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BIHAR : आजादी की लड़ाई में संघ की अहम भूमिका रही है : राकेश सिन्हा
संघ विचारक सिन्हा ने कहा-इतिहासकारों ने जानबूझ कर स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में संघ की भूमिका को नजरअंदाज किया है. भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान आरएसएस ने साफ तौर पर ब्रिटिश सरकार को सहयोग से मना कर दिया, सरकार इससे विक्षुब्ध हुई. संघ पर सबसे अधिक प्रताड़ना वाला कानून लगाया गया. पटना : आजादी की […]
संघ विचारक सिन्हा ने कहा-इतिहासकारों ने जानबूझ कर
स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में संघ की भूमिका को नजरअंदाज किया है. भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान आरएसएस ने साफ तौर पर ब्रिटिश सरकार को सहयोग से मना कर दिया, सरकार इससे विक्षुब्ध हुई. संघ पर सबसे अधिक प्रताड़ना वाला कानून लगाया गया.
पटना : आजादी की लड़ाई में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की अहम भूमिका थी. सविनय अवज्ञा आंदोलन हो या भारत छोड़ो आंदोलन, संघ के कार्यकर्ताओं ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था. महाराष्ट्र के चिमोड़ नामक जगह पर तिरंगा फहराने के क्रम में कई स्वयंसेवकों की जानें गयी थी.
जो बच गये उनमें कुछ को आजीवन कारावास तक की सजा मिली. पटना आये संघ के विचारक राकेश सिन्हा ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि इतिहासकारों ने जानबूझ स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में संघ की भूमिका को नजरअंदाज किया है. उन्होंने बताया कि भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान आरएसएस ने साफ तौर पर ब्रिटिश सरकार को सहयोग से मना कर दिया, सरकार इससे विक्षुब्ध हुई.
संघ पर सबसे अधिक प्रताड़ना वाला कानून लगाया गया. अगस्त 1940 में संघ को प्रतिबंधित कर दिया गया. संघ एक झंडा-एक मंच के नारे के साथ आंदोलन में खड़ा रहा. संघ ने सशक्त क्रांति की आकांक्षा को नहीं छोड़ा था. ब्रिटिश सरकार की रिपोर्ट है कि सरकार को आशंका और यह संभावना थी कि आजाद हिंद फौज व संघ मिलकर सशक्त क्रांति ला सकती थी. संघ प्रचारक ने कहा कि देश के लिए गांधी व नेहरू की अपनी भूमिका थी, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं की दीनदयाल उपाध्याय, डॉ हेडगेवार, राम मनोहर लोहिया, जय प्रकाश और आंबेडकर जैसे महापुरुषों को हाशिये पर रखा जाये. सुभाषचंद्र बोस को दो पंक्तियों में इतिहास में निपटा दिया जाये.
इतिहास की पुस्तकों में ऐसा ही होता रहा है. उन्होंने बताया कि एनसीईआरटी की पुस्तक में गुरु तेग बहादुर व दिल्ली विवि की पुस्तक में भगत सिंह की व्याख्या अपने तरीके से की गयी. ऐसे त्रुटियों को दूर करना यदि भगवाकरण है तो यह जारी रहना चाहिए. आरएसएस पर आरक्षण को खत्म करने संबंधी आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि संघ प्रमुख मोहन भागवत ने साफ तौर पर कहा है कि आरक्षण तब तक जारी रहेगा जब तक सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक भेदभाव के शिकार लोग इससे मुक्त नहीं हो जाये.
सिन्हा ने कहा कि संघ भारत में धर्मनिरपेक्षता की परिभाषा इसलिए सवाल खड़ा करता है कि इस देश में अल्पसंख्यक तुष्टीकरण पर आधारित राजनीति हो रही है.
हिंदू कट्टरवाद को बढ़ावा देने संबंधी आरोपों पर संघ विचारक ने कहा कि संघ भारत की विविधता को अक्षुण्ण बनाये रखना चाहता है. बिहार में सामाजिक सांस्कृतिक जीवन को पुनर्जीवित करने की जरूरत है. इंदिरा गांधी के खिलाफ जेपी आंदोलन में संघ शरीक हुआ था. इसके बाद बोफोर्स मुद्दे पर वीपी सिंह के साथ खड़ा हुआ. ऐसे अवसर पर बीजेपी सक्षम व सशक्त रूप से अपना निर्णय लेती है.
अल्पसंख्यक संस्थानों को ऐसी बाढ़ आ रही है जैसे इस देश में मुख्यधारा की संस्थाएं अल्पसंख्यक को शिक्षा देने में असमर्थ साबित हो रही हो. यह ऐसी चीजें पैदा करती है जो किसी भी देश के लिए घातक होता है.
हमने 1947 से पहले इसे भुगता है. संघ पूजा पद्धति के मामले में पूर्ण आजादी के साथ सांस्कृतिक सहभागिता की बात करता है. संविधान सभा में बिहार मुस्लिम लीग के अध्यक्ष तजामुल हसन ने सदस्य के रूप में जो बातें कहीं उसकी चर्चा इतिहास की एक भी पुस्तक में नहीं है.
उन्होंने संविधान सभा में कहा था कि ब्रिटेन चला गया इसके साथ ही अल्पसंख्यक अवधारणा भी चली गयी. मैं उम्मीद करता हूं कि इसे अपने शब्दकोश बाहर फेंक दिजिये. मेरी पूजा पद्धति आपसे भिन्न है इसका कतई अर्थ नहीं की मैं अल्पसंख्यक हूं. दूसरे सदस्य एचसी मुखर्जी ने भी धर्म के आधार पर अल्पसंख्यकों को एक राष्ट्र एक जन के सिद्धांत को प्रतिघात की तरह माना है.
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