Advertisement
जुलाई से चालू होगा मोतिहारी सुपर ग्रिड
320 मेगावाट बिजली मिलेगी, पूर्वी व पश्चिमी चंपारण के साथ-साथ सारण प्रमंडल को होगा लाभ पटना : अगले महीने के शुरू में मोतिहारी के अरेराज में बना सुपर ग्रिड चालू हो जायेगा. इसके चालू हो जाने से पूर्वी व पश्चिमी चंपारण के साथ-साथ सारण प्रमंडल के तीनों जिलों छपरा, सीवान और गोपालगंज में बिजली आपूर्ति […]
320 मेगावाट बिजली मिलेगी, पूर्वी व पश्चिमी चंपारण के साथ-साथ सारण प्रमंडल को होगा लाभ
पटना : अगले महीने के शुरू में मोतिहारी के अरेराज में बना सुपर ग्रिड चालू हो जायेगा. इसके चालू हो जाने से पूर्वी व पश्चिमी चंपारण के साथ-साथ सारण प्रमंडल के तीनों जिलों छपरा, सीवान और गोपालगंज में बिजली आपूर्ति में सुधार होगी. उपभोक्ताओं को बेहतर बिजली भी मिलेगी.
400-132 केवीए क्षमता वाले इस ग्रिड से 320 मेगावाट बिजली मिलेगी. इसके चालू हो जाने से राज्य में सुपर ग्रिडों की संख्या 11 हो जायेगी. राज्य में बिजली के संचरण व वितरण व्यवस्था के ढांचे को सुदृढ़ किया जा रहा है. इसके लिए बड़े पैमाने पर राज्य में ग्रिड व पावर सब स्टेशन का निर्माण किया जा रहा है. इस साल के अंत तक राज्य में ग्रिडों की संख्या डेढ़ सौ से अधिक हो जायेगी. राज्य में 10 सुपर ग्रिड है मोतिहारी के चालू हो जाने के बाद इसकी संख्या बढ़कर 11 हो जायेगी. पिछले महीने दरभंगा का सुपर ग्रिड चालू हुआ है.
दक्षिण बिहार में सात सुपर ग्रिड था लेकिन उत्तर बिहार में इसकी कमी देखी जा रही थी. उत्तर बिहार में लंबे समय से सुपर ग्रिड की जरूरत महसूस की जा रही थी. दरभंगा के चालू होने और मोतिहारी के चालू हो जाने के बाद लो वोल्टेज की समस्या दूर होगी. दक्षिण बिहार में पटना, आरा, बांका. लखीसराय, बोधगया, बिहारशरीफ, पुसौली में सुपर ग्रिड है. उत्तर बिहार में किशनगंज और कटिहार में सुपर ग्रिड था.
अब दरभंगा और मोतिहारी में भी हो गया. मोतिहारी ग्रिड से 320 मेगावाट अतिरिक्त बिजली की उपलब्धता हो जायेगी. सेंट्रल सेक्टर के इस ग्रिड को एनटीपीसी की बाढ़-गोरखपुर लाइन से जोड़ा जायेगा. उपभोक्ताओं को अधिक और गुणवत्तापूर्ण बिजली मिलने लगेगी. अभी उत्तर बिहार में 1400 मेगावाट बिजली की आपूर्ति होती है. राज्य में बिजली उपभोक्ताओं की संख्या में बढ़ोतरी के साथ बिजली की भी मांग बढ़ रही है. अभी राज्य में 82 लाख उपभोक्ता हैं. राज्यमें 24 घंटे सातों दिन बिजली आपूर्ति के कंसेप्ट पर काम हो रहा है. बिजली की बढ़ती मांग और खपत को देखते हुए बिजली
संचरण व्यवस्था को दुरुस्त किया जा रहा है. अभी राज्य में 112 ग्रिड है. चालू वित्तीय वर्ष के अंत तक इसकी संख्या बढ़कर 152 हो जायेगी. सभी ग्रिडों के बन जाने के बाद बिजली निकासी की क्षमता कबीब 10000 मेगावाट हो जायेगी. अभी राज्य की बिजली निकासी क्षमता 7000 मेगावाट के करीब है. 2005 में राज्य में 45 ग्रिड था अभी 112 है.
सभी अनुमंडलों में होगा ग्रिड
राज्य योजना के तहत सभा अनुमंडलों में ग्रिड का निर्माण कराया जा रहा है. 30 राजस्व अनुमंडल में 132-33 केवीए का ग्रिड निर्माण कार्य चल रहा है. सभी योजना को अगस्त तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इसके अलावा बांका, जमुई, सीवान, भागलपुर, नवादा, कैमूर और कटिहार में 132- 33 केवीए का ग्रिड बन रहा है.
