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परचा लीक की सीबीआइ जांच नहीं

आदेश. लोकहित याचिका को पटना हाइकोर्ट ने किया खारिज पटना : बहुचर्चित बिहार कर्मचारी चयन आयोग परचा लीक मामले की सीबीआइ जांच कराने की मांग वाली लोकहित याचिका को पटना हाइकोर्ट ने खारिज कर दिया. अदालत ने स्पष्ट किया कि चूंकि इस मामले में राज्य सरकार द्वारा एसआइटी का गठन कर मामले में जांच करायी […]

आदेश. लोकहित याचिका को पटना हाइकोर्ट ने किया खारिज
पटना : बहुचर्चित बिहार कर्मचारी चयन आयोग परचा लीक मामले की सीबीआइ जांच कराने की मांग वाली लोकहित याचिका को पटना हाइकोर्ट ने खारिज कर दिया. अदालत ने स्पष्ट किया कि चूंकि इस मामले में राज्य सरकार द्वारा एसआइटी का गठन कर मामले में जांच करायी गयी है. इसमें कई लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है और मामला निचली अदालत में चल रहा है. ऐसे में सीबीआइ जांच की आवश्यकता नहीं है. चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन एवं जस्टिस डॉ. अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव की ओर से दायर लोकहित याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिया.
1171 असिस्टेंट प्रोफेसरों की बहाली प्रक्रिया शुरू : सूबे में 1171 असिस्टेंट प्रोफेसर की बहाली की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गयी है. यह जानकारी बिहार लोक सेवा आयोग की ओर से हाइकोर्ट को दी गयी. जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह की एकलपीठ ने डॉ मधुकर की ओर से दायर रिट याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिया. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि 25 अगस्त को निर्धारित की है.
सीबीआइ जांच तीन माह में
होगी पूरी : रिकाॅर्ड में छेड़छाड़ कर जमानत हासिल किये जाने के मामले में सीबीआइ जांच तीन माह में पूरी कर ली जायेगी. यह जानकारी सीबीआइ के अधिवक्ता ने पटना हाइकोर्ट को दी. चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन एवं जस्टिस डॉ अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने मामले में स्वत: लिये गये संज्ञान पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिया. गौरतलब है कि मुनचुन कुमार राय वाद में पटना हाइकोर्ट की खंडपीठ द्वारा स्वत: संज्ञान लेकर मामले की जांच का जिम्मा सीबीआइ को सौंपी गयी थी.
पटना : माओवादी हमला और माओवादी संगठन से संबंध रखने के आरोप में अभियुक्त बनाये गये बलदेव रविदास को आज पटना हाइकोर्ट ने बड़ी राहत प्रदान करते हुए नियमित जमानत पर छोड़ने का निर्देश दिया.
जस्टिस नीलू अग्रवाल की एकलपीठ ने बलदेव रविदास की ओर से दायर नियमित जमानत याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिया. याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि रेलवे स्टेशन के नजदीक पुल निर्माण स्थल पर मार्च 2017 में माओवादियों द्वारा हमले किये गये था. इस मामले में याचिकाकर्ता सहित करीब 63 लोगों को अभियुक्त बनाते हुए सिरदला थाना में मामला दर्ज किया गया था.
इन सभी पर आरोप था कि इन्होंने घटनास्थल पर लाल सलाम जिंदाबाद, माओवादी जिंदाबाद का नारा लगाते हुए निर्माण स्थल पर हमला कर गाड़ियों में आग लगा दी थी, जिसमें कुछ लोग घायल भी हुए थे. याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि यह हमला भीड़ में किया गया था और सह अभियुक्त द्वारा पुलिस के समक्ष इकबालिया बयान का न्याय की दृष्टि में कोई महत्व नहीं है. अदालत को यह भी बताया गया कि याचिकाकर्ता का माओवादी संगठन से कोई संबंध नहीं है.
कैंट में कचरे की स्थिति पर केंद्र से स्पष्टीकरण
