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झोंपड़ी व मंदिरों में चल रहे स्कूल, जैसे-तैसे हो रही पढ़ाई

प्राथमिक विद्यालय, इंद्रपुरी, रेलवे लाइन 1999 में खोला गया. अपनी जगह से दूर पानी टंकी, बोरिंग रोड के पास यह स्कूल चलता है. इस स्कूल के पास न तो जमीन है और न ही भवन मिला है. दो झोंपड़ी में स्कूल चल रहा है. स्कूल में 80 बच्चे हैं और पांच शिक्षिकाएं है. बच्चे झाड़ू […]

प्राथमिक विद्यालय, इंद्रपुरी, रेलवे लाइन 1999 में खोला गया. अपनी जगह से दूर पानी टंकी, बोरिंग रोड के पास यह स्कूल चलता है. इस स्कूल के पास न तो जमीन है और न ही भवन मिला है. दो झोंपड़ी में स्कूल चल रहा है. स्कूल में 80 बच्चे हैं और पांच शिक्षिकाएं है. बच्चे झाड़ू लगाते हैं. दरी बिछाते हैं. प्रार्थना होती है. फिर पढ़ाई शुरू होती है. बेंच और डेस्क भी नहीं है. जुगाड़ कर पढ़ाई होती है और छुट्टी होने का इंतजार करते हैं.
प्राथमिक विद्यालय, इंदिरा नगर, तेतरी लॉज का हाल और खराब है. स्कूल 1999 में खोला गया. स्कूल के पास न तो जमीन है और न ही भवन. राजापुर स्थिति दुर्गा मंदिर परिसर में यह स्कूल चलता है. मंदिर के ही एक कमरे और उसके बरामदे पर स्कूल चलता है. स्कूल में 40 बच्चे वर्ग प्रथम से पांचवी तक में पढ़ते हैं. दो शिक्षिकाएं हैं. इस स्कूल के पास तो दरी भी नहीं है. बच्चों को जमीन पर ही बैठा कर पढ़ाया जाता है.
रिंकू झा
पटना : जुगाड़ टेक्नोलॉजी तो कई चीजों में हमने देखा और सुना है. लेकिन, स्कूल में शिक्षा व्यवस्था को लेकर जुगाड़ का यह हाल आज से नहीं वर्षों से है. स्कूल में न बेंच है न डेस्क है. झाड़ू लगाया. दरी बिछाई. घंटी बजी और पढ़ाई शुरू. स्कूल के नाम पर एक झोंपड़ी या फिर खुला बरामदा है. एक जगह वर्ग प्रथम से पांचवी तक के बच्चे बैठते हैं. वहीं दूसरी ओर पांचवी और छठी क्लास के बच्चे बैठते हैं. स्कूल में पढ़ाई का यह जुगाड़ टेक्नोलॉजी कोई एक या दो साल से नहीं चल रहा है, बल्कि जब से स्कूल खुला तब से यही हाल है.
72 हजार स्कूलों में 22 हजार बिना भवन के : प्रदेश भर में स्कूलों की कमी नहीं है. लेकिन, इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर स्कूलों के पास कुछ नहीं है. प्रदेश भर में 72 हजार प्राइमरी और मिडिल स्कूल हैं. 72 हजार में 32 हजार प्राइमरी और 40 हजार मिडिल क्लास तक के स्कूल हैं. इसमें 22 हजार स्कूलों के पास भवन नहीं है. शहरी क्षेत्र वाले ऐसे स्कूलों में शिक्षक और शिक्षिकाएं मिल भी जाती हैं, लेकिन ग्रामीण इलाके वाले स्कूलों में शिक्षक भी नहीं हैं.
पटना जिले में 408 स्कूलों के पास है अपना भवन : पटना जिले की बात करें तो 3938 प्राइमरी और मिडिल स्कूल हैं. इसमें 2800 प्राइमरी और 1138 स्कूल मिडिल स्तर के हैं. इसमें से केवल 408 स्कूलों के पास ही अपना भवन है. बाकी स्कूल झोंपड़ी, सामुदायिक भवन, मंदिर, मसजिद आदि जगहों पर चलते हैं.
तेज गरमी और बरसात में बंद हो जाता है स्कूल : जिन स्कूलों के पास भवन नहीं है, वैसे स्कूलों को तेज गरमी और बरसात में बंद कर दिया जाता है. साल भर में कई महीने स्कूल इस कारण बंद रहते हैं. प्राथमिक विद्यालय, इंद्रपुरी की शिक्षिका रानी कुमारी ने बताया कि पंखा की व्यवस्था नहीं होने से गरमी में स्कूल चलाना मुश्किल हो जाता है. इसी तरह बारिश के मौसम में स्कूल को बंद कर देना पड़ता है.
एक कमरे में है स्कूल
मंदिर के कमरे में स्कूल चल रहा है. एक कमरा है. हम क्या कर सकते हैं. इसी में सब करना पड़ता है. आधे बच्चे बाहर तो आधे छोटे से कमरे में बैठते हैं. बारिश होने पर स्कूल को बंद करना पड़ता है.
रीता शर्मा, शिक्षिका, प्राथमिक विद्यालय, इंदिरा नगर, मंदिर में चल रहा
हमारे स्कूल में कुछ नहीं है. दरी पर बैठ कर हम पढ़ते हैं. बहुत गरमी लगती है. जाड़े में ठंडी हवा चलने पर स्कूल बंद हो जाता है. बारिश होती है, तो किताबें भीग जाती हैं. ऐसे में टीचर स्कूल बंद कर देते हैं.
रिमझिम, पांचवीं की छात्रा, प्राथमिक विद्यालय, इंद्रपुरी, रेलवे लाइन, झोंपड़ी में चल रहा
कई स्कूलों को आपस में विलय कर सही करने की कोशिश की जा रही है. लेकिन, अभी और भी स्कूल है जिनके पास अाधारभूत सरचना का अभाव है. झोंपड़ी, मंदिर, मसजिद में चलने वाले स्कूलों को सही किया जायेगा.
राम सागर सिंह, डीपीओ, सर्व शिक्षा अभियान

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