मोकामा : रोहिणी नक्षत्र बीता, किसानों को बुआई के लिए आर्द्रा नक्षत्र का इंतजार है. टाल में खरीफ फसल लगाने की तैयारी जोरों पर है. खासकर धान का बिचड़ा के लिए खेतों को योग्य बनाया जा रहा है. मई के अंतिम सप्ताह में ही खर-पतवार नाशकदवा व जैविक खाद का प्रयोग खेतों में किया गया. अब जुताई कर मिट्टी को हल्का करने का काम अंतिम चरण में है, जिसको लेकर किसान आसमान में टकटकी लगाये बैठे हैं
लक्ष्मीपुर के शैलेंद्र कुमार कहते हैं अच्छी बारिश हुई, तो किसानों के लिए खेती की राह आसान हो जायेगी. टाल की मिट्टी काफी कड़ी है. वहीं, गरमी में टाल की नदियों के सूख जाने से जल स्तर काफी घट जाता है. ऐसे में बारिश पर निर्भर होना किसानों की विवशता बन गयी है. दूसरी ओर, छोटे किसानों के पास पटवन का साधन उपलब्ध नहीं है. हालांकि, जून के अंतिम सप्ताह तक खरीफ की बुआई हो सकती है. किसानों को खरीफ फसल के अनुकूल मौसम होने की काफी उम्मीद है.
धान की आधुनिक खेती में उदासीन बने किसान : धान की आधुनिक खेती करने में टाल के किसान उदासीन बने हैं, जबकि सरकार आधुनिक तकनीक अपनानेवाले किसानों को अनुदान भी दे रही है. मोकामा के बीएओ रवींद्र कुमार सिंह ने बताया कि अधिकतर किसान परंपरागत खेती ही पसंद करते हैं. आधुनिक तकनीक से खेती के लिए एक भी आवेदन नहीं मिल सका है. मोकामा प्रखंड में 600 हेक्टेयर व घोसवरी में 1736 हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य है.
घोसवरी बीएओ अरविंद कुमार सिंह ने जानकारी दी कि आधुनिक तकनीक से धान लगाने पर दो से ढाई गुणा उत्पादन में बढ़ोतरी होगी. पहले आओ, पहले पाओ के तर्ज पर अनुदान की राशि सीधे किसानों के बैंक खाते में जायेगी.
धान की तकनीक व अनुदान : मोकामा प्रखंड में श्री विधि के लिए 45, जीरो टिलेज के लिए 22, सुगंधित में छह और तनावरोधी तकनीक के लिए 15 किसानों को 2680 रुपये की दर से अनुदान मिलेगा.
घोसवरी प्रखंड में अनुदान के लिए श्री विधि में 123, जीरो टिलेज 31, तनावरोधी में 53 व सुगंधित फसल में 10 किसानों का चयन होगा. वहीं, संकर धान की खेती करनेवाले किसानों को 100 रुपये प्रति किलो की दर से अनुदान की राशि मिलेगी. हालांकि, अनुदान की सीमा 12 किलो बीज की खरीद तक निर्धारित की गयी है.