भागलपुर के अस्पतालों में बढ़ी मरीजों की तादाद, डॉक्टर बोले- ‘ठंड में रहें सावधान, फट सकता है कान का परदा’

Bhagalpur news: भागलपुर में ठंड बढ़ने से सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में चर्म रोगों के मरीजों व इएनटी के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है. चिकित्सकों की मानें तो ठंड में यदि सामान्य लोग भी सावधान नहीं रहेंगे, तो कान का परदा फट सकता है.

By Prabhat Khabar Print Desk | December 4, 2022 2:30 AM

भागलपुर: ठंड बढ़ने से सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में चर्म रोगों के मरीजों व इएनटी के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है. चिकित्सकों की मानें तो ठंड में यदि सामान्य लोग भी सावधान नहीं रहेंगे, तो कान का परदा फट सकता है. ठंड में शारीरिक सफाई पर ध्यान नहीं देने के कारण चर्म रोग की समस्या बढ़ जाती है.

मायागंज अस्पताल के डॉक्टर बोले

मायागंज अस्पताल के इएनटी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एसपी सिंह ने बताया कि ठंड बढ़ने के बाद 20 फीसदी तक गला जाम होने की समस्या, नाक सूखने व कान में इंफेक्शन की समस्या बढ़ गयी है. उन्होंने बताया कि गला जाम होने की समस्या व नाक सूखने से सांस लेने में दिक्कत होती है. इसका असर फेफड़े पर पड़ता है. दम फूलने लगता है. नाक से छींक आने लगती है. गले में खरास हो जाती है. इससे खाने-पीने में दिक्कत होती है.

लोगों की परेशानी इतनी बढ़ जाती है कि काम करने की क्षमता घट जाती है. सर्दी से सुनाई भी कम पड़ता है. नाक का इंफेक्शन कान पर पड़ता है. सही समय पर यदि इलाज नहीं करायेंगे, तो कान का परदा भी फट सकता है. मवाद निकलने लगता है. ठंड व तेज हवा में कान बंद रखना चाहिए. नाक व गला को हवा से बचाना चाहिए. गर्म पानी का सेवन करें व गर्म कपड़े से हमेशा शरीर ढंक कर रखें. अधिक परेशानी होने पर चिकित्सक से सलाह ले सकते हैं.

फसल के धूलकणों से हो रही है एलर्जी, बढ़ रहा है चर्म रोग

चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ शंकर ने बताया कि प्रतिदिन 20 से 25 मरीज इलाज कराने पहुंच रहे हैं. सामान्य दिनों में 10 से 12 मरीज ही आ रहे थे. खाज-खुजली, धूल -मिट्टी से एलर्जी, फसलों से कटाई व कढ़ाई से निकलने वाले धूलकणों से होने वाली एलर्जी के मरीज आ रहे हैं. सबसे अधिक मरीजों की संख्या फंगल नामक बीमारी के मरीज आ रहे हैं. डॉ शंकर ने बताया कि सूती व हवादार कपड़े पहनने चाहिए.

फंगल बीमारी के मरीजों को जूतों से परहेज, शरीर को धूल कणों, धूप से बचाना चाहिए. पौष्टिक आहार का अधिक से अधिक सेवन किया जाना चाहिए. मरीजों को चर्मरोग को हल्के में नहीं लेना चाहिए, त्वचा में थोड़ी सी शिकायत होने पर केवल चर्म रोग विशेषज्ञ की सलाह पर ही दवा लें, ताकि बीमारी को बढ़ने से रोका जा सके.

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