकोर्ट में दायर सिविल रिव्यू खारिज
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