इसपर 374 करोड़ खर्च हो रहा है. पुराने ग्रिड उपकेंद्रों के जीर्णोद्धार एवं आधुनिकीकरण का काम चल रहा है. इसपर 133 करोड़ खर्च हो रहा है. अभी राज्य में लगभग 10 हजार सर्किट किलोमीटर तार है इसे साल के अंत तक 12500 सर्किट किलोमीटर करने का लक्ष्य है.
कांटी बिजली घर का कोयला संकट अब भी समाप्त नहीं हुआ है. कोल कंपनी का ढाई सौ करोड़ बकाया रहने के कारण कोयला आपूर्ति बाधित हो रही है. कोयला आपूर्ति बाधित होने के चलते बिजली उत्पादन ठप हो जाता है. बिजली घर की एक यूनिट में तो पिछले पांच माह से उत्पादन ठप है.
राज्य सरकार अब इस बिजली घर को पूरी तरह एनटीपीसी को सौंपने का मन बना चुकी है. जल्द ही राज्य मंत्रिमंडल कांटी बिजली घर को एनटीपीसी को सौंपने पर अपनी सहमति दे देगा. राज्य की अपनी दो बिजली उत्पादन इकाइयो में कांटी एक है. इसके अलावा बरौनी है. कांटी बिजली घर से क्षमता के अनुसार उत्पादन नहीं होता है. कांटी में स्टेज एक को दो यूनिट और स्टेज दो की एक यूनिट में कहने को उत्पादन हो रहा है. स्टेज एक में 110-110 मेगावाट की दो इकाई है.
चलने पर भी 220 मेगावाट की जगह औसतन 90 से 100 मेगावाट बिजली मिलती है. कांटी की यूनिट संख्या एक मध्य जनवरी से ही कोयला संकट के कारण बंद है.
यूनिट संख्या दो महीने में दो चार दिन ही उत्पादन होता है. कभी कोयला संकट तो कभी तकनीकी खराबी के कारण उत्पादन बंद हो जाता है. पिछले साल भी कमोबेश यही हाल था. कांटी ताप बिजलीघर में काफी समय तक उत्पादन ठप रहा. इसके बाद इसका आधुनिकीकरण और नवीनीकरण कर यूनिट संख्या एक और दो को चालू किया गया. स्टेज दो में 195 मेगावाट की क्षमता की दो इकाइयों का निर्माण एनटीपीसी के सहयोग से चल रहा है. इसपर 3942.16 करोड़ खर्च आ रहा है. तीसरी यूनिट में उत्पादन शुरू हो गया है. लेकिन कभी-कभार ही इससे बिजली मिल पा रही है. कांटी बिजली घर के संचालन की जिम्मेवारी एनटीपीसी के पास है. कोयला का ढाई सौ करोड़ बकाया है. इसके चलते कोयला मिलने में परेशानी हो रही है.
बाजार से रोजाना खरीदना होता है हजार मेगावाट से अधिक बिजली
राज्य में बिजली की खपत लगातार बढ़ रही है. अभी औसतन 4200 मेगावाट बिजली की मांग है. बिजली के लिए बिहार अभी भी सेंट्रल पूल और बाजार पर निर्भर है. रोजाना बाजार से 1000 से 1200 मेगावाट बिजली खरीदना होता है. किसी-किसी दिन तो तो यह 14 से 15 सौ मेगावाट तक भी पहुंच जाता है. सेंट्रल पूल से बिहार को 2942 मेगावाट बिजली आवंटित है लेकिन औसतन दो से 22 सौ मेगावाट की ही आपूर्ति होती है.
जल्द सौंपा जायेगा एनटीपीसी को
कांटी बिजली घर जल्द पूरी तरह एनटीपीसी को सौंपी जा सकती है. ऊर्जा विभाग बिजली कंपनी और वित्त विभाग में सहमति बन गयी है. मुख्यमंत्री के समक्ष भी इसका प्रजेंटेशन हो चुका है. जल्द ही कैबिनेट में यह मामला जायेगा. एनटीपीसी ऊर्जा सेक्टर का का बड़ा खिलाड़ी है. विभाग और बिजली कंपनी का मानना है कि उसे ताप बिजलीघर चलाने का अधिक अनुभव है. अभी कांटी बिजली घर में एनटीपीसी की 65 फीसदी और 35 फीसदी पावर जेनरेशन कंपनी की भागीदारी है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement