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मंथन. प्रभात खबर ने जीएसटी का आम आदमी पर असर को लेकर की चर्चा, विशेषज्ञ बोले – अब दिखने लगा है असर पटना : जीएसटी का मतलब गुड्स एंड सर्विस टैक्स (वस्तु व सेवा कर) होता है. देश में जीएसटी लागू होने के दो सप्ताह बाद उसका असर आम लोगों से लेकर कारोबारियों पर दिखने […]

मंथन. प्रभात खबर ने जीएसटी का आम आदमी पर असर को लेकर की चर्चा, विशेषज्ञ बोले – अब दिखने लगा है असर
पटना : जीएसटी का मतलब गुड्स एंड सर्विस टैक्स (वस्तु व सेवा कर) होता है. देश में जीएसटी लागू होने के दो सप्ताह बाद उसका असर आम लोगों से लेकर कारोबारियों पर दिखने लगा हैं.
एक देश एक कर कहे जानेवाली इस सेवा को मौजूदा सरकार आजादी के 70 साल के बाद सबसे बड़ा टैक्स सुधार कह रही है. हालांकि, आमलोग नये टैक्स प्रावधानों को लेकर दुविधा की स्थिति में हैं. उन्हें इस बारे में कुछ खास जानकारी नहीं होने के कारण वे इसके परिणामों को लेकर आशांकित हैं.
जीएसटी के संबंध में आम लोगों के बीच व्याप्त भ्रम को दूर करने और जानकारी देने के उद्देश्य से प्रभात खबर ने रविवार को अपने कार्यालय में जीएसटी को लेकर एक परिचर्चा का आयोजन किया. इस परिचर्चा में उद्योग संगठन के अधिकारी, जीएसटी के जानकार, विभिन्न सेक्टर के कारोबारी तथा आम लोगों ने भाग लिया. परिचर्चा में आम उपभोक्ताओं को जीएसटी से कितना फायदा और नुकसान हुआ है. और आनेवाले दिनों में इसका असर आम लोगों पर क्या पड़ेगा.
इस पर हर लोगों ने अपने-अपने विचार खुल कर रखे. उभर कर कई बातें सामने आयी, जहां तक कर की बात है, तो कर एक समान किया गया. एक समान करने के कारण कुछ वस्तुएं किसी राज्य में सस्ती हो सकती हो किसी राज्य में पूर्व की तरह महंगी हो सकती है. लेकिन, यह असर दो-तीन फीसदी से अधिक नहीं होगा. इसके विपरित कई सेक्टर ऐसे हैं, जहां कर प्रणाली में सुधार होने के कारण वस्तुओं के मूल्य में अच्छी कमी आयी है. यह उपभोक्ताओं के लिये फायदे की बात हैं. उपभोक्ताओं को किस वस्तु पर क्या टैक्स लगेंगे, इसकी जानकारी आम लोगों को रखनी पड़ेगी. उपभोक्ताओं को हर छोटे-बड़े सामान का बिल अवश्य लेना चाहिए.
आम आदमी के बिल लेने से पारदर्शी आयेगी. पहले की तरह कोई दुकानदार बिल को सभी कर सहित कह कर नहीं काट सकता है. नये प्रावधान से आम लोगों को पता चलेगा कि उसके बिल में कितना टैक्स लगा हुआ है. अब उपभोक्ताओं को यह ध्यान देना होगा कि बिल में केंद्र सरकार का टैक्स सीजीएसटी और राज्य सरकार का टैक्स यानी एसजीएसटी का अलग-अलग उल्लेख है या नहीं.
मशींद्र मशी, सीए और जीएसटी के जानकार
जीएसटी के बाद कपड़ा पहनना महंगा हो गया है. आजादी के बाद पहली बार कपड़ाें पर किसी तरह का टैक्स लगाया गया है. अब ग्राहकों को हर कपड़े पर पांच फीसदी का टैक्स चुकाना होगा. पहले की तुलना में लोग कपड़े पर कम खर्च करेंगे. जीएसटी से पहले कपड़ों पर राज्य सरकार ने वैट लगाया था, जो कि दो हजार रुपये की साड़ी और 500 रुपये से अधिक मूल्य के प्रति मीटर कपड़े पर थे.
