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मुजफ्फरपुर में कभी काम की तलाश थी, आज दे रहीं रोजगार, महिलाओं ने सोशल मीडिया पर शेयर किया सफलता की कहानी

मुजफ्फरपुर में खुले बैग क्लस्टर की नयी उद्यमी के हौसला और सफलता के कहानी की चर्चा उद्योग विभाग के प्रधान सचिव संदीप पौंड्रिक खुद कर रहे हैं. ऐसे नये उद्यमियों का वीडियो सोशल मीडिया पर ट्रेंडिंग में है.

मुजफ्फरपुर. मेरा नाम राधा देवी है. मैं मुजफ्फरपुर के मड़वन प्रखंड से हूं. एक समय था, जब मैं रोजगार खोज रही थी. लेकिन अब मैं ऑनर बन कर, कई महिलाओं को रोजगार दे रही हूं. मुजफ्फरपुर में खुले बैग क्लस्टर की नयी उद्यमी के हौसला और सफलता के कहानी की चर्चा उद्योग विभाग के प्रधान सचिव संदीप पौंड्रिक खुद कर रहे हैं. ऐसे नये उद्यमियों का वीडियो सोशल मीडिया पर ट्रेंडिंग में है. जिससे अन्य महिलाएं भी उद्योग और रोजगार को लेकर जागरूक हो रही है. प्रधान सचिव के साथ उद्योग विभाग के आधिकारिक ट्विटर पेज पर राधा कुमारी व विनीता राय के सफलता की कहानी को शेयर किया गया है. जिस पर लोग बधाई दे रहे हैं.

जानें गृहिणी से कैसे उद्यमी बनीं राधा कुमारी

राधा कुमारी ने बताया कि पहले वे गृहिणी थीं. एक ऐसा विकट समय आया कि किसी फैक्ट्री में काम की तलाश करने लगी. लेकिन अचानक से उन्हें उम्मीद नहीं थी कि उद्योग विभाग की ओर से इतना सुनहरा अवसर मिलेगा. मेहनत के दम पर पटना से लेकर यहां तक ट्रेनिंग करने के बाद वे उद्यमी बनी. उनके ट्रेनिंग पर कई महिलाएं बैग तैयार कर रही है. इसी तरह विनीता राय मुजफ्फरपुर बैग क्लस्टर एच-4 यूनिट की नयी उद्यमी है. मूल रुप से समस्तीपुर की निवासी है. बताया कि कभी सपने में भी इस तरह के सफलता की उम्मीद नहीं थी. बच्चों के साथ परिवार के सभी सदस्य खुश है. बताया कि यह प्लेटफॉर्ममिला है, तो बहुत नाम कमाने का अब सपना है. खुद के साथ उद्योग विभाग का भी सर उंचा हो, इसके लिये काफी मेहनत और लगन से काम करना होगा.

देश का सबसे बड़ा बैग क्लस्टर विकसित करने की योजना

बेला इंडस्ट्रियल एरिया में चार दिसंबर को बैग क्लस्टर के प्रथम फेज का उद्घाटन मुख्य सचिव आमित सुबहानी ने किया था. प्रथम फेज में 10 महिला उद्यमियों की यूनिट की शुरुआत की गयी. इसमें एक साथ 264 लोग काम कर सकते हैं.उन्होंने कहा था कि मुजफ्फरपुर बैग क्लस्टर विकास का एक नया मॉडल है. इसे अपनी तरह का देश में सबसे बड़े बैग क्लस्टर के रूप में विकसित करने की योजना है.

आने-जाने से लेकर बच्चों के लिए बाल घर की भी सुविधा

यहां पर जीविका दीदियों को आने -जाने से लेकर कई सुविधाएं भी दी गयी हैं. उनके बच्चों के लिए बाल घर की भी व्यवस्था रहेगी, ताकि उनके पठन पाठन में कोई दिक्कत नहीं हो. इसके साथ ही प्रत्येक समूह का समझौता निजी कंपनी के साथ कराया गया है. निजी कंपनी ही कच्ची सामग्री उपलब्ध कराने के साथ ही तैयार सामग्री की खरीद करेगी.

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