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अफसर खेल रहे खेल, नहीं मानते कोर्ट का भी आदेश
अनुदेशकों का समायोजन नहीं होने पर कोर्ट नाराज पटना : पटना उच्च न्यायालय ने शिक्षा विभाग में अनुदेशकों की सेवा समायोजन हो रही देरी पर नाराजगी जाहिर की है. जस्टिस शिवाजी पांडेय की एकल पीठ ने गुरुवार को इस मामले की सुनवाइ करते हुए कहा कि अफसर याचिकाकर्ताओं के साथ खेल-खेल रहे हैं. न तो […]
अनुदेशकों का समायोजन नहीं होने पर कोर्ट नाराज
पटना : पटना उच्च न्यायालय ने शिक्षा विभाग में अनुदेशकों की सेवा समायोजन हो रही देरी पर नाराजगी जाहिर की है. जस्टिस शिवाजी पांडेय की एकल पीठ ने गुरुवार को इस मामले की सुनवाइ करते हुए कहा कि अफसर याचिकाकर्ताओं के साथ खेल-खेल रहे हैं. न तो वह अदालती आदेश का अनुपालन कर रहें हैं और ना ही याचिकाकर्ताओं का समायोजन क्यों नहीं कर रहे हैं, इसका कोई संतोषजनक जवाब दे पा रहे हैं.
अदालत ने शिक्षा विभाग के निदेशक को साफ तौर पर आगाह किया की या तो वह अदालती आदेश का दो सप्ताह में अनुपालन करें या फिर 18 जुलाई को अदालत में स्वयं उपस्थित होकर यह बतायें की क्यों नहीं उनके विरुद्ध अवमानना का मामला चलाया जाये. रंजीत कुमार एवं अन्य की ओर से दायर अवमानना वाद पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह टिप्पणी की.
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता आरके जैन ने अदालत को बताया की यह मामला शिक्षा विभाग के पूर्व अनुदेशकों से जुड़ा हुआ है. अदालत ने पहले पूर्व अनुदेशकों को चतुर्थ वर्ग के पद पर समायोजन करने का निर्देश दिया था. जिसके आलोक में विभाग ने 2240 पूर्व अनुदेशक की सूची तैयार कर दी. वहीं, अभी भी 1600 पूर्व अनुदेशक बाकी हैं.
अदालत को यह भी बताया गया की इस मामले को लेकर आठ याचिकाकर्ताओं ने अदालत में याचिका दायर की थी. इनमें से छह याचिकाकर्ताओं का समायोजन अदालती आदेश के बाद कर ली गयी. वहीं, मामले के मुख्य याचिकाकर्ता सहित दो लोगों का समायोजन नहीं किया जा रहा है. सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने शिक्षा विभाग के निदेशक को साफ लहजे में कहा कि याचिकाकर्ताओं के साथ अधिकारियों द्वारा खेल खेला जा रहा है. अदालत ने शिक्षा विभाग के निदेशक को दो सप्ताह की मोहलत देते हुए साफ कहा कि वे दो सप्ताह के भीतर आदेश का अनुपालन करें या फिर अदालत में हाजिर होने के लिए तैयार रहें.
पटना : पटना उच्च न्यायालय ने पटना के जिलाधिकारी को निर्देश दिया कि वह परिसीमन का प्रावधानों के तहत फतुहा के उन वार्डों का पुन: निर्धारण करें, जिन पर विवाद चल रहा है.
साथ ही अदालत ने पुन:निर्धारण वाले वार्डों के वैसे मतदाता, जो चुनाव लड़ने के इच्छुक और नये परिसीमन के तहत दूसरे वार्डों में स्थानांतरित हो रहे हैं, उन्हें राहत प्रदान करते हुए नामांकन हेतु एक अतिरिक्त दिन देने का निर्देश दिया. जस्टिस एहसानुद्दीन अमानुल्लाह की एकलपीठ ने व्यास सिंह की ओर से दायर याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया. गौरतलब है कि मामले में अदालत को बताया गया था कि वार्ड संख्या एक का कुछ हिस्सा काट कर वार्ड संख्या तीन में शामिल कर दिया गया है. वहीं वार्ड संख्या चार का कुछ हिस्सा काट कर वार्ड संख्या एक में शामिल कर दिया गया है.
अदालत को बताया गया की वार्डों के परिसीमन में प्रावधानों का उल्लंघन किया गया है. शिकायत करने और आपत्ति दर्ज कराने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गयी. अदालत को यह भी बताया गया कि इस संबंध में जिलाधिकारी को ज्ञापन देने पर उन्होंने दो सदस्यीय कमिटी का गठन कर दिया, जिसमें पटना के एडीएम और बाढ़ के उपनिर्वाचन पदाधिकारी को शामिल कर दिया गया. इस दो सदस्यीय कमेटी ने जो रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपी, उसमें काफी आपसी मिलीभगत सहित कई अनियमितताएं पायी गयीं थीं.
जिस पर अदालत ने इस रिपोर्ट को खारिज कर पटना के जिलाधिकारी को निर्देश दिया था कि वे इस मामले की पुन: जांच दो अधिकारियों की सदस्यता वाली कमेटी से कराएं.
अदालत ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान पटना के एडीएम और बाढ़ के उप निर्वाचन पदाधिकारी को भी उपस्थित रहने का निर्देश दिया था. गुरुवार को पटना के जिलाधिकारी की ओर से जो रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत किया गया, उसमें बताया गया कि परिसीमन के तहत वार्ड में मतदाताओं की संख्या 2300 होनी चाहिए थी. वहीं, जांच में 2500 पायी गयी. अदालत ने इसे सूक्ष्म गलती मानते हुए इसे सुधारने का निर्देश दिया. सुनवाई के क्रम में अदालत में पटना के एडीएम और बाढ़ के उप निर्वाचन पदाधिकारी भी उपस्थित थे.
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