पुरुषोतम कुमार चौधरी, सचिव, पटना थोक वस्त्र व्यवसायी संघ
दवा व्यापार को लेकर जीएसटी एक अच्छा कर प्रणाली है. इससे उपभोक्ताओं को सही और उचित मूल्य पर दवाएं मिलेंगी. लेकिन, उपभोक्ताओं को इस बात पर ध्यान देना होगा कि वे जहां से भी दवा खरीदें तो कैश मेमो अवश्य लें. कुछ दवाओं को छोड़ कर अधिकांश दवाएं सस्ती हुई हैं. इसका लाभ गरीब को मिलेगा. सरकार ने दवा पर पांच तरह के टैक्स लगाये हैं, जो न्याय संगत नहीं है. जनता के हित में सरकार को एक ही टैक्स निर्धारित करना चाहिये, ताकि उसका लाभ आम लोगों को मिले.
परसन कुमार सिंह, अध्यक्ष, बिहार ड्रगिस्ट एंड केमिस्ट एसोसिएशन
जीएसटी के बाद सरकार की मंशा है कि अधिकांश वस्तुओं की कीमत कम हो जाये. अब उपभोक्ताओं को जागरूक होना पड़ेगा, जहां से सामान ले रहे हैं, बिना बिल की खरीदारी न करें. यह भी ध्यान रखें कि बिल में जो मूल्य लिया जा रहा है, वह अधिक तो नहीं है. इसके लिए सरकार भी सजग है. विज्ञापन के माध्यमों से लोगों को जागरूक कर रही है.
नवीन कुमार मोटानी, जीएसटी कमेटी सदस्य, बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज
जीएसटी लागू होने के बाद इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम के दाम कम हुए हैं. खासकर एलइडी बल्ब, सोलर लाइट आदि की कीमत में काफी कमी आयी है. जहां तक उम्मीद है कि आनेवाले दिनों में इलेक्ट्रॉनिक्स सामान और सस्ता होंगे. उपभोक्ता हर सामान का बिल जरूर लें और जहां तक संभव हो ऑनलाइन भुगतान करें. ग्राहक सरकार की ओर से तैयार भीम एप का प्रयाेग कर सकते हैं. अभी जीएसटी सबके लिये नया है इस कारण परेशानी है. पर इससे आम आदमी को फायदा है.
गोविंद सिंह, प्रमुख, जीत इलेक्ट्रीक
सरकार ने जीएसटी पर टैक्स कलेक्शन का अधिकार व्यापारियों को दिया है. कोई भी ग्राहक कोई सामान खरीदता है, तो दुकानदार से बिल अवश्य ले. जीएसटी के तहत किसी वस्तु का सस्ता या महंगा होना कोई बहुत बड़ा बदलाव नहीं है. कुछ समय के लिये कुछ चीजों में अस्थिरता है. जीएसटी के बारे में किसी तरह की जानकारी को एंड्रॉयड आधारित एप जीएसटी रेट फाइंडर बना है. जिसमें पूरी जानकारी दी गयी है.
राजेश कुमार खेतान, सीए और जीएसटी के जानकार
जीएसटी से आम उपभोक्ताओं को कुछ फायदा अवश्य हुआ है. उनके दैनिक उपयोग में काम आनेवाली वस्तुओं के दाम में कमी आयी है. जिसका असर एक-दो माह बाद लोगों को दिखेगा. क्योंकि, अभी भी दुकानदारों के पास पुराने स्टॉक के माल हैं. एक कर होने से कर के ऊपर कर नहीं चुकाना पड़ेगा. खुला खाद्यान्न टैक्स के दायरे से बाहर है, लेकिन पैकेट बंद खाद्यान्न जीएसटी के बाद महंगे हो गये हैं. अब उपभोक्ता को सजग होना होगा, तभी जीएसटी का लाभ उन्हें मिलेगा.
