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नलकूपों को निजी हाथों में सौंपेगी सरकार

पटना : प्रदेश के राजकीय नलकूपों को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी है. इसके पीछे नलकूपों के पंप ऑपरेटरों की कमी बड़ी वजह बतायी जा रही है. पिछले महीने की कैबिनेट बैठक में इससे संबंधित प्रस्ताव पास हो गया है. इससे राज्य के 10,242 नलकूपों से 8,19,360 लाख हेक्टेयर में किसानों को समय पर […]

पटना : प्रदेश के राजकीय नलकूपों को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी है. इसके पीछे नलकूपों के पंप ऑपरेटरों की कमी बड़ी वजह बतायी जा रही है. पिछले महीने की कैबिनेट बैठक में इससे संबंधित प्रस्ताव पास हो गया है.
इससे राज्य के 10,242 नलकूपों से 8,19,360 लाख हेक्टेयर में किसानों को समय पर सिंचाई सुविधा मिल सकेगी. इससे फसल पैदावार में बढ़ोतरी होगी. राज्य में 1960 की दशक से ही बेहतर सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए नलकूप योजना लायी गयी. इसके तहत 10,242 राजकीय नलकूप लगाये गये. इनकी देखभाल के लिए ऑपरेटर भी रखे गये. समय के साथ ऑपरेटर रिटायर करते गये, लेकिन उनकी जगह नयी नियुक्ति नहीं हुई.
रखरखाव के अभाव और अन्य कारणों से कई नलकूप भी बंद होते चले गये. इस समय केवल 5,092 राजकीय नलकूप चालू हैं. इनकी देखभाल के लिए केवल 412 पंप ऑपरेटर हैं. एक राजकीय नलकूप लगवाने में सरकार को करीब 15-20 लाख रुपये खर्च करना पड़ता है. लघु जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव सुधीर कुमार ने कहा कि कैबिनेट से प्रस्ताव पास होने के बाद नलकूपों को निजी हाथों में सौंपने की योजना तैयार की जा रही है. यह व्यवस्था हर जिलास्तर पर लागू की जायेगी. वहीं उसकी समय-समय पर समीक्षा होगी. साथ ही दो साल बाद भी समीक्षा होगी. इस साल जुलाई के अंत तक यह योजना कार्यरूप में परिणत हो जायेगी.
दैनिक कर्मचारी करने लगे हड़ताल : सरकार ने पंप ऑपरेटरों की कमी दूर करने के लिए नयी नियुक्ति के लिए तैयार नहीं हुई, लेकिन दैनिक कर्मचारी रखे गये. करीब तीन महीने तक काम करने के बाद उन्होंने स्थायी करने की मांग को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया. धरना-प्रदर्शन और हड़ताल होने लगे. इससे तंग आकर सरकार ने दैनिक कर्मचारियों को हटा दिया.
सूत्रों की मानें तो सरकार ने पैसे लेकर किसानों को नलकूप से सिंचाई सुविधा देने की नीति बनायी थी. कुछ दिन तो यह व्यवस्था ठीक से चली, लेकिन बाद में फेल हो गयी. इसका कारण बताया गया कि नलकूप बनने के समय तो पंप ऑपरेटर थे. उन्हीं पर राजस्व वसूली की जिम्मेवारी थी, उनके रिटायरमेंट होने और नयी बहाली नहीं होने के वजह से देखभाल और राजस्व वसूली भी चरमरा गयी. वहीं अभी कुल 12 से 15 लाख रुपये महीने ही वसूली हो पाती है. इससे तो बिजली बिल की भरपायी भी नहीं हो पाती.
किनको सौंपा जायेगा नलकूप
राजकीय नलकूपों को निजी हाथों में सौंपने की प्रक्रिया के लिए प्राथमिकता तय किये गये हैं. सूत्रों का कहना है कि पहले जीविका को मौका दिया जायेगा. इसके बाद एनजीओ हैं.
तीसरे नंबर पर सोसाइटी और पंचायत रखे गये हैं. इन सबके बाद ही किसी भी व्यक्ति को मौका दिया जा सकेगा. इनका काम नलकूप से किसान के खेतों को पटवन की व्यवस्था, इसका रखरखाव व देखभाल, रिपेयरिंग और राजस्व वसूली करना है. प्रति नलकूप केवल 10 हजार रुपये सिक्युरिटी लेकर दो साल के लिए सौंप दिये जायेंगे.
समयावधि खत्म होने पर कामकाज की समीक्षा होगी.

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