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जहां शिक्षक ही नहीं, वहां कैसे पास होंगे बच्चे

रिंकू झा पटना : माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक नहीं हैं, जो हैं, वे रिटायर होते जा रहे हैं. वहीं, छात्रों की संख्या बढ़ती जा रही है. 2017 में मैट्रिक की परीक्षा में 17 लाख, जबकि इंटर में 12 लाख से अधिक परीक्षार्थी शामिल हुए. अगर 40 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक होने […]

रिंकू झा
पटना : माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक नहीं हैं, जो हैं, वे रिटायर होते जा रहे हैं. वहीं, छात्रों की संख्या बढ़ती जा रही है. 2017 में मैट्रिक की परीक्षा में 17 लाख, जबकि इंटर में 12 लाख से अधिक परीक्षार्थी शामिल हुए. अगर 40 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक होने की बात हो, तो इस हिसाब से मैट्रिक के 17 लाख विद्यार्थियाें पर लगभग 42 हजार शिक्षक और इंटर के 12 लाख विद्यार्थियों पर 30 हजार शिक्षकों की आवश्यकता है. लेकिन, वर्तमान में माध्यमिक और उच्च माध्यमिक मिला कर 32 हजार शिक्षक ही कार्यारत हैं. इनमें 26 हजार माध्यमिक में और छह हजार उच्च माध्यमिक स्कूलों में शिक्षक हैं.
एक शिक्षक पढ़ा रहे कई विषय : कहने के लिए तो 32 हजार शिक्षक प्रदेश भर कार्यारत हैं. लेकिन, शिक्षकों का नियोजन कहीं कम, तो कहीं अधिक है. इसका असर यह है कि किसी स्कूल में शिक्षक 10 हैं, तो किसी स्कूल में एक-दो शिक्षकों से ही कम चल रहा है. कई ऐसे स्कूल हैं, जहां पर माध्यमिक के शिक्षक उच्च माध्यमिक का क्लास लेते हैं. ऐसे में उन स्कूलों या कॉलेजों के शिक्षकों को किसी खास विषय का रिजल्ट खराब होने पर कैसे जिम्मेवार ठहराया जायेगा?
एक स्कूल को चाहिए 10 शिक्षक : बिहार सरकार की नियमावली के अनुसार प्रत्येक माध्यमिक स्कूलों में 10 विषयवार शिक्षक होने चाहिए. वहीं, उच्च माध्यमिक में 16 विषयवार शिक्षक होने चाहिए. लेकिन, ऐसा नहीं है. प्रदेश भर में सैकड़ों ऐसे स्कूल हैं, जहां पर एक या दो शिक्षक ही स्कूल का संचालन कर रहे हैं.
माध्यमिक शिक्षा संघ की मानें, तो प्रदेश भर में 20 से 25 स्कूल ही ऐसे होंगे, जहां पर सारे विषयों के शिक्षक हैं.नियोजन से सबसे ज्यादा आर्ट्स विषय के शिक्षक : 2011 की नियोजनावली के अनुसार शिक्षकों का नियोजन हुआ है. लेकिन, नियोजन में साइंस के शिक्षकों की संख्या सबसे कम है. शिक्षक नियोजन कार्यालय के अनुसार माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में अभी तक 32 हजार शिक्षकों का नियोजन किया गया है. इनमें करीब 13 हजार शिक्षक आर्ट्स विषयों के हैं.
2006 के बाद नियोजित शिक्षक ही हो रहे बहाल : प्रदेश में 2006 के बाद जो भी शिक्षक हैं, वे सभी नियोजित हैं. शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो रही है. सरकारी शिक्षक या नियमित वाले शिक्षक अब रिटायर होते जा रहे है. माध्यमिक में जहां 26 हजार कुल शिक्षक हैं, उनमें 21 हजार नियोजित हैं और बाकी चार हजार नियमित हैं, जो हर साल रिटायर हो रहे हैं.
ऐसे विषयों के भी शिक्षक, जिसमें नामांकन ही नहीं होता
शिक्षकों का नियोजन तो होता है. लेकिन, ऐसे विषयों में नियोजन हो रहा है, जिसमें छात्र नामांकन ही नहीं लेते हैं. शिक्षक नियोजन कार्यालय की मानें, तो मनोविज्ञान, होम साइंस, फिलॉस्फी आदि ऐसे विषय हैं, जिसमें बहुत कम नामांकन होते हैं. लेकिन, इन विषयों के शिक्षक स्कूलों में बड़ी संख्या में है. राम लखन सिंह यादव उच्च विद्यालय की बात करें, तो इस स्कूल में मनोविज्ञान में एक भी नामांकन नहीं है, लेकिन इस स्कूल में इस विषय के दो शिक्षक हैं.
कुछ ऐसा ही हाल पटना कॉलेजिएट उच्च विद्यालय का है. पटना कॉलेजिएट में होम साइंस के चार शिक्षक है, लेकिन नामांकन एक भी नहीं है. बिहार माध्यमिक शिक्षा संघ के महासचिव शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि प्रदेश भर में शिक्षकों की कमी है. एक शिक्षक तीन से चार विषय पढ़ा रहे हैं. वर्षों से कई-कई विषयों में शिक्षकों की कमी है. इसे पहले ठीक होना चाहिए. नियोजन शिक्षक संघ के अध्यक्ष मार्केंडेय पाठक ने कहा कि माध्यमिक और उच्च माध्यमिक में शिक्षकों की बहुत ही कमी है.

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