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बैक्टीरिया फ्री होने पर ही शुरू होगी नमामि गंगे

स्वच्छ गंगा : बैक्टीरिया मुक्त नहीं हुआ सीवरेज का पानी, तो रुक सकती है परियोजना केंद्र सरकार ने भले ही नमामि गंगे परियोजना के तहत सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) स्थापित करने के लिए 1050 करोड़ रुपये की मंजूरी दे दी है. लेकिन अब भी बिहार सरकार को कई चुनौतियों से गुजरना होगा. सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट […]

स्वच्छ गंगा : बैक्टीरिया मुक्त नहीं हुआ सीवरेज का पानी, तो रुक सकती है परियोजना
केंद्र सरकार ने भले ही नमामि गंगे परियोजना के तहत सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) स्थापित करने के लिए 1050 करोड़ रुपये की मंजूरी दे दी है. लेकिन अब भी बिहार सरकार को कई चुनौतियों से गुजरना होगा. सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने से पहले राज्य सरकार को सीवरेज के जल को बैक्टीरिया मुक्त बनाने का प्लान स्टेट इन्वायरमेंट इंपैक्ट एसिसमेंट ऑथोरिटी (सिया) को देना होगा. जब तक सिया को सीवरेज का गंदा पानी साफ करने के साथ-साथ उसे बैक्टीरिया मुक्त करने की योजना नहीं दी जायेगी, तब तक सिया नये सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने की अनुमति नहीं देगी. सिया के अनुसार कई बार सीवरेज का जल साफ तो हो जाता है, पर उसमें मौजूद बैक्टीरिया नष्ट नहीं हो पाते हैं. इससे गंगा में मौजूद जीव-जंतुओं पर खतरा मंडराता रहता है.
ऐसे में नमामि गंगे परियोजना के तहत दो नये सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट और मौजूदा सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का नवीनीकरण किया जाना है. दो पंपिंग स्टेशनों के निर्माण और लगभग 400 किलोमीटर तक नये भूमिगत सीवरेज ट्रीटमेंट नेटवर्क बिछाने का कार्य किया जाना है. पटना नगर निगम प्रतिदिन कागज पर 119 एमएलडी सीवरेज का पानी साफ कर गंगा में डाल रहा है. जबकि मात्र 62 एमएलडी पानी ही ट्रीटमेंट होकर गंगा में पहुंच पा रहा है.
पूर्व में गंगा एक्शन प्लान बनने के तहत सीवरेज के गंदे पानी को एक ड्रेन में कलेक्ट कर उसे बेऊर ले जाकर ट्रीटमेंट किया जाना था. इसको सरकार की ओर से मंजूरी भी मिल गयी थी, ताकि सीवरेज के गंदे जल को पूरी तरह से ट्रीटमेंट करने के बाद उसे गंगा में प्रवाहित किया जा सके. लेकिन इन परियोजनाओं पर काम शुरू हो पाने से पहले ही केंद्र सरकार की ओर से नमामि गंगे परियोजना के तहत दो नये सीवरेट ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने की योजना बन गयी.
क्यों जरूरी है बैक्टीरिया मुक्त गंगा का जल : सबसे महत्वपूर्ण है टोटल कॉलिफार्म (टीसी) यानी जल में मौजूद बैक्टरिया की संख्या 500 एमएनपी से अधिक है, तो जल नहाने लायक नहीं रहता है. वहीं, यदि इसकी मात्रा 5000 हजार से अधिक है, तो उसे पीने लायक भी नहीं बनाया जा सकता है. गंगा जल में मात्रा पांच हजार के पार पहुंच चुकी है. बैक्टीरिया मारने के लिए सावधानी से क्लोरीन या फिर अल्ट्रावाॅयलेट-रे का इस्तेमाल होता है.
क्या कहते हैं अधिकारी
दो नये सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किये जाने हैं. लेेकिन पहले सरकार को प्लानिंग में दिखाना होगा कि वह सीवरेज के जल को बैक्टीरिया मुक्त कर पा रही है या नहीं. यदि गंदे जल को बैक्टीरिया मुक्त नहीं किया गया, तो प्लांट की मंजूरी नहीं दी जायेगी.
प्रोफेसर आरसी सिन्हा, चेयरमैन, सिया

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