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800 मेगावाट कम हो रही बिजली आपूर्ति, गांवों में संकट
दीपक कुमार मिश्रा पटना : सातों दिन 24 घंटे बिजली आपूर्ति के सरकार के निश्चय की राह कठिन लग रही है. मौजूदा समय में बिजली की मांग और आपूर्ति में सात से आठ सौ मेगावाट का अंतर रह रहा है. अभी रोजाना औसतन 44 से 4500 मेगावाट बिजली की मांग है, जबकि आपूर्ति हो रही […]
दीपक कुमार मिश्रा
पटना : सातों दिन 24 घंटे बिजली आपूर्ति के सरकार के निश्चय की राह कठिन लग रही है. मौजूदा समय में बिजली की मांग और आपूर्ति में सात से आठ सौ मेगावाट का अंतर रह रहा है. अभी रोजाना औसतन 44 से 4500 मेगावाट बिजली की मांग है, जबकि आपूर्ति हो रही है औसतन 35 से 3600 मेगावाट. किसी दिन यह कम भी हो जाती है और किसी दिन बढ़ भी जाती है.
सोमवार को 3900 और मंगलवार को 3500 मेगावाट की आपूर्ति हुई थी. बिजली के लिए बिहार मुख्य रूप से सेंट्रल पुल पर आश्रित है. बिहार को सेंट्रल पुल से 2942 मेगावाट बिजली आवंटित है, लेकिन मिलती 22 से 2300 मेगावाट है. बिहार कई मौकों पर इसको लेकर विरोध जता चुका है. राज्य की अपनी उत्पादन इकाइयां कांटी और बरौनी में नाम मात्र का उत्पादन है. किसी-किसी दिन तो वह भी ठप हो जाता है. राज्य को औसतन हजार मेगावाट बिजली रोजाना खुले बाजार से खरीदनी पड़ रही है. सरकार का दावा है कि शहरी क्षेत्र में औसतन 20 से 22 घंटे और ग्रामीण क्षेत्र में 15 से 16 घंटे बिजली की आपूर्ति हो रही है. राजधानी पटना और कुछ शहरों को छोड़ दिया जाये तो बिजली आपूर्ति के सरकारी दावे और हकीकत में अंतर है.
प्रति व्यक्ति खपत बढ़ कर हो गयी 258 यूनिट
इसमें कोई दो राय नहीं है कि राज्य में नीतीश सरकार बनने के बाद बिजली के क्षेत्र में काफी काम भी हुआ है और आपूर्ति में काफी सुधार हुआ है. बिजली आपूर्ति में सुधार का ही नतीजा है कि राज्य में प्रति व्यक्ति बिजली की खपत 258 यूनिट हो गयी है. पहले यह 203 था. 2005 में बिजली की मांग 1200 मेगावाट थी, जो आज यह बढ़ कर 4500 मेगावाट हो गया है. विद्युतीकरणकी दिशा में भी काम काम हुआ है. साल के अंत तक सभी गांवों में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य है.
सेंट्रल पूल से कम आपूर्ति: राज्य में बिजली संकट का मूल कारण सेंट्रल पूल से राज्य को पूरी आवंटित बिजली का नहीं मिलना है. आवंटित 2942 मेगावाट की जगह औसतन 21 से 2200 मेगावाट बिजली मिलती है. बिहार को आपूर्ति करने वाली एनटीपीसी के यूनिट में अगर उत्पादन प्रभावित होता है, तो सेंट्रल पूल से कम आपूर्ति होती है.
बिजली उत्पादन के मामले में भी राज्य की स्थित अच्छी नहीं है. तीन महत्वपूर्ण परियोजना बांका, कजरा और पीरपैंती अटकी है. इस साल नवीनगर प्रोजेक्ट में उत्पादन शुरू होगा.
कांटी में तीन तथा बरौनी में एक यूनिट कहने को तो चालू है, लेकिन कभी इसमें उत्पादन होता है, कभी नहीं. कांटी के एक यूनिट पिछले पांच महीने से बंद है. ऊर्जा विभाग का आकलन है कि चालू वित्तीय वर्ष 2017-18 में 25119 करोड़ और 2018-19 में 34105 करोड़ यूनिट बिजली की जरूरत राज्य में होगी. अभी राज्य में 85 लाख से बिजली उपभोक्ता हैं, जो 2018 के अंत तक बढ़ कर एक करोड़ से अधिक हो जायेगा.
सरकार सेंट्रल पुल से भी आवंटन बढने की उम्मीद कर रही है. सरकार अक्षय ऊर्जा की दिशा में भी काम कर रही है. इसके लिए राज्य सरकार ने नयी सोलर नीति भी बनायी है.
अगस्त तक 302 गांवों में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य : पटना. राज्य के बिजली विहीन 302 गांवों में अगस्त तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य तय कर दिया गया. जून में 114, जुलाई में 118 और अगस्त में 70 गांवों में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य तय किया गया है.
रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कोरपोरेशन( आरईसी) ने मंगलवार को ग्रामीण विद्युतीकरण की समीक्षा की थी. इसी समीक्षा बैठक में अगस्त तक सभी 302 गांवों में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य तय किया गया. वैसे बिजली कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि बरसात में काम में बाधा आ सकती है.
एक अप्रैल 2017 को राज्य के 437 गांवों में बिजली नहीं थी. सर्वे में पाया गया कि 77 गांवों में कोई आबादी ही नहीं है. मई में कंपनी ने 89 गांवों में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य तय किया था लेकिन इसमें से 59 में ही बिजली पहुंच सकी. कंपनी ने जून में 114, जुलाई में 118 और अगस्त में 70 गांवों में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है. 12 जून तक मात्र पांच गांवों में ही बिजली पहुंच सकी है.
इसमें से 260 गांवों में ग्रिड से तो 42 गांवों में ऑफ ग्रिड यानी सोलर या अन्य माध्यमों से बिजली पहुंचानी है. सबसे अधिक कटिहार जिले के 179 गांवों में बिजली पहुंचाने में बाधा आ रही है. यहां पर कई एजेंसियां काम कर रही हैं. इनर्गो को 30 गांवों का टास्क दिया गया है. सारण, सहरसा व पश्चिम चंपारण के कई गांव नदी के दूसरे छोर पर है. तीनों जिलों के 60 गांवों में बिजली पहुंचानी है.
सेंट्रल पुल से आवंटित बिजली नहीं मिलती है. बाजार से बिजली खरीद कर मांग पूरी की जा रही है. उपभोक्ताओं को परेशान नहीं होने दिया जायेगा.
बिजेंद्र प्रसाद यादव, ऊर्जा मंत्री
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