Advertisement
चार बेडों के सहारे कागजों पर चल रहा है वन स्टॉप सेंटर
पटना : दुष्कर्म पीड़िता को न्याय दिलाने के उद्देश्य से महिला विकास निगम की ओर से ‘सखी’ नामक वन स्टाॅप सेंटर खोला गया है. लेकिन, सेंटर में पीड़िता को न्याय दिलाने के नाम पर है बस एक कमरा, एक किचेन और कमरे में लगे चार बेड. इसके अलावा सेंटर में न तो कोई कर्मी हैं […]
पटना : दुष्कर्म पीड़िता को न्याय दिलाने के उद्देश्य से महिला विकास निगम की ओर से ‘सखी’ नामक वन स्टाॅप सेंटर खोला गया है. लेकिन, सेंटर में पीड़िता को न्याय दिलाने के नाम पर है बस एक कमरा, एक किचेन और कमरे में लगे चार बेड. इसके अलावा सेंटर में न तो कोई कर्मी हैं और न ही कोई वार्डेन.
अगर है, तो बस एक गॉर्ड जो 24 घंटे कार्य कर रही है. निगम की ओर से चार सालों के लंबे इंतजार के बाद छज्जुबाग स्थित जजेज आवास में बीते दिसंबर में डीएम की उपस्थिति में वन स्टॉप सेंटर खोला गया. करीब 45 लाख रुपये का बजट केवल एक कमरे में चार बेड और करटेन लगाने के नाम पर खर्च कर दिया गया.
सूत्रों की मानें तो सेंटर बस फाइलों में खानापूर्ति करने का काम कर है. निर्भया कांड के बाद आया था वन स्टॉप सेंटर का कॉन्सेप्ट : वर्ष 2012 में 16 दिसंबर को निर्भया कांड के बाद महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से देशभर के प्रत्येक जिले में वन स्टॉप सेंटर की व्यवस्था पर जोर दिया गया. इसके लिए वर्ष 2013 में अलग से निर्भया कोष और जस्टिस उषा मेहरा कमीशन का गठन किया गया. जिसमें वन स्टॉप सेंटर की रूप-रेखा तैयार की गयी. इसके तहत दुष्कर्म पीड़िता को एक छत के नीचे वह सारी सुविधाएं मुहैया करायी जानी थीं, जिससे उसे न्याय दिलाने में मदद मिले. इसके लिए सेंटर की व्यवस्था अस्पताल में की जानी थी, जहां इलाज के साथ-साथ फाॅरेंसिक साक्ष्य की भी व्यवस्था आसानी से हो सके. साथ ही सेंटर पर एक महिला पुलिस कर्मी, कानूनी परामर्शदाता व मनोवैज्ञानिक की व्यवस्था की जानी थी.
महिला विकास निगम की ओर से वर्ष 2015 में ही पांच जिलों में मॉडल हेल्पलाइन बनाया जाना था. समाज कल्याण विभाग की ओर से पांच जिले में मॉडल हेल्पलाइन बनाने की जिम्मेदारी महिला विकास निगम को दी गयी थी. इनमें पूर्णिया, गया, बेगूसराय, गोपालगंज समेत पटना जिले में मॉडल हेल्पलाइन के लिए संबंधित जिला पदाधिकारी को एक हजार वर्गफीट भवन की मांग की गयी थी. प्रति हेल्पलाइन 10 लाख का बजट और पटना जिले के लिए 30 लाख 32 हजार का बजट स्वीकृत किया गया था. लेकिन अब तक व्यवस्था मात्र पटना जिले में है. उसी केंद्र में वन स्टॉप सेंटर भी संचालित किये जा रहे हैं.
यह मिलनी थी सुविधा : सेंटर में डॉक्टर काउंसेलर, वकील, पुलिस अधिकारी व जेंडर परामर्शदाता की भी नियुक्ति होनी थी. इसके अलावा सफाई व हेल्पर कर्मचारी के साथ-साथ फैक्स, टेलीफोन, इंटरनेट व फोटो कॉपी आदि की पूरी व्यवस्था करनी थी.
सेंटर से यह फायदा
सेंटर की स्थापना से हिंसा से पीड़ित महिलाओं को तत्काल मदद.
शारीरिक व मानसिक इलाज की व्यवस्था
काउंसेलरों की मदद से हादसे से उबारने का प्रयास
घटना क्रम के तुरंत मेडिकल व फॉरेंसिक जांच होने का प्रमाण
पुलिस के जरिये पीड़िता को एफआइआर दर्ज कराने में आसानी
वकील घटना क्रम को जान उसे कानूनी प्रक्रिया की जानकारी देंगे.
राहत की कोई व्यवस्था नहीं
वन स्टॉप सेंटर में मॉडल हेल्पलाइन से इतर व्यवस्था की जानी है. जहां पीड़िता को चिकित्सीय सुविधा के साथ-साथ फॉरेंसिक साक्ष्य भी उपलब्ध कराया जा सके. लेकिन, ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की गयी है.
शरद कुमारी, सामाजिक कार्यकर्ता
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement