एइएस से पीड़ित तीन बच्चे SKMCH के पीकू वार्ड से डिस्चार्ज, दो बीमार बच्चों का सैंपल भेजा गया लैब

एसकेएमसीएच के पीआईसीयू वार्ड में शुक्रवार को भर्ती हुए जिन तीन बच्चों में एइएस ही पुष्टि हुई थी, वह स्वस्थ होकर अपने घर वापस लौट गये हैं. वहीं दो चमकी बुखार के बच्चे पीकू में भर्ती हुए हैं. हालांकि इन दोनों बच्चों में एइएस है या नहीं, इसकी पुष्टि नहीं हुई हैं.

By Prabhat Khabar Print Desk | May 2, 2022 7:10 PM

मुजफ्फरपुर. एसकेएमसीएच के पीआईसीयू वार्ड में शुक्रवार को भर्ती हुए जिन तीन बच्चों में एइएस ही पुष्टि हुई थी, वह स्वस्थ होकर अपने घर वापस लौट गये हैं. वहीं दो चमकी बुखार के बच्चे पीकू में भर्ती हुए हैं. हालांकि इन दोनों बच्चों में एइएस है या नहीं, इसकी पुष्टि नहीं हुई हैं. लक्षण के अनुसार इनका सैंपल लेकर लैब में जांच के लिये भेजे गये हैं.

जांच के बाद इन बच्चों को भी घर भेजा जायेगा

जांच रिपोर्ट आने के बाद पुष्टि हो पायेगी कि बच्चे में एइएस है या नहीं हैं. उपाधीक्षक सह शिशु विभागाध्यक्ष डॉ. गोपाल शंकर सहनी ने बताया कि बोहचां के रहने वाले छह साल के मो बिलाल, कांटी प्रखंड के दादर अहियापुर के मो सयैद इरशाद के दो साल का पुत्र फवाद आलम और औराई के रहने वाले रामप्रवेश साह के आठ साल के पुत्र त्रिनेत्र कुमार में एइएस की पुष्टि हुई थी, वह पूरी तरह से ठीक होकर घर जा चुके है.

21 बच्चे स्वस्थ होकर घर लौटे

पीड़ित बच्ची के स्वस्थ होने की रिपोर्ट मुख्यालय भेजा गया है. पीड़ित बच्चों में हाइपोग्लाइसीमिया बताया गया था. अभी तक 13 केश मुजफ्फरपुर के, तीन केश मोतिहारी और पांच सीतामढ़ी और एक अररिया, एक वैशाली, एक बेतिया के है. सीतामढी व वैशाली के बच्चा की मौत इलाज के दौरान हुई हैं. अन्य 21 बच्चे स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं.

मौसम के बदलाव से मिली राहत

शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ गोपाल शंकर सहनी ने बताया कि पीकू वार्ड में तीनों को भर्ती कर प्राटोकॉल के तहत इलाज किया जा रहा हैं. डॉक्टरों ने बताया कि मौसम में आये बदलाव के कारण अब इस रोग की आशंका कम होती जा रही है और पीड़ित बच्चे भी तेजी से ठीक हो रहे हैं. यह बीमारी मुख्य रूप से गर्मी के कारण ही होता है. वर्षा होने के बाद इसका प्रभाव कम होता जाता है. डॉक्टरों से कहा कि हर साल गर्मी बढ़ने के साथ बीमार बच्चों की संख्या बढ़ने लगती है. इस साल वैसे बीमारी का फैलाव कम हुआ इसका एक कारण लोगों में गर्मी से बचने के प्रति जागरुकता का बढ़ना भी रहा है.

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