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काउंटर स्ट्राइक गेम के आधार पर विदेशी को बना दिया आतंकवादी

शर्मनाक : समस्तीपुर पुलिस की करतूत, लेबनान का है नागरिक पटना : पुलिस किसी पर एक बार लगाये झूठे आरोप को सही साबित करने के लिए किस हद तक जा सकती है. इसका नायाब उदाहरण सीतामढ़ी जेल में बंद लेबनान का 21-22 वर्षीय युवा फदी फैडेल है. पिछले वर्ष जुलाई महीने में नेपाल से भटक […]

शर्मनाक : समस्तीपुर पुलिस की करतूत, लेबनान का है नागरिक
पटना : पुलिस किसी पर एक बार लगाये झूठे आरोप को सही साबित करने के लिए किस हद तक जा सकती है. इसका नायाब उदाहरण सीतामढ़ी जेल में बंद लेबनान का 21-22 वर्षीय युवा फदी फैडेल है. पिछले वर्ष जुलाई महीने में नेपाल से भटक कर सीतामढ़ी पहुंचना फदी को इतना महंगा पड़ा कि वह बिना किसी आरोप के करीब एक वर्ष से सीतामढ़ी की जेल में ही बंद है.
समस्तीपुर जिला पुलिस और सदर थाना उसे गफलत में गिरफ्तार करने की बात स्वीकारने के बजाये उसे हर तरह से आतंकी साबित करने पर तूली है. हद तो हो गयी कि हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई शुरू होने पर पुलिस वालों ने काउंटर स्ट्राइक नामक वीडियो गेम की सभी डिटेल और कोडिंग का प्रिंट ऑउट निकाल कर उसे आतंकी साबित करने लगा. इस प्रिंट ऑउट की एफएसएल (फॉरेंसिक साइंस लैब) से जांच तक करवा कर रिपोर्ट भी पेश कर दी कि ये दस्तावेज आतंकी साजिश से जुड़े हुए हैं. परंतु हाई कोर्ट में जब मामले की सुनवाई हुई, तो पुलिस की सभी फर्जी दलील परत दर परत खुल गयी.
एफएसएल की जांच रिपोर्ट को तैयार करने वाले सीनियर साइंटिस्ट के पद पर विराजमान दिलीप कुमार एक ब्लैस्टिक एक्सपर्ट हैं, उन्हें साइबर और कंप्यूटर विशेषज्ञता की जानकारी तक नहीं है. तभी तो वह गेम के कोड और वास्तविक आतंकी प्लान के बीच फर्क तक नहीं कर पाये. इस मामले में कोर्ट ने एफएसएल के निदेशक उमेश कुमार को भी तलब किया है. इस मुकदमा को लड़ रही वकील शमा सिन्हा ने बताया कि हाई कोर्ट ने लेबनानी नागरिक फदी फैडेल को जमानत दे दी है.
पुलिस ने इस तरह उलझाया मामले को
आइओ ने लेबनान फोन कर मांगी घूस
इस पूरे प्रकरण में सबसे दुखद पहलू है कि समस्तीपुर सदर थाना के प्रभारी और इस केस के आइओ (जांच अधिकारी) इंस्पेक्टर विजय गुप्ता ने फदी के भाई को लेबनान में फोन किया और घूस तक मांग ली.
फदी शायद पहले ही जेल से छूट जाता, लेकिन पुलिस ने एफएसएल से जांच कराने और इसकी रिपोर्ट पेश करने का सहारा लेकर मामले को पांच-छह महीने जबरन खींच दिया.
फदी को जब सीतामढ़ी बाजार के मोहन चौक से 7 जुलाई 2016 को गिरफ्तार किया गया था, तो वह रॉयल इनफिल्ड मोटरसाइकिल पर था और उसकी पीठ पर एक छोटा बैग था. बैग की तलाशी में एक हार्ड डिस्क भी मिला था. इस हार्ड डिस्क में काउंटर स्ट्राइक गेम भी मिला. इसी गेम को खोलकर तमाम चित्रों का प्रिंट ऑउट दे दिया और इसके आधार पर आतंकी साबित कर दिया.
आइओ और चारजेल से फोन पर बातचीत के प्रमुख अंश
फदी का भाई चारजेल : हैलो
आइओ : हां, हैलो. क्या मिस्टर चारजेल बोल रहे हैं?
चारजेल : हैलो
आइओ : मैं सीतामढ़ी, बिहार, इंडिया से बोल रहा हूं.
चारजेल : ओके
आइओ : मैं मिस्टर फदी फैडेल के केस में इंवेस्टिगेटिंग ऑफिसर हूं.
चारजेल : मेरे पास एक दूसरा व्यक्ति है, जो हिन्दी में बात कर सकता है.
ट्रांसलेटर : क्या बात बोले थे? वे भाषा नहीं समझे थे, आप हमको बताइये,
आइओ : सवाल है कि केस जो चल रहा है. कोई आदमी यहां आयेगा तभी तो समझायेंगे कैसे है आगे का प्रोसेस?
ट्रांसलेटर : वहां जाना होगा?
आइओ : हां, हां, आना होगा.
ट्रांसलेटर : और दूसरा कोई उपाये
आइओ : अब देखिये, क्योंकि टाइम बहुत लग रहा है, समझ गये. और इस तरह आप लोग काम किजीयेगा तो लगता है कि कभी ये सॉल्व होगा.
ट्रांसलेटर : यहां से जाने में बहुत लंबा प्रोसेस न है और समय लगता है.
आइओ : सवाल है कि इसमें कुछ प्रोसेस और है, कुछ ऐसी बात है, जो इंवेस्टिगेशन के क्रम में आयी है. उसके अनुसार ये जो काम होता है. जब तक कोई आदमी आयेगा नहीं, या उसका कोई मेम्बर आ जाये, या फिर ब्रदर आये, उसके बाद आगे बात होगा जी.
ट्रांसलेटर : मेन बात है यहां से जाने में बहुत लंबा प्रोसेस है न, समय लगेगा.
आइओ : अच्छा, तो ऐसा करते हैं… देखिये, हम इस केस को देख रहे हैं, समझ गये न. अब देखिये ये बात है कि हम भी तो लीबिया नहीं जा सकते.
ट्रांसलेटर : जी
आइओ : इसके बाद आगे जो काम करना है. अब जैसे कि वे जो आदमी आया है, पता चला कि वह दुबई में काम करता है. जांच करना है कि दुबई में सही में काम करता था. उसके पैरेंट्स हैं या नहीं है, उसका बैक ग्राउंड क्या है? इस संबंध में, ये सब करना है.
ट्रांसलेटर : हैलो….. ये काम तो एंबैसी का न है?
आइओ : ठीक है, तो माने एंबैसी है तो, हम भी तो काम कर रहे हैं (थोड़ी देर तक शांति).
ट्रांसलेटर : हैलो
आइओ : तो ठीक है, फिर एंबैसी से ही काम करवायें. और क्या करना है.
ट्रांसलेटर : ना, दूसरा उपाये है तो बताइये, जो यहां से नहीं जाने में आती हो. (कोई जवाब नहीं और फोन बंद)

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