पटना : राजधानी पटना का चयन स्मार्ट सिटी में होने से सुविधाओं के विस्तार को लेकर उम्मीदें बढ़ गयी हैं. अब केंद्र से लेकर राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन लोगों को स्मार्ट सिटी के तहत आने वाले पांच वर्षों में कई खास सुविधाओं को पूरा करने का दावा करेगा, लेकिन जमीनी स्तर पर स्मार्ट सिटी बनने की राह में चुनौतियां भी कम नहीं हैं.
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पहले बुनियादी सुविधाएं तो दे दीजिए फिर बनाइए राजधानी को स्मार्ट
अाजादी के 70 वर्ष बाद भी राजधानी के लोग शुद्ध पेयजल अभाव, खराब ट्रैफिक, मुख्य रास्तों से लेकर सहायक रास्तों पर अतिक्रमण, शहर में वाहन पार्किंग का अभाव व सफाई की खराब व्यवस्था और पूरे शहर में सीवरेज-ड्रेनेज सिस्टम के अभाव से गुजर रही राजधानी का हाल किसी से छिपा नहीं है. इन समस्याओं से […]
अाजादी के 70 वर्ष बाद भी राजधानी के लोग शुद्ध पेयजल अभाव, खराब ट्रैफिक, मुख्य रास्तों से लेकर सहायक रास्तों पर अतिक्रमण, शहर में वाहन पार्किंग का अभाव व सफाई की खराब व्यवस्था और पूरे शहर में सीवरेज-ड्रेनेज सिस्टम के अभाव से गुजर रही राजधानी का हाल किसी से छिपा नहीं है. इन समस्याओं से कब तक निजात मिलेगी, इस पर कोई आधिकारिक दावा नहीं है. इसलिए जरूरी है कि पटना को स्मार्ट सिटी बनाने की राह में सबसे पहले बुनियादी जरूरतों पर फोकस किया जाये. पेश है रिपोर्ट…
स्मार्ट सिटी बनने की राह में सबसे बड़ी बाधाओं में से एक शहर में गाड़ी पार्किंग की समस्या है. हालांकि नगर निगम की ओर से 52 जगहों पर पार्किंग चिह्नित है, लेकिन इनमें से कई स्थानों पर अतिक्रमण के कारण लोगों को पार्किंग की समस्या से जूझना पड़ता है. बुडको की ओर से पटना जंकशन के पास मल्टी स्टोरी (जी प्लस तीन) वाली वाहन पार्किंग बनी है, मगर वहां कोई गाड़ी नहीं लगाता.
दस वर्षों से हो रहा है काम पर हालात जस-के-तस
वर्ष 2007 में जेनुरुम के तहत पटना को केंद्र सरकार से ठोस कचरा प्रबंधन के तहत 23 करोड़ की राशि मिली थी. तब से शहर को कचरा मुक्त करने का प्रयास किया जा रहा है. इसके लिए हर घर से कचरा उठाव, सड़क व गलियों की सफाई से लेकर कचरा निस्तारण का बेहतर प्रबंधन होना चाहिए. मगर दस वर्ष बीतने के बाद भी हालात में कोई विशेष सुधार नहीं हुआ. हर घर से कचरा उठाव की योजना लागू है, मगर सभी घरों से कचरा नहीं उठता. सफाई कर्मियों की अनदेखी से सड़कों पर डस्टबीन भरे पड़े रहते हैं. मुख्य सड़कों को छोड़ कर अन्य सड़कों की नियमित सफाई नहीं की जाती. कचरा निस्तारण के नाम पर रामाचक बैरिया में कचरा डंप किया जा रहा है.
ड्रेनेज का काम पूरा नहीं होने से समस्या कायम
शहर की एक बड़ी समस्या जल-जमाव की है. दर्जनों इलाकों में आये दिन पानी निकासी नहीं होने की समस्या बनी रहती है. बरसात में तो कई इलाकों में हाल बेहाल हो जाता है. इस समस्या से निबटने को सरकार के एक निश्चय योजना के तहत नली गली निर्माण की योजना है. हर वार्ड में 60 लाख की राशि निर्धारित की गयी है. इसके अलावा बुडको चार जगहों पर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लान व ड्रेनेज पाइप लाइन विस्तार पर काम कर रहा है. फिलहाल शहर में जल जमाव की समस्या बरकरार है. कई प्रोजेक्ट दो चार वर्षों के बाद पूरे होने हैं. बाइपास से सटे दक्षिण तरफ दर्जनों मुहल्लों में अभी तक कोई सिस्टम नहीं बना है.
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