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सभी जिलों में खुलेंगे साइबर क्राइम व सोशल मीडिया यूनिट

पटना : बढ़ते साइबर और सोशल मीडिया क्राइम को रोकने के लिए सरकार ने प्रयास तेज कर दिया है. इसके लिए प्रदेश के सभी जिलों में नयी यूनिट के गठन का फैसला लिया गया है. इसमें तकनीकी रूप से सक्षम पदाधिकारियों की तैनाती की जायेगी और आधुनिक मशीनें लगायी जायेंगी. इसके लिए पैसे जारी कर […]

पटना : बढ़ते साइबर और सोशल मीडिया क्राइम को रोकने के लिए सरकार ने प्रयास तेज कर दिया है. इसके लिए प्रदेश के सभी जिलों में नयी यूनिट के गठन का फैसला लिया गया है. इसमें तकनीकी रूप से सक्षम पदाधिकारियों की तैनाती की जायेगी और आधुनिक मशीनें लगायी जायेंगी. इसके लिए पैसे जारी कर दिये गये हैं. पिछले साल विभिन्न मशीनों को खरीदने के लिए दो करोड़ पांच लाख बीस हजार रुपये दिये गये थे. कुछ मशीनों का कीमत अधिक होने के कारण उन्हें नहीं खरीदा जा सका. अब उन्हें खरीदने के लिए एक करोड़ चार लाख रुपये दिये गये हैं. इनमें मोबाइल फॉरेंसिक सॉफ्टवेयर और राइट ब्लॉकर जैसे उपकरण शामिल हैं.
इनाम राशि का झांसा देकर करते हैं फ्रॉड : गृह विभाग के सूत्रों की मानें तो आये दिन इनाम राशि का झांसा देने वाले फ्रॉड कॉल लोगों का आते हैं. उसमें कहा जाता है कि आपके नाम से लॉटरी निकली है.
यदि आप दिये गये अकाउंट नंबर में रजिस्ट्रेशन फीस के रूप में पांच हजार रुपये जमा करेंगे तो आपको दस लाख रुपये नगद या इस कीमत की गाड़ी दी जायेगी. कई लोगों ने जब उनकी बातों में आकर पैसे जमा कर दिया तो बाद में उन्हें पता चला कि उन्हें न लॉटरी की राशि मिली और न ही कोई गाड़ी. उन्हें फ्रॉड होने का पता चला. ऐसे लोगों ने बिहार की पुलिस से मदद मांगी.
फोन पर मिलती है जान-माल के नुकसान की धमकी : वहीं फ्रॉड कॉल करने वालों को जब कुछ लोगों को ऐसी लालच दी तो उन्हें निगेटिव रिस्पांस मिला. ऐसे में अपराधी सतर्क हो गये और गाली-गलौज करने लगे. ऐसे परेशान लोग भी पुलिस के पास आये और मदद मांगी. इसी तरह फोन पर अश्लील कमेंट, उगाही या जान-माल का नुकसान करने की धमकी के मामले भी सामने आये हैं.
सोशल मीडिया पर अपराधी सक्रिय : सोशल मीडिया पर भी अपराधी सक्रिय हैं. अफवाह फैलाने, गलत तरीके से किसी शख्स पर टीका-टिप्पणी करने और गलत फोटो डालने जैसे वारदात सामने आये हैं. गृह विभाग के सूत्रों को कहना है कि इन पर भी अंकुश लगाना जरूरी है.
डिजिटल सिग्नेचर को विशेषज्ञों ने बताया सुरक्षित
तकनीकी युग और बदलते परिवेश में काम में तीव्रता लाने के लिए डिजिटल सिग्नेचर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. किसी भी हैकर के लिए इसे तोड़ना मुश्किल है. इसलिए यह सुरक्षित है. इ-मेल और इ-कॉमर्स के जमाने में इसके इस्तेमाल से लोगों का काम कम समय में ही पूरा हो जायेगा. फाइलों पर दस्तखत के लिए भागदौड़ नहीं करनी पड़ेगी.
सूचना प्रावैधिकी विभाग की कार्यशाला में मंगलवार को तकनीकी विशेषज्ञों ने अपनी राय जाहिर करते हुए ये बातें कहीं. इस कार्यशाला में केंद्र सरकार के इलेक्ट्रॉनिक और आइटी मिनिस्ट्री के विशेषज्ञों के अलावा बंगलुरू स्थित सीडैक के विशेषज्ञों ने अपनी राय जाहिर की. इस दौरान स्क्रीन पर प्रजेंटेशन द्वारा उन्होंने डिजिटल सिग्नेचर की पूरी कार्यप्रणाली बतायी. उन्होंने कहा कि यह आजीवन के लिए नहीं होता बल्कि दो या तीन साल पर इसकी एक्सपायरी होती है.
इसके बाद इसका रिन्युअल करवाना पड़ता है. इसे ऑफिसियल और पर्सनल कामकाज के लिए अलग-अलग बनवाया जा सकता है.विशेषज्ञों ने कहा कि इसके पासवर्ड के खोने की दशा में हेल्पलाइन पर सूचना देकर इसे लॉक करवाया जा सकता है. उन्होंने धोखाधड़ी की आशंका से इनकार नहीं किया, लेकिन कहा कि सावधानी बरतने पर इस समस्या का निदान हो सकता है. इस कार्यक्रम को संबोधित करने वाले विशेषज्ञों में मुख्य रूप से डॉ बालाजी, मो मिसबाह, शम्सुद्दीन खान, बीएस बिंधु माधव और बेलट्रॉन के पदाधिकारी शामिल रहे.

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