रमेश चंद्र तलरेजा, महासचिव, बिहार खुदरा विक्रेता महासंघ
सरकार की नजर में कारोबारी और उपभोक्ता एक हैं. सरकार ने जिस तरह कारोबारियों की सुविधा के लिए विशेष सेल का गठन किया है. उसी तरह का एक सेल उपभोक्ताओं के लिये भी होनी चाहिए. ताकि आम उपभोक्ता सेल में अपनी शिकायत दर्ज करा सकें और साथ ही उनकी समस्याओं का समाधान हो सके. इस पर सरकार को गंभीरता से विचार कर हर जिला मुख्यालय में एक सेल का गठन करना चाहिए.
रामलाल खेतान, अध्यक्ष, बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन
ग्राहकों को सबसे पहले यह ध्यान देना चाहिए कि जीएसटी के तहत कोई भी माल बिना बिल के नहीं खरीदें. सरकार को यह ध्यान देना चाहिए कि आम लोगों पर ज्यादा टैक्स का बोझ नहीं पड़े. लेकिन, जीएसटी के बाद बैंकिंग और बीमा सेवा महंगी हो गई है. इस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए, क्योंकि इन सेवाओं से करोड़ों लोग जुड़े हैं. इनमें एक बड़ा वर्ग गरीब वर्ग भी हैं.
उमा शंकर सिंह, उपभोक्ता
जीएसटी के बाद बैंकिंग सेवा पहले की तुलना में महंगी हो गयी है. सरकार ने सर्विस टैक्स को 15 फीसदी से बढ़ा कर 18 फीसदी कर दिया है, जो आम लोगों के हित में नहीं है. सरकार को उपभोक्ताओं की ओर से सामान्य रूप से उपभोग होनेवाले वस्तु पर विस्तृत रूप से दिये जानेवाले जीएसटी दर खुले रूप से विज्ञप्ति हो. आवश्यक वस्तु पर किसी प्रकार का जीएसटी का प्रावधान नहीं होना चाहिए.
संजीव शुक्ला, उपभोक्ता
उपभोक्ताओं की दृष्टिकोण से यह एक नयी पहल है जिसमें उपभोक्ता को मालूम होगा कि किस वस्तु पर सरकार ने कितने टैक्स लिये हैं. जीएसटी आने के पूर्व उपभोक्ता को बहुत कई टैक्स मसलन उत्पाद कर, सेंट्रल टैक्स, चुंगी और सेस चुकाने होते थे. ये सभी वस्तुओं की लैंडिंग कॉस्ट में जुड़ी रहती थी. अब टैक्स में पारदर्शिता आयेगी. अभी तो कहना थोड़ी जल्दी होगी, परंतु जीएसटी की जो परिकल्पना है उससे उपभोक्ताओं को आनेवाले कुछ महीनों में लाभ मिलेगा.
विनोद कुमार, अध्यक्ष, पाटलिपुत्र सर्राफा संघ
ग्राहकों को जीएसटी से डरने की कोई जरूरत नहीं है. एलपीजी ग्राहकों को पहले भी रसीद के साथ ही गैस सिलिंडर मिलता था. गैस एजेंसियों के सारे बिल कंप्यूटराइज होते हैं. अत: इसमें संदेह की जरूरत ही नहीं है. सारा काम पहले भी पारदर्शी था. जीएसटी के कारण गैस पहले से सस्ता हुआ है. जीएसटी के पहले वैट तो एक फीसदी था, लेकिन एक्साइज व उत्पाद पांच फीसदी से ज्यादा होता है.
राम नरेश सिन्हा, अध्यक्ष, एलपीजी वितरक एसोसिएशन

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