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बिहार के 14 जिलों में ओरल कैंसर के मिले 65 मरीज, जानें किस जिले में मिले सबसे अधिक मामले

बिहार के 14 जिलों में ओरल कैंसर के सबसे अधिक मरीज मुजफ्फरपुर में हैं. इस जिले में मुंह के कैंसर के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. पिछले एक साल में होमी भाभा कैंसर अस्पताल व अनुसंधान केंद्र की ओर से मरीजों की जांच में बढ़ते कैंसर का मामला देखने को मिला है.

मुजफ्फरपुर. बिहार के 14 जिलों में ओरल कैंसर के सबसे अधिक मरीज मुजफ्फरपुर में हैं. इस जिले में मुंह के कैंसर के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. पिछले एक साल में होमी भाभा कैंसर अस्पताल व अनुसंधान केंद्र की ओर से मरीजों की जांच में बढ़ते कैंसर का मामला देखने को मिला है. मुजफ्फरपुर में मुंह के कैंसर के 14 मरीज मिले हैं, जो अन्य जिलों में सबसे अधिक है. इसका एकमात्र कारण खैनी, गुटखा और सिगरेट का सेवन है. दुखद पहलू यह है कि युवाओं में इस तरह के नशा की लत अधिक लग रही है. स्कूल-कॉलेज जाने वाले छात्र चोरी-छिपे शौकिया खैनी और पान-मसाला का सेवन करते हैं और बाद में इसकी गिरफ्त में चले जाते हैं.

एक साल के अंदर मुजफ्फरपुर में मिले मुंह के कैंसर के 14 मरीज

होमी भाभा कैंसर अस्पताल 14 जिलों में काम कर रहा है. इनमें मुजफ्फरपुर, नालंदा, सीवान, भोजपुर, वैशाली, दरभंगा, मधुबनी, सुपौल, भागलपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय, पटना, गया और औरंगाबाद शामिल हैं. एक वर्ष के अंदर इन जिलों में 2759 कैंप लगा कर 1,92,626 लोगों की स्क्रीनिंग की गयी. इसमें मुंह के कैंसर के 65 मरीज मिले. इसके अलावा ब्रेस्ट और गर्भाशय के मुंह के कैंसर के भी मरीज मिले. कैंसर अस्पताल की ओर से विभिन्न क्षेत्रों में कैंप लगा कर लोगों को मुंह के कैंसर से बचाव की जानकारी भी दी जा रही है, जिससे लोगों में जागरूकता आये और पान-मसाला सहित खैनी के सेवन से लोगों को दूर रखा जाये.

इन जिलों में कैंसर के मरीज

  • पटना 5

  • मुजफ्फरपुर 14

  • दरभंगा 1

  • औरंगाबाद 2

  • भागलपुर 3

  • सुपौल 8

  • मधुबनी 1

  • बेगूसराय 6

  • सीवान 5

  • नालंदा 2

  • वैशाली 6

  • भोजपुर 2

  • समस्तीपुर 7

  • गया 3

खैनी और गुटखा से 11 वर्ष कम हो जाती है उम्र

होमी भाभा कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र के प्रभारी डॉ रविकांत ने कहा कि खैनी व गुटखा मुंह के कैंसर का मुख्य कारण है. अगर कैंसर नहीं होता है, तो उसकी उम्र 11 साल कम हो जाती है. इसका खुलासा नये रिसर्च से हुआ है. इसके अलावा खैनी खाने वालों को टीबी होने का तीन गुना खतरा ज्यादा होता है. इससे मोतियाबिंद और नपुंसकता भी आती है. खैनी के विरुद्ध हमलोग स्कूल-कॉलेज और सरकारी संस्थाओं में अभियान की शुरुआत कर रहे हैं. लोगों को जागरूक करना हम सबकी जिम्मेदारी है.

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