पटना. दानापुर कैंट क्षेत्र में कूड़ा-कचरा निस्तारण किये जाने को लेकर आमजन को हो रही परेशानियों पर पटना हाइकोर्ट ने गंभीरता दिखाते हुए सरकार से स्थिति स्पष्ट करते हुए जवाब देने का निर्देश दिया है.
चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन एवं जस्टिस डॉ. अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने सत्यानंद राय की ओर से दायर लोकहित याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिया. याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि दानापुर कैंट क्षेत्र में कूड़ा-कचरा डंप किया जा रहा है. जिस कारण आस-पास रहने वाले लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड रहा है. वहीं इस मामले में दानापुर नगर परिषद द्वारा बताया गया कि यहां पिछले 18-19 वर्षों से कूड़ा-कचरा निस्तारण किया जा रहा है.
अतिक्रमित भूमि को मुक्त कराने का निर्देश
पटना :राजधानी पटना के शास्त्री नगर थानान्तर्गत राजाबाजार (सलेमपुर डुमरा) में अतिक्रमित भूमि को छह माह के भीतर मुक्त करने का निर्देश पटना हाइकोर्ट ने जिला प्रशासन एवं अंचलाधिकारी को दिया है.
चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन एवं जस्टिस डॉ. अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने विनय सिंह की ओर से दायर लोकहित याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिया. मामले में अदालत को बताया गया कि नगर निगम द्वारा अतिक्रमण स्थल को चिह्नित कर कार्रवाई हेतु जिला प्रशासन व अंचलाधिकारी को कार्रवाई हेतु रिपोर्ट भेजा जा चुका है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी है.
पटना : केंद्रीय चयन पर्षद सिपाही भर्ती (सीएसबीसी) द्वारा वर्ष 2015 में निकाले गये कक्षपालों की नियुक्ति में लिखित परीक्षा पास कर चुकी वैसी महिला अभ्यर्थियों को जो गर्भवती होने के कारण शारिरिक परीक्षा में शामिल नहीं हो सकी थीं उन्हें पटना हाइकोर्ट ने बड़ी राहत दी है.
हाइकोर्ट ने चयन पर्षद को निर्देश दिया है कि ऐसी अभ्यर्थियों की फीजिकल टेस्ट के लिए उनके मातृत्व लाभ के अनुसार तिथि निर्धारित करें. जस्टिस ज्योति शरण की एकलपीठ ने इशिता राज, नाज परवीन एवं अन्य अभ्यर्थियों की ओर से दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए गुरुवार को यह निर्देश दिया. याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) द्वारा 19 मार्च, 2016 को कक्षपालों की भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला था.
भर्ती के लिए तीन चरण की परीक्षा ली जानी थी. इसके लिए लिखित परीक्षा 18 सितंबर, 2016 को ली गयी. वहीं, फीजिकल टेस्ट की तिथि 18 जनवरी, 2017 निर्धारित की गयी. पर, लिखित परीक्षा पास कर चुकी करीब एक दर्जन से अधिक अभ्यर्थी उस समय साढ़े छह माह की गर्भवती थी.
फलस्वरुप गर्भवती अभ्यर्थियों ने चयन पर्षद को इस आशय का लखित आवेदन देते हुए परीक्षा की तिथि चार माह विस्तारित करने की प्रार्थना की. लेकिन, चयन पर्षद द्वारा इसे खारिज कर दिया गया. जिसपर याचिकाकर्ता ने पटना हाइकोर्ट में रिट याचिका दायर कर न्याय की गुहार लगायी.
याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया था की ऐसी अभ्यर्थि गर्भधारण के एडवांस स्टेज में है ऐसे में उनका फीजिकल टेस्ट लिया जाना संभव नहीं है और उन्हें उनके अधिकारों से रोका जाना संविधान के अनुच्छेद 21 का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन है. इससे पूर्व इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस डाॅ रवि रंजन की एकलपीठ ने मामले का निष्पादन होने तक ऐसे अभ्यर्थियों के लिए सीट आरक्षित रखने का निर्देश दिया था.

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