जिले में 40 से 50 फीसदी घटा दूध का उत्पादन

गर्मी के कारण मवेशी भी प्रभावित, ठीक से नहीं खा रहे चारा

By Prabhat Khabar | May 8, 2024 10:14 PM

नवादा कार्यालय. अप्रैल के बाद मई महीने में भी लू की चपेट में नवादा जिला है. इसका असर आम जनजीवन के साथ ही दुधारू मवेशियों पर भी पड़ने लगा है. पशुओं के दूध में तेजी से कमी आ रही है. पशुपालकों के अनुसार, जो गाय सामान्य मौसम में 10 लीटर तक दूध देती है, इन गर्मी के दिनों में पांच से छह लीटर ही दूध दे रही हैं. गायों में सामान्यतः 40 से 50 फीसदी तक दूध का उत्पादन घट गया है. वर्तमान समय में 6,07,719 यानि छह लाख सात हजार 719 लीटर दूध का उत्पादन जिले भर में हो रहा है, जो सामान्य दिनों की तुलना में लगभग आधा ही है. गर्मी की वजह से पशु हांफ रहे हैं और चाव से चारा भी नहीं खा रहे. दूध में गिरावट होने से पशुपालक हलकान हैं. वह गाय व भैंस को दो-दो बार नहलाने से लेकर हरा चारा व दाना आदि खिलाकर दूध बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं.

क्या कहते हैं पशुपालन पदाधिकारी

गर्मी के मौसम में दूध की 40 से 50% की कमी हो रही है. जिले में पशुधन की बहुलता है, लेकिन वर्तमान में दूध का संकट हो गया है. एक मुख्य कारण यह भी है कि कौआकोल और वह प्रखंड के पशुपालक गर्मी का मौसम शुरू होते ही अपने पशुओं को लेकर दूसरे राज्यों में चले जाते हैं. जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ दीपक कुशवाहा ने बताया कि जिले में दुधारू गायों की संख्या एक लाख 82 हजार 863 है और इनसे लगभग नौ लाख 14 हजार 315 लीटर दूध का उत्पादन होता है. इस मौसम में मुख्य रूप से पशुओं को गर्मी व हीट स्ट्रॉक से बचाने की जरूरत है.

पशुओं में लू- हीट स्ट्रोक के लक्षण:

पशुओं में हीट स्ट्रोक का खतरा है कि नहीं इसे पहचान करना आसान है. पशुपालन पदाधिकारी ने कहा कि गर्मी में पशु हांकने लगते हैं एवं खुले मुंह से सांस लेते है. पशुओं के मुंह लार लगातार गिरते रहता है. पशु पानी को रूक-रूक कर बार-बार पीती है. पशुओं के शरीर का तापमान 106 डिग्री से 108°F तक पहुंच जाता है. पशु खाना खाना कम कर देती है. दूधारू पशुओं का दूध उत्पादन कम हो जाता है. पशुओं को चलने में दिक्कत हो जाती है, एवं पशु बैठ जाती है. तो समझना चाहिए की पशुओं में लू या हीट स्ट्रोक के लक्षण है.

पशुओं में लू- हीट स्ट्रोक से बचाव के उपाय:

जिला पशुपालन पदाधिकारी ने कहा कि हीट स्ट्रोक से बचाव के लिए पशुओं को स्वच्छ एवं हवादार जगह पर रखें. पशुओं को रखने वाली जगह पर टिन का शेड है तो उसके ऊपर पुआल या भूसा घास ठंडक के लिए रखे. सुबह एवं शाम पशुओं को स्नान कराये. पशुओं को नमक, मिनरल मिक्सचर एवं मल्टीविटामिन जरूर दे. पशुओं को आहार मे दाने की मात्रा कम एवं हरा चारे की मात्रा बढा दे. पशुओं को ठंडे पानी में तैयार किया हुआ चीनी, भुने हुए जौ का आटा व थोड़ा नमक का घोल बराबर पिलाते रहना चाहिए. पशुओं को पुदीना व प्याज का अर्क बना कर देना चाहिए.

नवादा दुग्ध शीतक केंद्र का भी घटा दूध उत्पादन:

नालंदा डेयरी प्रोजेक्ट के माध्यम से चलाए जा रहे दुग्ध शीतक केंद्र नवादा के पदाधिकारी रमाकांत शर्मा बताते हैं कि जिले में गर्मी के मौसम को लेकर दूध के कारोबार में भारी कमी आयी है. एक ओर जहां नित्य दिन 9500 लीटर दूध की उत्पादन होती थी. वहीं, गर्मी के मौसम के कारण 7500 लीटर तक सीमित हो गया है. रमाकांत शर्मा ने बताया कि दूध उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए पशुपालकों को सरकार के द्वारा प्रशिक्षण की अत्यंत आवश्यकता है. प्रशिक्षण की कमी के कारण पशु पालक अपने पशुओं को लेकर दूसरे राज्यों में चले जाते हैं. श्री शर्मा का कहना है कि गर्मी के मौसम में दूध की डिमांड एक और जहां कम हो जाती है. वहीं, दूध की उत्पादन क्षमता भी कम जाती है. उन्होंने यह भी बताया कि नालंदा डेरी प्रोडक्ट का प्रतिदिन चार लाख लीटर दूध से सूखा दूध बनाने की क्षमता है.

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